"भारत के लिए बड़ा कदम": PM मोदी ने गुजरात में रखी 22,000 करोड़ की विमान परियोजना की आधारशिला

देश में यह अपनी तरह की पहली परियोजना है जिसमें एक सैन्य विमान का विनिर्माण निजी कंपनी की तरफ से किया जाएगा. इस संयंत्र में बनने वाले इस मध्यम परिवहन विमानों की आपूर्ति भारतीय वायुसेना को की जाएगी.

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PM मोदी ने कहा कि भारत को दुनिया का बड़ा मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए हम बड़े कदम उठा रहे हैं.

नई दिल्‍ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने रविवार को गुजरात के वडोदरा में भारतीय वायुसेना के लिए सी-295 परिवहन विमान बनाने वाले संयंत्र की आधारशिला रखी. इन विमानों का उत्पादन टाटा समूह और एयरबस का गठजोड़ करेगा. इस मौके पर संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि यह विमानन क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भारत का बड़ा कदम है. देश में यह अपनी तरह की पहली परियोजना है जिसमें एक सैन्य विमान का विनिर्माण निजी कंपनी की तरफ से किया जाएगा. इस संयंत्र में बनने वाले इस मध्यम परिवहन विमानों की आपूर्ति भारतीय वायुसेना को की जाएगी. इसके अलावा विदेशी बाजारों को भी ये विमान भेजे जाएंगे. 

इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि भारत ट्रांसपोर्ट प्लेन का एक्सपोर्ट करेगा. यहां पर पैसेंजर एयरक्राफ्ट भी बनेगा. साथ ही उन्‍होंने वड़ोदरा के एविएशन हब बनेगा और इस प्रोजेक्ट से 100 से ज्‍यादा एमएसएमई भी जुड़ेंगे. 

पीएम मोदी ने कहा कि पहले की सरकार में माइंड सेट समस्याओ को टालने वाला था और जरूरतों को नजरअंदाज किया गया. उन्‍होंने कहा कि आज का भारत नए सोच के साथ काम करता है. 

उन्‍होंने कहा कि आज भारत को दुनिया का बड़ा मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए हम बड़ा कदम उठा रहे हैं. भारत आज अपना फाइटर प्लेन बना रहा है.  टैंक बना रहा है, सबमरीन बना रहा है. 

उन्‍होंने कहा कि यहां बनने वाले ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट हमारी सेना को तो ताकत देंगे ही, साथ ही इससे एयरक्रॉफ्ट मैन्‍युफैक्‍चरिंग के लिए एक नए इकोसिस्टम भी विकसित होगा. उन्‍होंने कहा कि अनुमान है कि आने वाले 10-15 वर्षों में भारत को 2000 से ज्‍यादा पैसेंजर और कार्गो एयरक्राफ्ट की जरूरत होगी. इस बड़ी डिमांड को पूरा करने के लिए भारत अभी से तैयारी कर रहा है. 

गत वर्ष सितंबर में भारत ने प्रमुख विमान विनिर्माता कंपनी एयरबस डिफेंस एंड स्पेस के साथ 21,935 करोड़ रुपये मूल्य का समझौता किया था जिसके तहत वायुसेना के पुराने पड़ चुके परिवहन विमान एवरो-748 की जगह लेने के लिए एयरबस से 56 सी-295 विमानों की खरीद का प्रावधान था. 

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इस समझौते के तहत एयरबस स्पेन के सेविले स्थित अपनी असेंबली इकाई से 16 विमानों को पूरी तरह तैयार स्थिति में चार साल के भीतर भारत को सौंपेगा. बाकी 40 विमानों को भारत में ही टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (टीएएसएल) के सहयोग से बनाया जाएगा. 

समझौते के मुताबिक, उड़ान के लिए तैयार 16 विमानों को सितंबर, 2023 से लेकर अगस्त, 2025 के बीच भारतीय वायुसेना को सौंप दिया जाएगा. 

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वहीं भारत में स्थानीय स्तर पर बनने वाले पहले सी-295 विमान के वडोदरा विनिर्माण संयंत्र में सितंबर, 2026 तक बनकर तैयार हो जाने की संभावना है। बाकी 39 विमानों को अगस्त, 2031 तक बनाए जाने का लक्ष्य रखा गया है. 

टाटा समूह और एयरबस के इस विमान विनिर्माण संयंत्र की आधारशिला रखे जाने के कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी शामिल हुए. 

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इस मौके पर भारतीय वायुसेना के अधिकारियों ने कहा कि इस संयंत्र में बनने वाला विमान उन्नत लैंडिंग ग्राउंड के अलावा आधी-अधूरी हवाई-पट्टियों से भी उड़ान भर पाने में सक्षम होगा. 

भारतीय वायुसेना को मिलने वाले सभी सी-295 विमान स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर प्रणाली से लैस होंगे जिसका विकास भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड मिलकर करेंगे. 

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एयरबस का यह मध्यम परिवहन विमान पहली बार यूरोप से बाहर किसी देश में बनाया जाएगा. 

भारतीय वायुसेना के लिए निर्धारित विमानों की आपूर्ति करने के बाद एयरबस को इस संयंत्र में तैयार विमानों को दूसरे देशों के असैन्य विमान परिचालकों को भी बेचने की इजाजत होगी. हालांकि, दूसरे देशों में इन विमानों की मंजूरी के पहले एयरबस को भारत सरकार से मंजूरी लेनी होगी. 

इस मौके पर रक्षा सचिव अजय कुमार ने कहा कि इस विमान के विनिर्माण में लगने वाले स्वदेशी उपकरणों का अधिकतम इस्तेमाल किया जाएगा. उन्होंने कहा कि वडोदरा संयंत्र में एयरबस अपने विदेशी संयंत्र का करीब 96 प्रतिशत उत्पादन कार्य कर सकेगी. 

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