दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने बृहस्पतिवार को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातक स्तर (नीट-यूजी) के अनेक अभ्यर्थियों ने 17 जुलाई को होने वाली वर्ष 2022 की परीक्षा को स्थगित करने का अनुरोध किया था. अदालत ने कहा कि याचिका विचारणीय नहीं है और चूंकि याचिकाकर्ता छात्र हैं, इसलिए वह उनके साथ कठोर रुख नहीं अपना रही. न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने कहा, "अगर कोई और होता तो अदालत याचिका खारिज करने के साथ भारी जुर्माना लगाती."
उच्च न्यायालय ने कहा कि अगर भविष्य में इस तरह के मामले दायर किये जाते हैं तो वह जुर्माना लगाने में संकोच नहीं करेगा. अदालत ने याचिकाकर्ताओं के वकील से अंतिम क्षण में आने पर भी सवाल पूछा क्योंकि स्नातक स्तर के चिकित्सा और दंत-चिकित्सा पाठ्यक्रमों के लिए परीक्षा 17 जुलाई को होनी है.
याचिकाकर्ताओं ने नीट-यूजी प्रवेश परीक्षा रद्द कर इसे चार से छह सप्ताह बाद कराने का अनुरोध किया था. इसके लिए उन्होंने अनेक आधार गिनाये जिनमें यह भी था कि नीट, जेईई और केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) का कार्यक्रम ‘अव्यवस्थित' है और इससे अभ्यर्थियों को मानसिक सदमा पहुंचा है और 16 विद्यार्थियों के आत्महत्या के मामले सामने आये हैं. याचिका में कहा गया कि बोर्ड परीक्षा जून 2022 के मध्य में समाप्त हुई और छात्रों को तैयारी के लिए पर्याप्त समय मिले बिना तीन राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए मजबूर कर दिया गया है.
ये भी पढ़ें:
- "अब 'मुख्य आर्थिक ज्योतिषी' नियुक्त कर लें"- चिदंबरम का वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर तंज
- "यूपी में मेरे खिलाफ दर्ज 6 FIR हों रद्द", मोहम्मद जुबैर ने सुप्रीम कोर्ट से की अपील
- जून में घटी थोक महंगाई, लेकिन लगातार 15 महीनों से 10% के ऊपर चल रहा है आंकड़ा
"दिल्ली कोर्ट में जुबैर की जमानत पर सुनवाई, शुक्रवार को आएगा फैसला