- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन के जीवन को भारतीय लोकतंत्र की ताकत बताया है
- राधाकृष्णन ने झारखंड, महाराष्ट्र, तेलंगाना और पुडुचेरी में राज्यपाल के रूप में जनसंपर्क और सेवा की है
- पीएम मोदी ने कहा कि उनका सार्वजनिक जीवन प्रोटोकॉल से ऊपर रहकर सेवा का उदाहरण है
संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो चुका है. संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन की कार्यशैली और जीवन मूल्यों की सराहना की. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि उपराष्ट्रपति ने हमेशा प्रोटोकॉल से परे रहकर समाजसेवा को प्राथमिकता दी. पीएम ने बताया कि सीपी राधाकृष्णन ने काशी जाकर नॉनवेज छोड़ने जैसे व्यक्तिगत संकल्पों से लेकर झारखंड, महाराष्ट्र, तेलंगाना और पुडुचेरी में राज्यपाल रहते हुए गांव-गांव जाकर लोगों से जुड़ने तक, हर भूमिका में सेवा को सर्वोपरि रखा. उन्होंने कहा कि उनका सफर भारतीय लोकतंत्र की ताकत और समर्पण का प्रेरक उदाहरण है.
समाजसेवा उपराष्ट्रपति की निरंतरता
पीएम मोदी ने कहा कि समाजसेवा उपराष्ट्रपति की निरंतरता रही है, राजनीतिक क्षेत्र उसका एक पहलू रहा है, लेकिन मुख्यधारा समाजसेवा की रही है, समाज के प्रति समर्पित होकर जितना कुछ अपने युवा काल से लेकर अबतक वो करते आएं हैं और करते रहें वो हम सभी समाजसेवा के प्रति रूचि रखने वाले लोगों एक अच्छी बात है. आपका यहां तक पहुंचना हम सबका मार्गदर्शन प्राप्त होना ये भारत के लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है. ये मेरा भाग्य रहा है कि मैं आपको लंबे अरसे से परिचित रहा हूं.
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पहचान कैसे बनाए, आपने करके दिखाया
सार्वजनिक जीवन में साथ-साथ काम करने का अवसर भी मिला है. लेकिन पीएम के रूप में जब मुझे यहां दायित्व मिला और मैंने आपको अलग-अलग जिम्मेदारियों से काम करते हुए देखा तो मेरे मन में अतिशय भाव जागा. मैंने आपका किसी संस्था के प्रति समर्पण हो तो कैसे विकास किय़ा जा सकता है और कैसे पहचान बनाई जा सकती है आपने करके दिखाया है, आप झारखंड में महाराष्ट्र में तेलंगाना, पुडुचेरी में राज्यपाल का दातिय्तव संभाल चुके हैं, मैं देखता था कि झारखंड में तो जिस प्रकार से आपने अपना नाता बना लिया था, जिस प्रकार से आप छोटे-छोटे गांव का दौरा करते थे वहां के सीएम के साथ जब मिलते थे तो जिक्र करते थे.
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आपका और प्रोटोकॉल का कोई नाता नहीं
राजनेताओं को भी चिंता होती थी हेलिकॉप्टर हो या ना हो छोटी गाड़ियों से चलते रहते थे, ये आपने राज्यपाल के पद पर रहते हुए आपने नई ऊंचाई दी. इससे हम परिचित हैं. मैंने आपको एक कार्यकर्ता के रूप में देखा है, एक सहयोगी के रूप में साथ काम किए हैं, सांसद के रूप में देखा है, लेकिन एक बात मैंने महसूस की है कि आमतौर पर सार्वजनिक जीवन में पद पर पहुंचने के बाद कभी लोग पद का भार अनुभव करते हैं. लेकिन कभी कभी प्रोटोकॉल में दब जाते हैं, आपका और प्रोटोकॉल का कोई नाता नहीं रहा है आप प्रोटोकॉल से परे रहे हैं. सार्वजनिक जीवन में प्रोटोकॉल से अगल एक ताकत होती है और वो हमने देखा है.














