जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में पीएम केयर्स फंड (PM Cares Fund) के तहत 100 से अधिक वेंटिलेटर (Ventilators) ट्रायल के दौरान खराब और "क्रिटिकल केयर के लिए अनुपयुक्त" पाए गए हैं. इन वेंटिलेटर्स की आपूर्ति श्रीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज को की गई थी. वेंटिलेटर का निर्माण तीन अलग-अलग कंपनियों द्वारा किया गया था. डॉक्टरों के मुताबिक हर मशीन पर ट्रायल रन नहीं किया जाता है. प्रत्येक कंपनी के लिए गुणवत्ता की जांच के लिए कुछ मशीनों पर परीक्षण किए जाते हैं. सरकार ने कहा कि जिम्मेदारी तय करने के लिए जांच के आदेश दिए जाएंगे.
सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत एक प्रश्न के जवाब में पता चला कि मेडिकल कॉलेज को कोरोना महामारी की दूसरी लहर से निपटने के लिए पीएम केयर्स फंड के तहत वेंटिलेटर प्राप्त हुए थे. आरटीआई के जवाब में अस्पताल के एनेस्थेसियोलॉजी और क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग ने उन तकनीकी समस्याओं को बताया, जो मशीनों को क्रिटिकल केयर मैनेजमेंट के उपयोग के लिए अनुपयुक्त बनाती हैं.
37 भारत वेंटिलेटर में कंप्रेसर/बहुत अधिक गर्म होने की समस्या थी और ये अचानक बंद हो जाते थे. जिसके बाद मशीनों को वापस कर दिया गया. तीन Agva वेंटिलेटर अन्य समस्याओं के कारण काम नहीं कर रहे हैं. डिस्प्ले ठीक से काम नहीं करना और टाइडल वॉल्यूम (फेफड़ों में हवा की मात्रा) जैसे समस्या देखी गई है.
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation) अस्पताल में जिन 125 वेंटिलेटरों का परीक्षण किया गया, उनमें से दो में टाइडल वॉल्यूम और ऑक्सीजन के प्रवाह की समस्या देखी गई. यह भी देखा गया कि वेंटिलेटर अपने आप बंद हो जाते थे, जिससे मरीजों को खतरा हो सकता है.
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सरकार ने कहा है कि जांच के आदेश दिए जाएंगे. अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य विवेक भारद्वाज ने एनडीटीवी को बताया, "इस वक्त मैं केवल यह कह सकता हूं कि हम इसकी जांच करेंगे. यह पता लगाने के लिए जांच का आदेश दिया जाएगा कि खराब वेंटिलेटर की आपूर्ति क्यों की गई."
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