लश्कर और जैश के लड़ाकुओं को अफगानिस्तान में धकेल रहा है पाकिस्तान, तालिबान को दे रहा हर मदद

अफगानिस्तान में हुई लड़ाई में पाकिस्तान की मौजूदगी के पक्के निशान मिलते हैं. पाकिस्तानी सेना के एडवाइजर वहां मौजूद  हैं और तालिबान को गाइड कर रहे हैं और ऑपरेशन में मदद दे रहे हैं.

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तालिबान का साथ दे रहा है पाकिस्तान, सत्ता पर काबिज होने में ऐसे की मदद
नई दिल्ली:

अफगानिस्तान पर तालिबान ने कब्जा कर लिया है. अफगानिस्तान में पाकिस्तान की सक्रिय सहायता से आतंकवादी संगठनों को फिर से इकट्ठा किया जा रहा है. पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयब्बा और जैश-ए-मोहम्मद के लड़ाकुओं को अफगानिस्तान में धकेल रहा है. इन्हें हर तरह की सहायता दी जा रही है. लड़ाई में पाकिस्तान की मौजूदगी के पक्के निशान मिलते हैं. पाकिस्तानी सेना के एडवाइजर वहां मौजूद  हैं और तालिबान को गाइड कर रहे हैं और ऑपरेशन में मदद दे रहे हैं. पाकिस्तान जिहाद पर विचारधारा का साहित्य बना कर युवाओं को लड़ाई में शामिल करने के लिए उकसा रहा है. अफगानिस्तान के रक्षा मंत्रालय की ओर से नियमित जानकारी मिलती है कि तालिबान के साथ पाकिस्तान के लड़ाकू मौजूद हैं.

वैसे, सरकारी सूत्रों के मुताबिक- भारत और अफगानिस्तान के बीच मजबूत ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रिश्ते अक्टूबर 2011 के बाद से और अधिक मजबूत हुए, जब भारत ने अफगानिस्तान के इंफ्रास्ट्रक्चर और संस्थानों के पुनर्निर्माण, विभिन्न क्षेत्रों में अफगान क्षमता को विकसित करने के लिए तकनीकी मदद, अफगानिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों में निवेश और अफगानिस्तान के निर्यात को भारतीय बाजारों में ड्यूटी फ्री पहुंच देने के लिए स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट किया.

1.2001 के बाद से भारत ने अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण और विकास के लिए 3 अरब अमेरिकी डॉलर से भी अधिक मदद दी है.
2. 2016 में पीएम नरेंद्र मोदी और अफगान के राष्ट्रपति डॉ अशरफ गनी ने अफगान भारत फ्रेंडशिप डैम सलमा डैम का उद्घाटन किया.
3.सितंबर 2017 में पीएम मोदी ने एक अरब डॉलर की विकास मदद का ऐलान किया जिसके लिए नई विकास भागीदारी की शुरुआत हुई 
4.दोनों देशों के नेता एक दूसरे के लगातार संपर्क में रहे. पीएम मोदी ने दो बार अफगानिस्तान की यात्रा की. पहली बार दिसंबर 2015 में और दूसरी बार जून 2016 में. पीएम ने 25 दिसंबर 2015 को अफगान संसद इमारत का उद्घाटन किया और 4 जून 2016 को सलमा बांध का उद्घाटन किया, जबकि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति 2014 के बाद से पांच बार भारत आए.

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5.अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अफगानिस्तान की हिस्सेदारी वाले हर प्लेटफॉर्म में भारत शामिल है. हार्ट ऑफ एशिया-इंस्ताबूल प्रोसेस, काबुल प्रोसेस, मॉस्को फॉर्मेट, दोहा पीस प्रोसेस, एससीओ अफगानिस्तान कॉंटेक्स ग्रुप आदि.

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6.दोहा में 12 सितंबर 2020 को अफगानिस्तान के अंदरुनी वार्ता के शुरुआती सत्र में विदेश मंत्री ने भारत का प्रतिनिधित्व किया और अफगानिस्तान के विकास में एक महत्वपूर्ण साझेदार के तौर पर भारत की भूमिका को रेखांकित किया.

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अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया में मदद

अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया में भी भारत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. भारत अफगानिस्तान में एक महत्वपूर्ण हिस्सेदार हैं. भारत विभिन्न नेताओं से लगातार संपर्क में रहा. डॉ अब्दुल्ला अब्दुल्ला, मार्शल दोस्तुम, उस्ताद अट्टा नूर और इस्माइल खान, उस्ताद सैय्यफ जैसे नेताओं ने भारत की यात्रा की और भारतीय नेतृत्व से विचार-विमर्श किया. भारत क्षेत्र में सक्रिय अन्य ताकतों जैसे ईरान, रूस, मध्य एशियाई देश और खाड़ी क्षेत्र के देशों से भी संपर्क में रहा.

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भारत अफगानिस्तान की राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने वाली ऐसी शांति प्रक्रिया का सम्मान करता है जिसमें मानवाधिकारों और प्रजातंत्र के सार्वभौमिक मूल्यों को आगे बढ़ाया जाता है. भारत ने सभी तरह की हिंसा रोकने के लिए युद्धविराम की अपील की थी और भारत मानता है कि अफगानिस्तान में शांति के लिए आवश्यक है कि वहां आतंकवादियों को पनाह मिलना बंद हो.


विकास में मदद 

भारत ने पांच सूत्रों के आधार पर अफगानिस्तान को मदद दी है. बड़े इंफ्रास्ट्रक्रर प्रोजेक्ट, मानव संसाधन विकास और क्षमता का विकास, मानवीय आधार पर मदद, अधिक प्रभावी सामुदायिक विकास परियोजनाएं और हवाई तथा जमीन पर कनेक्टिविटी बढ़ा कर व्यापार और निवेश में बढ़ोतरी. भारत ने 3 अरब डॉलर की विकास मदद के जरिए कई महत्वपूर्ण निर्माण किए हैं. इनमें अफगान संसद और भारत अफगानिस्तान बांध शामिल है. भारत ने अफगानिस्तान के 34 राज्यों में 400 से अधिक परियोजनाओं को पूरा किया और 150 परियोजनाओं पर विभिन्न स्तर पर काम चल रहा है.

भारत अफगानिस्तान में 80 मिलियन डॉलर के 100 से भी अधिक प्रोजेक्ट शुरु करने वाला था. भारत ने अफगानिस्तान के लिए स्कॉलरशिप भी बढ़ाई। 2001 के बाद से भारत में 65000 से भी ज्यादा अफगान पढ़ने आए. भारत ने कोविड महामारी के दौरान खाद्य सुरक्षा को बढ़ाने के लिए 75,000 मीट्रिक टन गेहूं दिया। 20 मीट्रिक टन दवाइयां दी गईं। करीब दस लाख वैक्सीन डोज दिए गए. हिंदू और सिख समुदाय के 363 से भी अधिक सदस्यों को 2020 में अफगानिस्तान से सुरक्षित वापस लाया गया.

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