PM मोदी का असम दौरा... दो प्रमुख परियोजनाओं का करेंगे उद्घाटन

पीएम मोदी 21 दिसंबर को नाहरकटिया जाएंगे और नामरूप फर्टिलाइजर प्लांट में एक नई बड़ी यूरिया उत्पादन सुविधा की आधारशिला रखेंगे, यह एक ऐसा प्रोजेक्ट है, जिससे क्षेत्र के औद्योगिक इकोसिस्टम और कृषि सहायता प्रणालियों को काफी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.

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नई दिल्ली:

PM मोदी आगामी 20 और 21 दिसंबर को चुनावी राज्य असम के महत्वपूर्ण दो दिवसीय दौरे पर रहेंगे. इस यात्रा की शुरुआत 20 दिसंबर को गुवाहाटी एयरपोर्ट पर 4,000 करोड़ रुपये की लागत से नवनिर्मित ‘बैम्बू ऑर्किड्स टर्मिनल–2' के उद्घाटन से होगी. इसी दिन वे गुवाहाटी में भारत रत्न डॉ. गोपीनाथ बोरदोलोई की 80 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण करेंगे और लगभग 70 हजार लोगों की एक विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे. चुनावी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण इस दौरे के दौरान पीएम गुवाहाटी में नवनिर्मित प्रदेश बीजेपी मुख्यालय भी जाएंगे, जहां वे राज्य के सांसदों और विधायकों के साथ करीब 25 मिनट तक बैठक करेंगे.

प्रधानमंत्री अपना रात्रि विश्राम गुवाहाटी में ही करेंगे. दौरे के दूसरे दिन यानी 21 दिसंबर की सुबह, वे 'परीक्षा पर चर्चा' कार्यक्रम के तहत ब्रह्मपुत्र नदी में नौकायन के दौरान छात्रों के साथ विशेष संवाद करेंगे. इसके पश्चात, वे पश्चिम बोरागांव में असम आंदोलन के 855 शहीदों की स्मृति में बने नवनिर्मित शहीद स्मारक क्षेत्र का दौरा करेंगे. यात्रा के अंतिम चरण में पीएम डिब्रूगढ़ जाएंगे, जहां वे नामरूप में 10,000 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले नए ब्राउनफील्ड अमोनिया-यूरिया संयंत्र की आधारशिला रखेंगे और एक अन्य सार्वजनिक सभा को संबोधित करेंगे.

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने आने वाले दौरे में राज्य को दो बड़े प्रोजेक्ट्स का तोहफा देने वाले हैं और प्रशासन पीएम के दौरे की तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ेगा. असम सीएम सरमा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "प्रधानमंत्री की यात्रा सफल और बिना किसी रुकावट के हो, यह सुनिश्चित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है, क्योंकि वह असम को दो बड़ी पहल- गुवाहाटी एयरपोर्ट और नामरूप अमोनिया-यूरिया प्लांट- तोहफे में देने वाले हैं."

पीएम मोदी 21 दिसंबर को नाहरकटिया जाएंगे और नामरूप फर्टिलाइजर प्लांट में एक नई बड़ी यूरिया उत्पादन सुविधा की आधारशिला रखेंगे, यह एक ऐसा प्रोजेक्ट है, जिससे क्षेत्र के औद्योगिक इकोसिस्टम और कृषि सहायता प्रणालियों को काफी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. प्रस्तावित यूनिट, जिसकी अनुमानित वार्षिक क्षमता 1.2 मिलियन मीट्रिक टन है, इसे हाल के दशकों में पूर्वोत्तर में सबसे महत्वपूर्ण उर्वरक इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड में से एक के रूप में देखा जा रहा है.

सरमा ने तर्क दिया कि यह प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद न केवल घरेलू यूरिया की उपलब्धता को मजबूत करेगा, बल्कि बड़े पैमाने पर रोजगार भी पैदा करेगा और असम में सहायक औद्योगिक नेटवर्क विकसित करेगा. असम सरकार ने आश्वासन दिया है कि निर्माण शुरू होने के तीन साल के भीतर पूरा होने की उम्मीद है.

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