फर्जी दस्तावेज पर अब सीधे एक्शन, नकली और घटिया दवाई बनाने वाली कंपनियों का लाइसेंस होगा रद्द

सरकार ने औषधि नियम 1945 की कई धाराओं जैसे 29बी, 66बी, 84एफ, 93ए, 122डीबीए, 122क्यू और 150एल में संसोधन किए हैं. अब अगर कोई कंपनी फर्जी जानकारी और दस्तावेजों का हेरफेर करती पाई गई तो उसे कारण बताओ नोटिस देने के बाद प्रतिबंधित किया जा सकेगा. यानी, कंपनी के अपने दस्तावेज ही उसके खिलाफ सबूत बन जाएंगे.

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प्रतिबंध की अवधि कितनी रहेगी, यह संबंधित अधिकारी तय करेगा.
नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने औषधि नियमों में नया प्रावधान जोड़ते हुए "एक फर्जी दस्तावेज एक प्रतिबन्ध नीति" लागू की है. इसके तहत अब नकली और घटिया दवाओं का निर्माण करने वाली कंपनियों का केंद्र सरकार सीधा लाइसेंस निरस्त या रद्द करेगी. सरकार ने औषधि नियम, 1945 (Drugs Rules, 1945) में संशोधन किया गया है, जिसके तहत अगर कोई भी फॉर्मा कंपनी दवा निर्माण, बिक्री या पंजीकरण के लिए फर्जी दस्तावेजों या गलत जानकारी देती है, तो उसका लाइसेंस रद्द किया जाएगा. 

फर्जी दस्तावेज देने पर होगी कार्रवाई 

केंद्रीय स्वस्थ्य मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, फर्जी दस्तावेज का मामला सामने आने पर कंपनी को लाइसेंस प्राधिकारी नोटिस भेजकर कारण पूछेगा और अगर जवाब सही नहीं लगा तो उसका दवा निर्माण या बिक्री का लाइसेंस अस्थायी रूप से निलंबित या रद्द कर दिया जाएगा. हालांकि, प्रतिबंध की अवधि कितनी रहेगी, यह संबंधित अधिकारी तय करेगा.

कानून में क्यों किया गया संसोधन?

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि संसोधन के पीछे मुख्य उद्देश्य दवा उद्योग में फर्जी दस्तावेज और गलत जानकारी देने की प्रवृत्ति पर रोक लगाना. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में कई ऐसी घटनाएं सामने आईं जिसमें कंपनियों ने दवा निर्माण या रजिस्ट्रेशन की झूठी जानकारी दी. इससे न सिर्फ दवाओं की गुणवत्ता पर असर पड़ा बल्कि लोगों की सेहत पर भी खतरा हुआ. उदाहरण के तौर पर, मध्य प्रदेश में कफ सिरप से बच्चों की मौत के मामले में तमिलनाडु की श्री सन फार्मा कंपनी ने झूठे दस्तावेजों के आधार पर लाइसेंस नवीनीकरण कराया था. ऐसे मामलों के बाद सरकार ने नियमों को और सख्त करने का फैसला लिया. अधिकारी ने कहा कि नियमों में संसोधन के बाद अब किसी भी निर्माता, वितरक या दवा कंपनी पर एक्शन लिया जा सकेगा.

कंपनी के दस्तावेज ही बनेंगे कार्रवाई का आधार 

सरकार ने औषधि नियम 1945 की कई धाराओं जैसे 29बी, 66बी, 84एफ, 93ए, 122डीबीए, 122क्यू और 150एल में संसोधन किए हैं. अब अगर कोई कंपनी फर्जी जानकारी और दस्तावेजों का हेरफेर करती पाई गई तो उसे कारण बताओ नोटिस देने के बाद प्रतिबंधित किया जा सकेगा. यानी, कंपनी के अपने दस्तावेज ही उसके खिलाफ सबूत बन जाएंगे.

किन पर लागू होंगे नए नियम?

सरकार की अधिसूचना के अनुसार, नए नियम दवा निर्माण वाली कंपनियां, दवा की बिक्री और वितरण करने वाली एजेंसियां, अनुसंधान और परीक्षण संस्थान के साथ ही नई दवाओं या वैक्सीन के लिए आवेदन करने वाली कंपनियां पर भी लागू होगा. 

सुनवाई और अपील का रहेगा अधिकार

दोषी ठहरई गई कंपनी या व्यक्ति अगर लाइसेंस प्राधिकारी के निर्णय से असहमत हैं तो उन्हें अपनी बात रखने का पूरा मौका मिलेगा. वह 30 दिनों के भीतर अपनी अपील राज्य या केंद्र सरकार के पास कर सकता है, जो जांच और सुनवाई के बाद अंतिम फैसला देगी.

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फार्मा सेक्टर पर पड़ेगा असर

सरकार का मानना है कि इन नियमों से फार्मा कंपनियों में पारदर्शिता बढ़ेगी और फर्जी सूचना देने की प्रवृत्ति रुकेगी.
अब हर दवा कंपनी को अपने दस्तावेजों की सत्यता साबित करनी होगी. इस कदम से दवा उद्योग में “एक फर्जी दस्तावेज एक प्रतिबंध” की नीति लागू हो जाएगी. सरकार को उम्मीद है कि इससेना सिर्फ फर्जीवाड़ा रुकेगा बल्कि देश की दवा नियामक प्रणाली और भी मजबूत और भरोसेमंद बनेगी.

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