प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश की वाराणसी सीट से नामांकन किया. प्रधानमंत्री तीसरी बार वाराणसी सीट से मैदान में उतरे हैं. परचा भरने के लिए 4 प्रस्तावकों की जरूरत होती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चार प्रस्तावक पंडित गणेश्वर शास्त्री, बैजनाथ पटेल, लालचंद कुशवाहा और संजय सोनकर बने हैं. निर्वाचन आयोग (Election Commission) के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं.
वाराणसी में कौन-कौन बने हैं पीएम मोदी के प्रस्तावक?
प्रधानमंत्री के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक वहां मौजूद थे जिनका नाम पंडित गणेश्वर शास्त्री, बैजनाथ पटेल, लालचंद कुशवाहा और संजय सोनकर है. पंडित गणेश्वर शास्त्री ने ही अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त निकाला था, ये ब्राह्मण समाज से हैं.बैजनाथ पटेल ओबीसी समाज से आते हैं और संघ के पुराने और समर्पित कार्यकर्ता रहे हैं.लालचंद कुशवाहा भी ओबीसी समुदाय से हैं.संजय सोनकर दलित समाज से हैं.
पीएम मोदी ने एक साथ साधा कई समीकरण
प्रस्तावक 4 राजनीतिक संदेश अनेक
पीएम मोदी ने 4 प्रस्तावकों के माध्यम से कई तरह के समीकरण को साधा है. जानकार इसे बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग के तौर पर देख रहे हैं. साथ ही अयोध्या के राम मंदिर के मुद्दे को भी पीएम मोदी लोगों के बीच जिंदा रखना चाहते हैं. पंडित गणेश्वर शास्त्री प्रधानमंत्री के प्रस्तावक बने हैं. उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त निकाला था. ओबीसी समाज से आने वाले प्रस्तावक बैजनाथ पटेल और लालचंद कुशवाहा के मार्फत पीएम मोदी ने पूर्वांचल और बिहार की राजनीति को साधने की कोशिश की है. पूर्वांचल के क्षेत्रों में जहां पटेल वोटर्स की बहुलता रही है वहीं बिहार में कुशवाहा दूसरी सबसे बड़ी ओबीसी जाति है.
वाराणसी सीट का क्या है जातिगत समीकरण?
वाराणसी सीट पर पिछले 8 चुनावों में से 7 बार बीजेपी को जीत मिली है. इस लोकसभा सीट के अंतर्गत कुल 19.62 लाख मतदाता हैं. वाराणसी सीट पर शहरी आबादी 65 प्रतिशत है. इस सीट पर ओबीसी वोटर्स की संख्या काफी अधिक रही है. 2 लाख वोटर्स कुर्मी समाज से आते हैं. बैजनाथ पटेल कुर्मी समाज से आते हैं.वहीं 2 लाख वैश्य वोटर्स भी हैं. कुर्मी और वैश्य समाज के बाद ब्राह्मण और भुमिहार वोटर्स की संख्या रही है.
कांग्रेस के जातिगत जनगणना के मुद्दे की काटने का प्रयास
कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार जातिगत गणना और प्रतिनिधित्व के मुद्दे पर बीजेपी को घेरते रहे हैं. पीएम मोदी ने संसद में कहा था कि उनकी नजर में देश में चार ही जाति है. नारी, युवा, किसान और गरीब यही चार इस देश में जातियां है. बिहार में हुए जातिगत गणना में ओबीसी और EBC समाज की आबादी लगभग आधी रही थी. प्रधानमंत्री ने अपने प्रस्तावकों में दो ओबीसी जाति के लोगों को जगह देकर सम्मान देने की कोशिश की है.
2014 के चुनाव में चायवाले को बनाया था प्रस्तावक
पांचवें और छठे चरण को साधने की है कोशिश
20 मई को पांचवे चरण में उत्तर प्रदेश के मोहनलालगंज, लखनऊ, रायबरेली, कौशांबी, बाराबंकी, फैजाबाद, कैसरगंज ,अमेठी, जालौन, झांसी, हमीरपुर, बांदा, फेतहपुर, और गोंडा में चुनाव होंगे. वहीं छठे चरण में भी सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, फूलपुर, इलाहाबाद, अंबेडकरनगर, श्रावस्ती, डुमरियागंज, बस्ती, संत कबीर नगर, लालगंज, आजमगढ़, जौनपुर, मछली शहर और भदोही लोकसभा सीट पर चुनाव होंगे. ये वो सीटें हैं जिन सीटों पर ओबीसी आबादी की संख्या कई जगहों पर 60 प्रतिशत से भी अधिक है. प्रधानमंत्री अपने प्रस्तावकों के माध्यम से इन सीटों के मतदाताओं को संदेश देना चाहते हैं.
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