- पीएम मोदी ने राम मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वजारोहण के अवसर पर राम भक्तों को संबोधित किया
- धर्म ध्वज को भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का प्रतीक बताया गया जो रामराज्य के आदर्शों का उद्घोष करेगा
- यह ध्वज सदियों से चले आ रहे सपनों का साकार स्वरूप है और संतों की साधना तथा समाज की सहभागिता की परिणिति है
Ram Mandir Dharm Dhwajarohan 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को अभिजीत मुहूर्त में राम मंदिर के धर्म ध्वजारोहण के बाद वहां उपस्थित राम भक्तों को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि 500 साल के संघर्ष के बाद सपना पूरा हो गया है. सदियों पुराने घाव भर रहे हैं. उन्होंने राम ध्वज के 13 अर्थ भी बताए. साथ ही कहा कि अब तक 45 करोड़ भक्त रामलला के दर्शन कर चुके हैं. उन्होंने 2047 तक विकसित भारत के संकल्प और गुलामी की मानसिकता को खत्म करने का आह्वान भी किया. हम ऐसा भारत बनाना है, जो रामराज्य से प्रेरित हो, जिसमें राष्ट्रहित सर्वोपरि हो.
आज संपूर्ण भारत, संपूर्ण विश्व राममय है. हर राभ भक्त के हृदय में अद्वितीय संतोष है, असीम कृतज्ञता है. अपार अलौकिक आनंद है. सदियों के घाव भर रहे हैं. सदियों की वेदना आज विराम पा रही है. सदियों का संकल्प आज सिद्धि को प्राप्त हो रहा है. आज पूर्णाहिति है, जिसकी अग्नि 500 साल पहले प्रज्जवलित हुई थी. जो लक्ष्य एक पल भी आस्था से डिगा नहीं.
पीएम मोदी ने कहा, आज भगवान राम के गर्भ गृह का दिव्य प्रताप इस धर्म ध्वजा के रूप में प्रतिष्ठापित हुआ है. ये धर्म ध्वजा नहीं है. ये भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का ध्वज है. इसका कोविदार वृक्ष रामराज्य के प्रतीक को दिखाता है. ये ध्वज संकल्प है, सफलता है, संघर्ष से सृजन की गाथी है. सदियों से चले आ रहे सपनों का साकार स्वरूप है. ये ध्वज संतों की साधना और समाज की सहभागिता की सार्थक परिणिति है.
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राम मंदिर की धर्म ध्वजा के 13 अर्थ
- यह ध्वज संकल्प है
- यह ध्वज सफलता है.
- संघर्ष से सृजन की गाधा
- सदियों से चले आ रहे सपनों का साकार स्वरूप है
- संतों की साधना है, समाज की सहभागिता की सार्थक परिणीति है
- प्रभु राम के आदर्शों का उद्घोष करेगा
- सत्यमेव जयते का आह्वान करेगा.
- सत्यं एक पदं
- प्राण जाय वचन ज जाए
- कर्म प्रधान विश्व रचि रखा
- कामना करेगा भेदभाव परेशानी, पीड़ा से मुक्ति
- संकल्पित करेगा नहीं दरिद्र कोऊ
- दूर से रामलला की जन्मभूमि के दर्शन कराएगा.
हम ऐसा समाज बनाएंगे, जहां गरीबी न हो, कोई लाचार न हो. पीएम मोदी ने कहा, जो लोग किसी कारण मंदिर नहीं आते, दूर से मंदिर के ध्वज को प्रणाम कर लेते हैं. उन्हें भी उतना ही पुण्य मिल जाता है. ये धर्म ध्वज ही मंदिर के ध्येय का प्रतीक है. ये ध्वज दूर से ही रामलला की जन्मभूमि का दर्शन कराएगा. ये युगो युंगों तक राम के आदेशों और आदर्शों को मानवमात्रव तक पहुंचाएगा.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, पिछले 11 वर्षों में महिलाओं, दलितों, पिछड़े और अति पिछड़े और आदिवासी, किसान, युवाओं और हर वर्ग को विकास के केंद्र में रखा गया है. सबके प्रयास से ही 2027 तक आजादी के सौ साल पूरे होने तक हमें विकसित भारत का निर्माण करना होगा.
PM Modi in Ayodhya
पीएम मोदी ने कहा, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर मैंने कहा था, हमें एक हजार साल के लिए संकल्प को लेकर आगे बढ़ना होगा. हमें वर्तमान के साथ भावी पीढ़ी के बारे में भी सोचना होगा. जब हम नहीं थे, ये देश तब भी था. जब हम नहीं होंगे, ये देश तब भी रहेगा. हमें आने वाली सदियों को ध्यान में रखना ही होगा. इसके लिए हमें प्रभु श्रीराम से सीखना होगा. हमें उनके व्यक्तित्व और व्यवहार को समझना होगा. राम यानी आदर्श, मर्यादा, सत्य और पराक्रम का संगम...
आजादी मिली, लेकिन हीन भावना से मुक्ति नहीं
पीएम मोदी ने कहा, मैकाले नाम के अंग्रेज अफसर ने भारत को उसकी संस्कृति से उखाड़ने की नींव रखी थी. गुलामी की मानसिकता से पूरी तरह मुक्ति जरूरी है. 10 साल बाद उस घटना के 200 साल पूरे हो रहे हैं. आने वाले 10 सालों तक भारत को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहेंगे.














