सभी मंदिरों में संस्कृत में पूजा होती है... भाषा से लेकर फर्जी वोटर, संसद में छिड़ा संग्राम

संसद के बजट सत्र का दूसरा फेज सोमवार को हंगामे के साथ शुरू हुआ. लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा- देशभर में वोटर लिस्ट पर सवाल उठ रहे हैं. पूरा विपक्ष बस यही कह रहा है कि वोटर लिस्ट पर चर्चा होनी चाहिए.

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नई दिल्ली:

संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण की सोमवार को शुरुआत हुई. दोनों ही सदनों में विपक्षी सदस्यों ने सरकार पर जमकर हमला बोला. राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), परिसीमन प्रक्रिया और तीन भाषा फार्मूले पर विपक्ष ने सदन में जमकर हंगामा किया.  विपक्षी दलों ने फर्जी वोटर मुद्दे पर चर्चा की मांग, NEP के अंतर्गत शिक्षा के निजीकरण, परिसीमन के जरिए राजनैतिक लाभ और तीन भाषा फार्मूले के मुद्दे पर सरकार पर निशाना साधा. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और डीएमके के सदस्यों ने लोकसभा और राज्यसभा में इस मुद्दे को उठाया. 

भाषा पर कुछ ऐसे हुआ संग्राम

लोकसभा में निशिकांत दुबे ने कहा कि डीएमके पार्टी केवल भावना भड़काने का काम कर रही है. तमिल सबसे पुरानी भाषा है, लेकिन संस्कृत उससे भी पुरानी भाषा है. तमिल के मंदिर में चले जाइए, तेलुगू के मंदिर में चले जाइए, कन्नड़ के मंदिर में चले जाइए, सभी जगह संस्कृत में ही पूजा होती है.

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति(NEP) पर डीएमके ने बोला हमला

राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर द्रमुक सदस्यों के हंगामे के कारण कार्यवाही आधे घंटे के लिए स्थगित करनी पड़ी. शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने विपक्षी दल पर तमिलनाडु के छात्रों के भविष्य को बर्बाद करने का आरोप लगाया. संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण की कार्यवाही सोमवार को शुरू हुई और लोकसभा में प्रश्नकाल का सामान्य तरीके से आरंभ हुआ, लेकिन पीएमश्री योजना को लेकर द्रमुक सांसद टी सुमति के पूरक प्रश्न पर शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के जवाब के बाद द्रमुक सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया.

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सुमति ने पीएमश्री योजना के तहत आरोप लगाया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को स्वीकार नहीं करने के कारण तमिलनाडु को पीएमश्री योजना के तहत आवंटित किए जाने वाले 2,000 करोड़ रुपये की केंद्रीय राशि अन्य राज्यों को हस्तांतरित कर दी गई है. उन्होंने कहा, ‘‘मैं (शिक्षा) मंत्री से पूछना चाहती हूं कि क्या स्कूली छात्रों की शिक्षा के लिए चिह्नित धन को राज्य के खिलाफ बदला लेने के औजार के तौर पर इस्तेमाल किया जाना चाहिए?''

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सुमति ने कहा, ‘‘मैं केंद्र सरकार से पूछना चाहती हूं कि क्या वह संसद को आश्वासन देगी कि कानून के तहत जिस नीति को लागू नहीं किया जा सकता, उसे स्वीकार नहीं करने के लिए किसी भी राज्य को धन की कटौती का सामना नहीं करना पड़ेगा?'' पूरक प्रश्न के उत्तर में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, ‘‘एक समय था जब तमिलनाडु सरकार केंद्र सरकार के साथ (एनईपी पर) एमओयू पर हस्ताक्षर करने को तैयार थी. तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री के साथ कुछ सदस्य हमारे पास आए थे और उन्होंने सहमति व्यक्त की थी.''

परिसीमन के मुद्दे पर विपक्ष का वॉकआउट

विपक्षी दलों ने मतदाता सूची में कथित हेराफेरी और लोकसभा सीटों के परिसीमन के मुद्दे पर सोमवार को राज्यसभा में हंगामा किया और आसन की ओर से इन मुद्दों पर कार्यस्थगन नियम के तहत चर्चा कराए जाने की मांग खारिज किए जाने के बाद उच्च सदन से बहिर्गमन किया. सदन के नेता और केंद्रीय मंत्री जे पी नड्डा ने विपक्षी सदस्यों के इस व्यवहार की निंदा की और आसन से आग्रह किया कि वह नेता प्रतिपक्ष सहित सभी सदस्यों को ‘रिफ्रेशर' कोर्स करवाएं. उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार किसी भी मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है, बशर्ते वे नियमों के तहत हों.

कार्यवाही आरंभ होते ही उपसभापति हरिवंश ने बताया कि उन्हें मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) क्रमांक के दोहराव, परिसीमन, भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए अमेरिका से धन दिये जाने सहित कुछ मुद्दों पर तत्काल चर्चा कराने के लिए नियम 267 के तहत 12 नोटिस मिले हैं. उन्होंने सभी नोटिस अस्वीकार कर दिए.

इसके बाद कांग्रेस और तृणमूल के नेतृत्व में विपक्षी सदस्यों आसन के निकट आ गए और हंगामा करने लगे. द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के सदस्य आसन के निकट आकर लोकसभा सीटों के परिसीमन से दक्षिण के राज्यों पर पड़ने वाले प्रभाव के मुद्दे पर हंगामा कर रहे थे. उपसभापति हरिवंश ने विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे को अपनी बात रखने की अनुमति दी. खरगे ने अभी उन्होंने बोलना शुरु ही किया था कि हरिवंश ने कहा कि वह खारिज किए जा चुके नोटिस से सबंधित मुद्दे नहीं उठा सकते. इसके बाद विपक्षी सांसदों ने कुछ देर तक विरोध प्रदर्शन किया और फिर सदन से बहिर्गमन किया.

सपा ने लोकसभा में उठाया पत्रकार की हत्या का मुद्दा

समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद आनंद भदौरिया ने उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में एक पत्रकार की हत्या का मुद्दा सोमवार को लोकसभा में उठाया और इस घटना की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कराने का आग्रह किया.  उत्तर प्रदेश के धौरहरा से लोकसभा सदस्य भदौरिया ने शून्यकाल में कहा कि उनके संसदीय क्षेत्र में पत्रकार राघवेंद्र वाजपेई की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई जिससे पता चलता है कि राज्य में कानून-व्यवस्था की क्या स्थिति है. उन्होंने कहा, ‘‘इस घटना की सीबीआई जांच होनी चाहिए.''सपा सांसद ने दिवंगत पत्रकार के परिवार की आर्थिक परिस्थिति का उल्लेख किया और कहा, ‘‘परिवार को 50 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए और उनकी पत्नी को सरकारी नौकरी मिले. ''

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