फिल्म 'द केरल स्टोरी' का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. जमीयत उलेमा ए हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर फिल्म पर रोक लगाने की मांग की है. अपनी याचिका में जमीयत उलेमा ए हिंद ने कहा कि यह फिल्म पूरे मुस्लिम समुदाय को बदनाम करती है. इसके परिणामस्वरूप हमारे देश में याचिकाकर्ताओं और पूरे मुस्लिम समुदाय के जीवन और आजीविका को खतरा होगा. उन्होंने कहा कि यह समानता और जीने के अधिकार के तहत सीधा उल्लंघन है. यह फिल्म 5 मई को रिलीज होने जा रही है.
जमीयत ने अपनी याचिका में कहा है कि यह फिल्म भारत में समाज के विभिन्न वर्गों के बीच नफरत पैदा कर सकती है और पूरे मुस्लिम समुदाय, विशेष रूप से मुस्लिम युवाओं को बदनाम करती है. इसका परिणाम हमारे देश में पूरे मुस्लिम समुदाय के जीवन और आजीविका को खतरे में डालेगा. उन्होंने इसके ट्रेलर को भी इंटरनेट से हटाने की मांग की है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट से कहा कि केंद्र सरकार को सिनेमाघरों, ओटीटी प्लेटफार्मों और ऐसी अन्य जगहों पर 'द केरल स्टोरी' नामक फिल्म की रिलीज/स्क्रीनिंग की अनुमति नहीं देने का निर्देश दें.
CBFC को निर्देश देने की मांग
साथ ही याचिका में कहा कि वैकल्पिक रूप से केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (Central Board of Film Certification) को परेशानी वाले सीन और संवादों की पहचान करने के लिए निर्देशित करें ताकि उन्हें 'केरल स्टोरी' से हटाया जा सके और वैकल्पिक रूप से निर्देशित करें कि 'द केरल स्टोरी' नामक फिल्म को एक डिस्क्लेमर के साथ रिलीज़ किया जाए, जिसमें कहा जाए कि यह काल्पनिक काम है और फिल्म के पात्रों का किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है.
केरल की 32 हजार लड़कियों की कहानी!
आपको बता दें कि केरल स्टोरी के ट्रेलर को डेढ़ करोड़ से ज्यादा बार देखा जा चुका है. फिल्म के ट्रेलर में ब्रेन वॉश, लव जिहाद, हिजाब और आईएसआईएस जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया है. फिल्म में दावा किया गया है कि यह केरल की उन 32 हजार लापता लड़कियों की कहानी है जिनका ब्रेनवॉश करके पहले उन्हें इस्लाम कबूल करने पर मजबूर किया गया और बाद में ISIS आतंकवादी बना दिया गया.
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