"एक पेड़ अपनी मां के नाम पर जरूर लगाएं...", 'मन की बात' में पीएम नरेंद्र मोदी की अपील

Mann ki Baat: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहा कि चुनाव में लोगों ने संविधान, लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अपना अटूट भरोसा जताया.

Advertisement
Read Time: 4 mins
पेड़ लगाने से धरती मां की रक्षा होगी- PM मोदी
नई दिल्‍ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव के बाद किये गए पहले 'मन की बात' रेडियो प्रोग्राम के 111वें एपिसोड में कहा कि मैंने कहा था, चुनाव नतीजों के बाद फिर मिलूंगा, उम्‍मीद करता हूं कि आप सब अच्‍छे होंगे. मैंने विदा लिया था, फिर मिलने के लिए. इस बीच मुझे आप लोगों के लाखों संदेश मिले. चुनाव के दौरान मन को छू लेने वाली कई खबरें आईं. 65 करोड़ लोगों ने चुनाव में वोट डाला. इसके साथ ही पीएम मोदी ने देशवासियों से अपील की है कि एक पेड़ अपने नाम पर जरूर लगाएं. पेड़ लगाने से धरती मां की रक्षा होगी.  

2024 का चुनाव, दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव था...

देश की लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं को लेकर पीएम मोदी ने कहा, "मैं आज देशवासियों को धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने हमारे संविधान और देश की लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं पर अपना अटूट विश्वास दोहराया है. 2024 का चुनाव, दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव था. दुनिया के किसी भी देश में इतना बड़ा चुनाव कभी नहीं हुआ. मैं चुनाव आयोग और मतदान की प्रकिया से जुड़े हर व्यक्ति को इसके लिए बधाई देता हूं."

'एक पेड़ माँ के नाम'

मां के रिश्‍ते और पर्यावरण पर पीएम मोदी ने कहा, "मैं आपसे पूछूं कि दुनिया का सबसे अनमोल रिश्ता कौन सा होता है तो आप जरूर कहेंगे - “माँ”. हम सबके जीवन में 'माँ' का दर्जा सबसे ऊंचा होता है. माँ हर दुख सहकर भी अपने बच्चे का पालन-पोषण करती है. हर माँ अपने बच्चे पर हर स्नेह लुटाती है. जन्मदात्री माँ का ये प्यार हम सब पर एक कर्ज की तरह होता है जिसे कोई चुका नहीं सकता. हम माँ को कुछ दे तो सकते नहीं, लेकिन और कुछ कर सकते हैं क्या? इसी सोच में से इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर एक विशेष अभियान शुरू किया गया है, इस अभियान का नाम है - 'एक पेड़ माँ के नाम'. मैंने भी एक पेड़ अपनी माँ के नाम लगाया है.

Advertisement

जब आदिवासी भाई-बहनों ने उठाए थे अंग्रेजों के खिलाफ हथियार 

'हूल दिवस' का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा, "आज 30 जून का ये दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है. इस दिन को हमारे आदिवासी भाई-बहन 'हूल दिवस' के रूप में मनाते हैं. यह दिन वीर सिद्धो-कान्हू के अदम्य साहस से जुड़ा है, जिन्होंने विदेशी शासकों के अत्याचार का पुरजोर विरोध किया था. आपको जानकर हैरानी होगी कि ये 1855 में हुआ था. यानि ये 1857 में भारत कें प्रथम स्‍वतंत्रता संग्राम से भी 2 साल पहले हुआ था. तब झारखंड के संथाल परगना में हारे आदिवासी भाई-बहनों ने विदेशी शासकों के खिलाफ हथियार उठा लिया था. 

पीएम मोदी ने बताई 'कार्थुम्बी छाते' की खासियत 

केरल में बनने वाले छातों का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा, "मन की बात में आज मैं आपको एक खास तरह के छातों के बारे में बताना चाहता हूं. ये छाते तैयार होते हैं हमारे केरला में. वैसे तो केरला की संस्कृति में छातों का विशेष महत्व है. छाते वहां कई परंपराओं और विधि-विधान का अहम हिस्सा होते हैं. लेकिन मैं जिस छाते की बात कर रहा हूं, वो हैं 'कार्थुम्बी छाते' और इन्हें तैयार किया जाता है केरला के अट्टापडी में. इन रंग-बिरंगे छातों को केरला की हमारी आदिवासी बहनें तैयार करती हैं. आज देशभर में इन छातों की मांग बढ़ रही हैं. इनकी ऑनलाइन बिक्री भी हो रही है. इन छातों को 'वट्टालक्की सहकारी कृषि सोसाइटी' की देखरेख में बनाया जाता है. इस सोसाइटी का नेतृत्व हमारी नारीशक्ति के पास है."

Advertisement

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश को उम्मीद है कि उसके खिलाड़ी ओलंपिक खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करेंगे, उन्होंने लोगों से खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाने के लिए ‘चीयर4भारत' हैशटैग का इस्तेमाल करने का आग्रह किया. आज दुनियाभर में हमारी संस्कृति का जिस तरह गौरवगान हो रहा है, उससे किस भारतीय को खुशी नहीं होगी.

Advertisement

ये भी पढ़ें :- रोहित और विराट से लेकर राहुल द्रविड़ तक, टीम इंडिया के दमदार प्रदर्शन को देख मंत्रमुग्ध हुए पीएम मोदी

Advertisement
Featured Video Of The Day
Hathras Stampede Case: यौन शोषण के आरोप में जेल काटने वाला भोले बाबा कैसे बन गया हाथरस का हत्यारा?