जहां भी बीजेपी खुद को कमजोर पाती है, वहां मजबूती का जिम्मा पीएम मोदी के कंधों पर जाता है. दक्षिण भारत में बीजेपी की उम्मीदों की नाव को पार लगाने की जिम्मेदारी भी पीएम मोदी पर आ गई है. इसीलिए वे लगातार दक्षिण भारत के दौरे पर हैं.
पूरी दुनिया की नजरें इन दिनों अयोध्या की ओर हैं जहां 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों से रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है. लेकिन उससे पहले प्रधानमंत्री मोदी खुद ही दक्षिण भारत में हैं. वहां कभी वे उस लेपाक्षी मंदिर में जाते हैं जहां भगवान राम की मुलाकात गिद्ध राज जटायु से हुई थी तो कभी केरल में त्रिशूर के श्रीगुरुवयूर मंदिर में, जो भगवान कृष्ण के रूप हैं.
दक्षिण भारत की स्थानीय पहचान और अस्मिता से खुद को जोड़कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किस मकसद को साध रहे हैं. क्या एक प्रधानमंत्री के रूप में वे उत्तर और दक्षिण भारत के सांस्कृतिक संबधों को मजबूत बनाने वाला जोड़ बनना चाहते हैं? क्या प्रधानमंत्री मोदी दक्षिण भारत को यह संदेश देना चाहते हैं कि उनकी कितनी अहमियत है? या पीएम मोदी इस दक्षिण कनेक्शन से उधर भी लोकसभा चुनावों में शानदार जीत हासिल करना चाहते हैं, जिससे बीजेपी का मिशन 400 पूरा हो सके?
प्रधानमंत्री मोदी विशुद्ध दक्षिण भारतीय परिधानों में ही नजर आए. केरल के त्रिशूर में गुरुवयूर मंदिर में भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना के बाद त्रिप्रयार के रामास्वामी मंदिर में पीएम मोदी पहुंचे. वहां भी परंपरागत परिधानों में ही वे दिख रहे थे. रामास्वामी मंदिर में भगवान राम की छह फीट ऊंची प्रतिमा है जिसमें भगवान चतुर्भुज रूप में दिखते हैं.
अयोध्या जाने से पहले प्रधानमंत्री मोदी चार दिन में तीन दक्षिण भारतीय राज्यों का दौरा कर रहे हैं. इसी कड़ी में शुक्रवार को पीएम मोदी चेन्नई पहुंचेंगे, जहां के प्रमुख मंदिरों में उनके दर्शन पूजन करने की खबर है. यह भी खबर है कि वे रामेश्वरम भी जाएंगे जो द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है और जिसकी स्थापना खुद भगवान राम ने की थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तिरुचिरापल्ली के श्री रंगनाथस्वामी मंदिर में दर्शन करेंगे. पीएम मोदी अरिचल मुनई और कोतांडरम स्वामी मंदिर में भी दर्शन और पूजा करने वाले हैं. जिस तेजी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दक्षिण की परंपराओं से खुद को जोड़ रहे हैं, उसकी झलक उन्होंने काफी पहले दे दी थी.
इस पूरी कड़ी में देखिए तो 12 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए अनुष्ठान शुरू करने से तमिलनाडु तक पीएम मोदी चार ऐसे पवित्र स्थलों से जुड़ते दिखे, जिनसे भगवान राम का सीधा संबंध रहा है. वे 12 जनवरी को नासिक में उस कालाराम मंदिर में गए जहां पंचवटी में वनवास के दौरान भगवान राम रहे थे. वे 16 जनवरी को आंध्र प्रदेश के लेपाक्षी में पहुंचे जहां सीता को ढूंढने के क्रम में भगवान राम की मुलाकात गिद्ध राज जटायु से हुई थी.पीएम मोदी 17 जनवरी को केरल में भगवान राम के चतुर्भुज रूप वाले रामास्वामी मंदिर में गए और 19 जनवरी को सेतु बंधन वाले रामेश्वरम में पहुचेंगे जहां से भगवान राम लंका गए थे.
तमिलनाडु से बीजेपी को भले ही एक भी सीट ना मिली हो लेकिन वहां से आने वाले एल मुरुगन को पीएम मोदी ने अपनी कैबिनेट में राज्यमंत्री बनाया. पोंगल के मौके पर पीएम मोदी उनके घर पहुंचे और पूरे विधिविधान के साथ नए वर्ष के इस त्योहार को मनाया. तमिलनाडु से दिल्ली की दूरी भले ही ढाई हजार किलोमीटर है लेकिन शुद्ध परंपरागत तमिल परिधान में आकर मोदी ने दिल्ली से ही तमिलनाडु को अपने भावुक रिश्तों की डोर को बांधने की कोशिश की है.