बाबरी मस्जिद विध्वंस के सभी 31 आरोपियों को बरी करने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर

Babri Masjid Demolition case : 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद गिरा दी गई थी. सीबीआई की विशेष अदालत ने 28 साल तक चले इस मुक़दमे का फैसला 30 सितंबर 2020 को दिया था.

विज्ञापन
Read Time: 10 mins
विशेष अदालत ने फैसले में कहा था कि बाबरी मस्जिद किसी साज़िश के तहत नहीं गिराई गई
लखनऊ:

बाबरी मस्जिद तोड़ने (Babri Masjid Demolition) के मामले में बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Adwani), मुरली मनोहर जोशी (Murli Manohar Joshi) समेत सारे 31 आरोपियों को बरी कर देने के खिलाफ शुक्रवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ बेंच में रिविज़न पेटिशन दाखिल की गई. याचिका बाबरी मस्जिद के पैरोकार रहे अयोध्या के हाजी महबूब ने दाखिल की है.

यह भी पढ़ें- बाबरी विध्वंस फैसले पर बोले असदुद्दीन ओवैसी - किसने गिराई मेरी मस्जिद, क्या जादू से गिर गई?

6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद गिरा दी गई थी. सीबीआई की विशेष अदालत ने 28 साल तक चले इस मुक़दमे का फैसला 30 सिंतबर 2020 को दिया था. इसमें सभी 31 आरोपियों को बरी कर दिया गया था. विशेष अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि बाबरी मस्जिद किसी साज़िश के तहत नहीं गिराई गई है, बल्कि ये कुछ असामाजिक तत्वों की करतूत का नतीजा है. अदालत ने यह भी कहा था कि जिन नेताओं को आरोपी बनाया गया है, उन्होंने मस्जिद टूटने से बचाने की कोशिश की थी. हाजी महबूब ने सीबीआई की इस विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ क़रीब 500 पेज की रिविज़न पिटिशन हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच की रजिस्ट्री में दाखिल की है. अदालत इसकी सुनवाई मंज़ूर करती है या नहीं, यह सोमवार को पता चल सकेगा.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Germany Christmas Market हमले में 7 भारतीयों के घायल होने की खबर | BREAKING NEWS