PM मोदी ने देश की ताकत पर विश्वास जताया तो शहबाज शरीफ विदेशी नेताओं के सामने नतमस्त्क नजर आए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के बाद सोमवार को अपने पहले संबोधन में सेना के पराक्रम को सराहा तो देश की बहन-बेटियों के माथे से सिंदूर पौंछने वालों को भी सख्त संदेश दे दिया. पीएम मोदी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने आतंक के खिलाफ लड़ाई में एक नई लकीर खींच दी है, एक नया पैमाना, एक न्यू नॉर्मल तय कर दिया है. पीएम मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन की अब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के अपने देशवासियों को संबोधित करने से तुलना की जा रही है. पीएम मोदी के भाषण ने जहां देश के वीर सैनिकों के पराक्रम को बताया तो आतंक के खिलाफ भारत सरकार की नीति और इसे लेकर भविष्य का रोडमैप भी नजर आया, वहीं पाकिस्तानी प्रधानमंत्री का भाषण अपने देश की चिंता से ज्यादा दुनिया के दूसरे मुल्कों को धन्यवाद देने में ही गुजर गया. आइए जानते हैं कि पीएम मोदी और शहबाज शरीफ के भाषण में आखिर अंतर क्या है.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में सशस्त्र बलों और खुफिया एजेंसियों को उनके शानदार काम के लिए सेल्यूट किया. पीएम मोदी ने इसके लिए किसी एक शख्स का नाम नहीं लिया बल्कि पूरे सशस्त्र बलों की सामूहिक रूप से इसके लिए प्रशंसा की. हालांकि इसके उलट उनके पाकिस्तानी समकक्ष इस मामले में बिलकुल अलग थे.
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असीम मुनीर को शहबाज का सलाम!
शहबाज शरीफ ने अपने संबोधन के दौरान पाकिस्तानी सेना और उसके जवानों की जगह बार-बार पाकिस्तान की सेना के प्रमुख असीम मुनीर का नाम लिया. यह बताता है कि शरीफ की कुर्सी पाकिस्तान की आम जनता के भरोसे नहीं बल्कि असीम मुनीर के भरोसे है और इसलिए वो बार-बार जनता का नहीं बल्कि मुनीर का धन्यवाद करते नजर आए. हालांकि भारत में पीएम मोदी का सेना के पराक्रम को सलाम करना यह बताता है कि भारत में सेना प्रमुख प्रधानमंत्री से बड़ा नहीं है और न ही भारत में सेना की अहमियत देश से बड़ी है.
पाकिस्तान की क्या अपनी कोई हैसियत नहीं है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में किसी भी देश का नाम नहीं लिया और न ही उन्होंने दुनिया के किसी नेता की प्रशंसा की. यह वास्तव में देशवासियों के नाम संबोधन था. हालांकि शहबाज शरीफ के भाषण पर गौर करें तो उन्होंने अमेरिका के साथ ही सऊदी अरब, यूएई, तुर्किये और कतर को धन्यवाद दिया. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सहित कई देशों के नेताओं का नाम लेकर उनके सम्मान में बड़ी-बड़ी बातें की तो अपने गठबंधन के सहयोगियों और विपक्ष सहित देश के राजनीतिक नेतृत्व को भी धन्यवाद दिया. शरीफ ने पाकिस्तान के ‘‘समय की कसौटी पर खरे उतरे'' और ‘‘भरोसेमंद मित्र'' चीन के प्रयासों और समर्थन का विशेष रूप से उल्लेख किया.
शहबाज शरीफ का दुनिया के विभिन्न नेताओं और नेताओं का नाम लेना यह बताता है कि पाकिस्तान की अपनी कोई हैसियत नहीं है, बल्कि वह दुनिया के दूसरे देशों की दया पर निर्भर है.
PM मोदी ने बताया क्यों किया पाक डीजीएमओ ने फोन?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में पहलगाम आतंकी हमले को लेकर कहा कि आतंकियों ने हमारी बहनों का सुहाग उजाड़ा था. इसलिए भारत ने आतंक के हेडक्वाटर उजाड़ दिए. इस तरह से पीएम मोदी ने आतंक के खिलाफ अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाया. साथ ही कहा कि भारत ने पहले तीन दिन में ही अपनी कार्रवाई के बाद पाकिस्तान बचने का रास्ता खोज रहा था. वह दुनिया में गुहार लगा रहा था. उन्होंने कहा कि बुरी तरह से पिटने के बाद इसी मजबूरी में 10 मई की दोपहर को पाकिस्तानी सेना ने हमारे डीजीएमओ को फोन किया, तब तक हम आतंकवाद के इंफ्रास्ट्रक्चर का बड़े पैमाने पर तबाह कर चुके थे. यह शरीफ के उस दावे से उलट है कि जिसमें शरीफ ने कहा कि पाकिस्तानी सेना का ‘ऑपरेशन बुनयान-उन-मरसूस' सफल रहा और भारत की कार्रवाई का पेशेवर तरीके से जवाब दिया गया.
आतंक के पनाहगार पाकिस्तान से बेमानी है उम्मीद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह युग युद्ध का नहीं है, लेकिन यह युग आतंकवाद का भी नहीं है. पीएम मोदी ने अपने भाषण के जरिए आतंक और आतंक के आकाओं के खिलाफ जीराे टॉलरेंस का ऐलान किया तो वहीं उनके समकक्ष शहबाज शरीफ के भाषण में आतंकवाद को लेकर कोई ठोस कदम उठाने का कोई जिक्र नहीं किया गया. यह बताता है कि आतंक और आतंकियों को पनाह देने वाले मुल्क से उम्मीद करना बेमानी है.
पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद बदली परिस्थितियों में भारत की कार्रवाई से घबराए पाकिस्तान को किसी तरह से फिलहाल तो राहत मिल गई है. हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक बयान ने उनकी नींद जरूर उड़ा दी होगी, जिसमें उन्होंने कहा है कि हमने पाकिस्तान के आतंकी और सैन्य ठिकानों पर अपनी जवाबी कार्रवाई को अभी सिर्फ स्थगित किया है. आतंकी हमला हुआ तो मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा. हम अपने तरीके से और अपनी शर्तों पर जवाब देकर रहेंगे.