आपातकाल पर कांग्रेस को मनोज कुमार की फिल्म 'शोर' की याद क्यों दिला रहीं बीजेपी

पीएम मोदी ने एक्स पर लिखा कि आपातकाल हमें याद दिलाता है कि कैसे कांग्रेस पार्टी ने बुनियादी स्वतंत्रताओं को नष्ट किया और भारत के संविधान को रौंद दिया, जिसका हर भारतीय बहुत सम्मान करता है.

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पीएम मोदी ने इमरजेंसी को बताया काला धब्बा
नई दिल्ली:

25 जून 2024 को इमरजेंसी के 49 साल पूरे हो रहे हैं. आज ही के दिन 25 जून, 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लगाने की घोषणा की थी. बीजेपी ने कांग्रेस को मनोज कुमार की फिल्म शोर के जरिए इमरजेंसी की याद दिलाई है. 18वीं लोकसभा की पहले सत्र से पहले के संबोधन में भी पीएम मोदी ने इमरजेंसी का जिक्र किया था. देश में इमरजेंसी लगाने की घोषणा तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून, 1975 की देर रात आकाशवाणी के जरिए की थी. इससे कुछ घंटों पहले, सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा सदस्य के रूप में इंदिरा गांधी के निर्वाचन को अमान्य घोषित करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर सशर्त रोक लगा दी थी. शीर्ष अदालत ने इंदिरा गांधी से कहा था कि वह संसदीय कार्यवाही से दूर रहें.

बीजेपी ने कांग्रेस को क्यों दिलाई शोर फिल्म की याद

1972 में रिलीज हुई शोर हिंदी सिनेमा की सुपरहिट फिल्म रही है. शोर फिल्म के राइटर, डायरेक्टर और प्रोड्यूसर मनोज कुमार ही थे. मनोज कुमार की इस फिल्म के गाने काफी पॉपुलर हुए. बताया जाता है कि इस फिल्म की को दोबारा रिलीज करने की योजना बनाई गई थी. लेकिन इससे पहले मनोज कुमार ने इमरजेंसी का विरोध कर संजय गांधी और तत्कालीन प्रसारण मंत्री विद्याचरण शुक्ल को खफा कर दिया था. जिसका नतीजा ये हुआ कि जब फिल्म बड़े पर्दे पर रिलीज जरूर हुई लेकिन इसे देखने कोई नहीं पहुंचा.

पीएम मोदी ने इमरजेंसी को बताया काला धब्बा

पीएम मोदी ने इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लगाई गई इमरजेंसी का जिक्र करते हुए एक्स पर लिखा कि आज का दिन उन सभी महान पुरुषों और महिलाओं को श्रद्धांजलि देने का दिन है जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया. DarkDaysOfEmergency हमें याद दिलाता है कि कैसे कांग्रेस पार्टी ने बुनियादी स्वतंत्रताओं को नष्ट किया और भारत के संविधान को रौंद दिया, जिसका हर भारतीय बहुत सम्मान करता है.

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इससे पहले पीएम मोदी ने कल ही अपने संबोधन में कहा था कि 25 जून जो लोग इस देश के संविधान की गरिमा के प्रति समर्पित हैं, जो लोग भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं पर निष्ठा रखते हैं, उनके लिए 25 जून न भूलने वाला दिवस है. भारत के लोकतंत्र पर जो काला धब्बा लगा था, कल उसके 50 साल हो रहे हैं. भारत की नई पीढ़ी इस बात को कभी नहीं भूलेगी कि भारत के संविधान को पूरी तरह नकार दिया गया था.

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इस दिन संविधान के चिथड़े-चिथड़े उड़ा दिये गये थे. देश को जेलखाना बना दिया गया था. लोकतंत्र को भी पूरी तरह दबोच दिया गया था. इमरजेंसी के ये 50 साल इस संकल्प के हैं कि हम गौरव के साथ हमारे संविधान की रक्षा करते हुए भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा करते हुए संकल्प लेंगे कि भारत में फिर कभी कोई ऐसी हिम्मत नहीं करेगा जो 50 साल पहले की गई थी."

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गृह मंत्री ने इमरजेंसी की बरसी पर क्या कहा

गृह मंत्री अमित शाह ने एक्स पर लिखा कि देश में लोकतंत्र की हत्या और उस पर बार-बार आघात करने का कांग्रेस का लंबा इतिहास रहा है. साल 1975 में आज के ही दिन कांग्रेस के द्वारा लगाया गया इमरजेंसी इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. अहंकार में डूबी, निरंकुश कांग्रेस सरकार ने एक परिवार के सत्ता सुख के लिए 21 महीनों तक देश में सभी प्रकार के नागरिक अधिकार निलंबित कर दिए थे.

इस दौरान उन्होंने मीडिया पर सेंसरशिप लगा दी थी, संविधान में बदलाव किए और न्यायालय तक के भी बांध दिए थे. इमरजेंसी के खिलाफ संसद से सड़क तक आंदोलन करने वाले असंख्य सत्याग्रहियों, समाजसेवियों, श्रमिकों, किसानों, युवाओं व महिलाओं के संघर्ष को नमन करता हूं.

बीजेपी आपातकाल पर कांग्रेस को मनोज कुमार की फिल्म 'शोर' की याद दिला रही है. इसी को लेकर केंद्रीय रेल मंत्री ने भी एक्स पर एक वीडियो पोस्ट किया है. 

लोकतंत्र व संवैधानिक सिद्धांतो को कुचला : किरेन रिजिजू

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने एक्स पर लिखा कि आज ही के दिन 1975 में कांग्रेस ने आपातकाल घोषित करके देश के लोकतंत्र व भारत के संवैधानिक सिद्धांतो को कुचला था. लोकतांत्रिक इतिहास में यह काला अध्याय कांग्रेस और उनके नेताओं की क्रूर व तानाशाही मानसिकता का प्रमाण है. देश के लोकतंत्र पर कांग्रेस का यह कुठाराघात ऐसा कलंक है जिसको भविष्य में आने वाली पीढ़ियां याद रखेंगी इसे कभी मिटाया नहीं जा सकता.

लोकतंत्र के खिलाफ भयावह षडयन्त्र रचने वाली कांग्रेस आज भी भ्रम फैला रही है और लोकतंत्र के संवैधानिक ढांचे पर प्रहार कर रही है. कांग्रेस की इस मानसिकता से देश हर नागरिक परिचित है.

निर्मला सीतारमण ने इमरजेंसी के बुरे दौर को याद किया

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इमरजेंसी के दौर को याद करते हुए एक्स पर लिखा, “विपक्षी नेता जेपी, लालकृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेयी और मोरारजी देसाई और...कार्यकर्ताओं को सलाखों के पीछे डाल दिया गया...यह दौर...जबरन सामूहिक नसबंदी, प्रेस पर सेंसरशिप, संवैधानिक अधिकारों के निलंबन जैसी ज्यादतियों के लिए जाना जाता है...”

(भाषा इनपुट्स के साथ)

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