सुर कोकिला लता मंगेशकर के पिता मास्टर दीनानाथ मंगेशकर की 80वीं पुण्यतिथी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मुंबई में लता दीनानाथ मंगेशकर अवार्ड आयोजन में हिस्सा लिया. इस दौरान पीएम को पहले लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया. जिसके बाद पीएम मोदी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मैं संगीत जैसे गहन विषय का जानकार तो नहीं हूं, लेकिन सांस्कृतिक बोध से मैं ये महसूस करता हूं कि संगीत एक साधना भी है और भावना भी. जो अव्यक्त को व्यक्त कर दे- वो शब्द है. जो व्यक्त में ऊर्जा का, चेतना का संचार कर दे- वो नाद है. और जो चेतन में भाव और भावना भर दे, उसे सृष्टि और संवेदना की पराकाष्ठा तक पहुंचा दे- वो संगीत है. संगीत से आपमें वीररस भरता है. संगीत मातृत्व और ममता की अनुभूति करवा सकता है. संगीत आपको राष्ट्रभक्ति और कर्तव्यबोध के शिखर पर पहुंचा सकता है.
पीएम मोदी ने कहा कि हम सब सौभाग्यशाली हैं कि हमने संगीत की इस सामर्थ्य को, इस शक्ति को लता दीदी के रूप में साक्षात देखा है. हमें अपनी आंखों से उनके दर्शन करने का सौभाग्य मिला. मेरे लिए तो ये अनुभव और भी कहीं बढ़कर रहा है. मेरे लिए लता दीदी सुर साम्राज्ञी के साथ साथ मेरी बड़ी बहन भी थीं. पीढ़ियों को प्रेम और भावना का उपहार देने वाली लता दीदी से अपनी बहन जैसा प्रेम मिला हो, इससे बड़ा सौभाग्य और क्या होगा.
उन्होंने कहा कि पुरस्कार जब लता दीदी जैसी बड़ी बहन के नाम से हो, तो मेरे लिए उनके अपनत्व और प्यार का ही एक प्रतीक है. इसलिए, मना करना मेरे लिए मुमकिन ही नहीं है. मैं इस पुरस्कार को सभी देशवासियों के लिए समर्पित करता हूं. वीर सावरकर ने ये गीत अंग्रेजी हुकूमत को चुनौती देते हुए लिखा था. ये साह, ये देशभक्ति, दीनानाथ जी ने अपने परिवार को विरासत में दी थी. संगीत के साथ साथ राष्ट्रभक्ति की जो चेतना लता दीदी के भीतर थी, उसका स्रोत उनके पिताजी ही थे. आज़ादी की लड़ाई के दौरान शिमला में ब्रिटिश वायसराय के कार्यक्रम में दीनानाथ जी ने वीर सावरकर का लिखा गीत गया था. उसकी थीम पर प्रदर्शन किया था.
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