संविधान यात्रा और दिवस से PM मोदी ने की नई शुरुआत : NDTV India संवाद कार्यक्रम में बोले किरेन रिजिजू

किरेन रिजिजू ने कहा- कहा कि सन 1976 में संविधान पर सबसे बड़ा हमला किया गया था. संविधान में कही गई बातों का पालन करेंगे तो भारत विकसित होगा

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केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने NDTV India संवाद कार्यक्रम, संविधान @75 को संबोधित किया.
नई दिल्ली:

केंद्रीय मंत्री-संसदीय मामले और अल्पसंख्यक मामले, किरेन रिजिजू ने NDTV India संवाद कार्यक्रम, संविधान @75 में कहा कि, ''संविधान इस रूप में 26 नवंबर 1949 को आया था. दो दिन बाकी हैं, 75 साल पूरे हो जाएंगे. दो दिन के बाद जब हम संविधान दिवस मनाएंगे. मुझे लगता है कि 75 साल बाद हमें खुद भी आकलन करना है कि संविधान ने हमारे देश को किस रूप में बनाया है. एक नागरिक होने के नाते हम संविधान को किस तरीके से देखते हैं. आगे हमारा क्या विचार है.'' उन्होंने कहा कि,  संविधान यात्रा और दिवस से पीएम मोदी ने नई शुरुआत की. 

किरेन रिजिजू ने कहा कि, ''संविधान भले ही एक किताब है, लेकिन यह हमारे जीने की एक शैली भी होनी चाहिए. संविधान के बारे में बहुत सारे लोगों ने बहुत अच्छे विचार समय-समय पर रखे हैं. संसदीय कार्यप्रणाली जो हमारे हाथ में है, इसने संविधान की समय-समय पर व्याख्या की है. संविधान संशोधन समय-समय पर होते आए हैं. कुछ जजमेंट सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से आए हैं, जिनमें कुछ पाबंदियां भी लगाई गई हैं.''

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उन्होंने कहा कि, ''यह तो सबको मालूम है कि संविधान स्टेटिक नहीं है, संविधान एक जर्नी है. इस सफर में कई बदलाव होते आए हैं और आगे भी होते रहेंगे. लोकतंत्र में कोई भी चीज स्थायी नहीं होती है, लेकिन कुछ मूल चीजें स्थायी होती हैं. उनमें छेड़छाड़ करनी भी नहीं चाहिए. मैंने देश के कानून मंत्री के रूप में भी काम किया है. कई विभागों को हमने देखा है. पूरा ज्ञान हमारे पास नहीं है कि संविधान बनाते समय क्या हुआ था? कुछ छोटी, कुछ बड़ी घटनाएं भी हैं. कई चीजें हैं जो हमारे सामने उभरकर नहीं आई हैं.''

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उन्होंने कहा कि, ''हमारे पास संविधान की मोटी सी किताब है, जो हाथ से लिखी हुई है. उसमें जैसी हैंडराइटिंग है वैसी मैंने आज तक नहीं देखी. जब संविधान तैयार कर रहे थे, तब संविधान निर्माताओं के मन में क्या था? उनके मन में कुछ तो होगा जो आज हम इस रूप में संविधान को देख रहे हैं. इसकी लीगेसी क्या है, इसकी आगे की जर्नी क्या है... एक किताब बम परसों लोकार्पित करने वाले हैं, माननीय राष्ट्रपति के हाथों, हम दो किताबें रिलीज करेंगे. एक में संविधान की झलक होगी, जिसमें होगा कि, संविधान की प्रेरणा कहां से मिली. संविधान के हर पन्ने पर अलग-अलग चित्र हैं. हमारा सिविलाइजेशन हैरिटेज, कहां-कहां से किस तस्वीर को किस चैप्टर में डाला गया है.. फंडामेंटल राइट्स में यदि गीता से कोई तस्वीर डाली है तो क्यों डाली गई है. हर पन्ने में, हर चैप्टर में कारण है. संविधान निर्माताओं ने बहुत बारीकी से हर पहलू को देखकर संविधान का निर्माण किया.'' 

रिजिजू ने कहा कि, ''मैं लोगों से मिलता हूं, लगभग 30 साल से सक्रिय राजनीति में हूं, सात चुनाव लड़ चुका हूं. आम लोगों को संविधान की मूल भावना और संविधान के पीछे की बातों की जानकारी नहीं है. संविधान को जन-जन तक पहुंचाना चाहिए. नागरिकों को मालूम होना चाहिए कि संविधान का मूल भाव क्या है. नौ दिसंबर 1947 को पहली बार संविधान सभा की बैठक हुई थी. वह स्वतंत्र भारत की यात्रा की शुरुआत थी. इसमें 389 सदस्य थे. इनकी नियुक्ति की गई थी और इन्हें अलग-अलग समूहों में बांटा गया था. 292 सदस्यों को ब्रिटिश इंडियन प्रॉविंस की ओर से नियुक्त किया गया था. 93 मैंबर प्रिंसली स्टेट से नियुक्त किए गए थे. चीफ कमिश्नर प्रॉविंस से 4 मेंबर नियुक्त किए गए थे. जब अगस्त 1947 के बाद देश का विभाजन हो गया, तो सदस्यों की संख्या 389 से 299 हो गई. मुस्लिम लीग इस कमेटी से अलग हो गई और उन्होंने अलग राष्ट्र बनाया. उस समय डायरेक्ट इलेक्शन नहीं हुए थे, सब इनडायरेक्टली इलेक्टेड थे प्रॉवेंशियल लेजिस्लेटिव असेंबली से. बाद में जब ड्रॉफ्टिंग कमेटी का गठन हुआ.''    
             
किरेन रिजिजू ने कहा कि, ''एनडीटीवी ने जो कार्यक्रम रखा है, यह बहुत सही समय पर और बहुत ही उपयोगी कार्यक्रम है. उन्होंने कहा कि सन 1976 में संविधान पर सबसे बड़ा हमला किया गया था. संविधान में कही गई बातों का पालन करेंगे तो भारत विकसित होगा.''

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