तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में PIL दाखिल

याचिका में कहा गया है कि तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों ने लगातार केंद्र सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति का विरोध किया है और कहा है कि वे इसे स्वीकार नहीं कर सकते.

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केंद्र सरकार ने 2020 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP)  को लागू किया था. इस नीति का मकसद देश में शिक्षा को बेहतर बनाना और उसे विनियमित करना है. यह नीति, ग्रामीण और शहरी भारत में प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक को कवर करती है. लेकिन 5 साल बीतने के बाद भारत के तीन राज्यों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति अभी तक लागू नहीं की जा सकी है. इन राज्यों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति की त्रि-भाषा पाठ्यक्रम को लागू करने की मांग वाली एक जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई है. बताया जा रहा है कि इस याचिका पर जल्द ही सुनवाई होगी.

दरअसल बीजेपी के वकील जीएस मणि  ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. याचिका में बताया गया कि तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल को छोड़कर सभी राज्य सरकारों ने केंद्र सरकार की सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय शिक्षा नीति, त्रि-भाषा पाठ्यक्रम नीति को अपनाया और लागू किया है. 

तीनों राज्यों ने शिक्षा नीति का किया है विरोध

याचिका में कहा गया है कि तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों ने लगातार केंद्र सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति का विरोध किया है और कहा है कि वे इसे स्वीकार नहीं कर सकते. इस संदर्भ में, भाजपा के वकील जीएस मणि ने तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल की सरकारों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है.

याचिका में कहा गया है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति केंद्र सरकार द्वारा लाई गई एक प्रमुख शिक्षा नीति योजना है जिसका उद्देश्य सभी क्षेत्रों के छात्रों के लिए स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना है. गरीब, अनुसूचित, जनजाति, पिछड़े और सबसे पिछड़े वर्ग के बच्चों को सभी भारतीय भाषाएं मुफ्त में पढ़ाई जानी चाहिए. 

हिंदी थोपने का आरोप लगा कर रहे विरोध

तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल की राज्य सरकारें राजनीतिक कारणों से इस नेक योजना को स्वीकार करने से इनकार कर रही हैं और हिंदी थोपने का झूठा कारण बता रही हैं. केंद्र सरकार के कानून, योजनाएं और नीतियां सभी राज्य सरकारों पर लागू होती हैं. ऐसी नीति को लागू करना राज्य सरकार का कर्तव्य है. 
यह संविधान में दिया गया मौलिक कर्तव्य और अधिकार है. 

निःशुल्क शिक्षा संविधान द्वारा मौलिक अधिकार

याचिका में लिखा गया कि निःशुल्क शिक्षा संविधान द्वारा दिया गया मौलिक अधिकार है. याचिका में कहा गया है कि इस योजना को स्वीकार करने से इनकार करके राज्य सरकार संबंधित स्कूली बच्चों को निःशुल्क शिक्षा के मौलिक अधिकार से वंचित कर रही है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और इन तीनों राज्य सरकारों को केंद्र सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति, त्रिभाषी पाठ्यक्रम को तुरंत लागू करने का आदेश जारी करना चाहिए. बताया जा रहा है कि इस याचिका पर जल्द ही सुनवाई होगी.

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