पर्यावरण संरक्षण में दुनिया का नेतृत्व कर रहे हैं पीएम मोदी : अमित शाह

विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के सांसद के आरोपों का जवाब देते हुए गृह मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष कांग्रेस के समय में बना था और पीएम केयर प्रधानमंत्री मोदी के शासन में बना है. कांग्रेस के शासन में एक परिवार का ही नियंत्रण होता था. सरकारी फंड में कांग्रेस के अध्यक्ष सदस्य होते थे.

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केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा कि एक बात पूरी दुनिया निर्विवाद रूप से स्वीकार कर चुकी है कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर्यावरण के संरक्षण में पूरी दुनिया का नेतृत्व कर रहे हैं. इसी कारण उन्हें संयुक्त राष्ट्र ने 'चैंपियंस ऑफ अर्थ' की उपाधि देकर सम्मानित किया है. आपदा प्रबंधन संशोधन विधेयक, 2024 पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री ने यह बात कही. बाद में विधेयक सदन में पारित हो गया. इसे लोकसभा की मंजूरी पहले ही मिल चुकी है.

गृह मंत्री ने बताया कि एनडीआरएफ ने 'वसुधैव कुटुम्बकम्' की भावना को ध्यान में रखते हुए 2015 में नेपाल के भूकंप में ऑपरेशन मैत्री, 2018 में ऑपरेशन समुद्र मैत्री इंडोनेशिया, 2023 में ऑपरेशन दोस्त के तहत तुर्की और सीरिया, ऑपरेशन करुणा म्यांमार और ऑपरेशन सद्भाव के तहत वियतनाम में आपदा प्रबंधन का कार्य किया. इन सभी देशों की न केवल सरकारों ने बल्कि वहां की जनता ने भी एनडीआरएफ और प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा की.

विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के सांसद के आरोपों का जवाब देते हुए गृह मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष कांग्रेस के समय में बना था और पीएम केयर प्रधानमंत्री मोदी के शासन में बना है. कांग्रेस के शासन में एक परिवार का ही नियंत्रण होता था. सरकारी फंड में कांग्रेस के अध्यक्ष सदस्य होते थे.

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उन्होंने कहा कि हमने भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा को इसका सदस्य नहीं बनाया. हमारे यहां प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, गृह मंत्री, वित्त मंत्री पदेन सदस्य हैं. प्रधानमंत्री राहत कोष से राजीव गांधी फाउंडेशन को फंड दिया गया, जिसे तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष और उनका परिवार चलाता है. हमने फंड का इस्तेमाल कोरोना महामारी, आपदा राहत, ऑक्सीजन प्लांट, गरीबों को सहायता, टीकाकरण और वेंटिलेटर के लिए किया.

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आपदा प्रबंधन संशोधन विधेयक पर बोलते हुए अमित शाह ने बताया कि 2004 से 2014 तक एसडीआरएफ का बजट 38 हजार करोड़ रुपये था.वर्ष 2014 से 2024 के बीच इस बजट को बढ़ाकर एक लाख 24 हजार करोड़ रुपये किया गया. वहीं, 2004 से 2014 तक एनडीआरएफ को 28 हजार करोड़ रुपये मिले जबकि अगले 10 साल में एनडीआरएफ को करीब 80 हजार करोड़ रुपये मिले हैं. दोनों का संयुक्त बजट 66,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर दो लाख करोड़ रुपये से अधिक कर दिया गया है.

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उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने 250 करोड़ रुपये का नेशनल डिजास्टर रिस्पांस रिजर्व बनाया है. साल 2016 में पहला नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान जारी हुआ. वर्ष 2018-19 में सुभाष चंद्र बोस डिजास्टर मैनेजमेंट अवॉर्ड की स्थापना की गई. नेशनल साइक्लोन रिस्क मिटिगेशन का पहला फेज ओडिशा और आंध्र प्रदेश में वर्ष 2018 में शुरू किया गया. उस समय ओडिशा और आंध्र प्रदेश दोनों में ही एनडीए की सरकार नहीं थी. बीते पांच साल में केंद्र ने 97 टीमें भेजकर तुरंत सहायता करने का प्रावधान किया.

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गृह मंत्री ने बताया कि एनडीआरएफ की 16 बटालियन कार्यरत हैं. आज एनडीआरएफ के भगवा रंग के कपड़े देखकर लोगों को शांति मिलती है. लोगों को लगता है कि ये आ गए हैं, अब हम बच जाएंगे. न केवल देश में बल्कि पूरी दुनिया में हमने काम किया है. आपदा प्रबंधन स्किल को बेहतर करने के लिए भारत ने जापान, तजाकिस्तान, मंगोलिया, इटली, मालदीव, उज्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और बांग्लादेश के साथ समझौता ज्ञापन किया है. इन सभी देशों की भौगोलिक परिस्थितियों में कोई न कोई ऐसा डिजास्टर है, जो भारत के अंदर भी संभव है. इस समझौते से यह होगा कि हमारे अभ्यास का लाभ उन्हें होगा और उनके यहां जो व्यवस्था है, उसे हमारे यहां लाने के लिए हमने काम किया है। इन देशों के साथ अंतर्राष्ट्रीय गोष्ठियां भी आयोजित की गई हैं, जहां आपदा प्रबंधन के विशेषज्ञों ने अपनी जानकारी साझा की.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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