नजाकत अली फेरी लगाकार शॉल बेचने का काम करते हैं. 22 अप्रैल को वे अपने कुछ ग्राहकों के साथ मिनी स्विट्जरलैंड के नाम से मशहूर बैरसन घाटी गए थे. इसी दौरान वहां पर आतंकवादियों ने हमला किया था. इसमें 26 लोगों की मौत हो गई थी. आतंकवादियों ने लोगों का धर्म पूछकर उनकी हत्या की थी. इस कठिन समय में नजाकत ने अपनी जान को जोखिम में डालकर 11 लोगों की जान बचाई. उन्होंने जिन लोगों की जान बचाई वो सब लोग छत्तीसगढ़ से आए थे.
कहां से आए थे नजाकत अली के मेहमान
नजाकत अली ने 'एनडीटीवी' के शिव अरूर को बताया कि सर्दियों का समय वो छत्तीसगढ़ के एक छोटे से कस्बे चिरमिरी में बिताते हैं. हर साल वो वहां शाल बेचने जाते हैं. कुछ लोग वहां से आए थे. इनमें चार परिवारों के 11 लोग थे. उन्होंने उन्हें 16 अप्रैल को जम्मू में रिसीव किया था. वहां से सब लोग श्रीनगर और गुलमर्ग गए थे. पहलगाम अंत में इसलिए गए क्योंकि नजाकत ने उन लोगों को अपने घर खाने पर बुलाया था.वो बताते हैं कि हम सब लोग 21 अप्रैल को पहलगाम पहुंच गए थे और होटल में रात बिताने के बाद अगले दिन सुबह सब लोग बैरसन घाटी पहुंचे.
नजाकत अली ने बताया कि आतंकवादियों ने जब हमला किया तो उनके ग्राहक बैरसन घाटी में मौज-मस्ती कर रहे थे. मैं उनके बच्चों के साथ खेल रहा था, तभी मैंने गोलियों की आवाज सुनी. शुरू में सबको लगा कि भालू जैसे जंगली जानवरों को भगाने के लिए पटाखे चलाए जा रहे हैं. लेकिन जब लगातार गोलीबारी होने लगी तो हम डर गए. मैं उनके बच्चों के साथ वहां लेट गया. बाकी के लोगों ने भी ऐसा ही किया. वो कहते हैं,''यह मानवता का मामला था, मैंने फैसला किया कि मुझे उन लोगों को बचाना है और उन्हें सुरक्षित वापस ले जाना है. मैंने बच्चों को उठाया और बाकी के लोगों को भी बाहर ले गया.पहलगाम पहुंचने से पहले हम सात किलोमीटर तक दौड़ते रहे.''
आतंकवादियों ने पार कर दी लाल रेखा
पहलगाम में उस दिन 25 पर्यटकों और एक कश्मीरी घोड़े वाले का बेरहमी से कत्ल कर दिया गया था. इस तरह से आतंकवादियों ने पर्यटकों और आम लोगों को निशाना न बनाने की लाल रेखा को पार कर दिया था. पहलगाम की घटना के बाद कश्मीरियों द्वारा अपनी जान जोखिम में डालकर पर्यटकों को बचाने की अनगिनत कहानियां सामने आईं. आतंकी हमले के दौरान एक आंतकवादी से उसकी बंदूक छीनने के दौरान सैयद आदिल हुसैन शाह नाम के घोड़े वाले की मौत हो गई थी. वहीं कुछ कश्मीरियों ने कुछ पर्यटकों को अपनी पीठ पर लादकर पहाड़ से नीचे आए और उनकी जान बचाई.
इस हमले के खिलाफ कश्मीर में विरोध-प्रदर्शन भड़के उठा. इस हमले से घाटी के पर्यटन को खतरा पैदा हो गया, जो पिछले कुछ सालों से फल-फूल रहा था. इस आतंकवादी हमले के विरोध में पूरे कश्मीर में पूरी तरह से बंद रखा गया. पिछले 35 सालों में पहली बार इस तरह का विरोध-प्रदर्शन देखा गया. मस्जिदों के लाउडस्पीकर से लोगों से इस बंद को सफल बनाने की अपील की गई. लोगों ने खुद ही सड़क पर आकर इस घटना पर अपना विरोध जताया. दुकानदारों और होटल वालों ने विरोध-प्रदर्शनों में हिस्सा लिया और 'हिंदुस्तान जिंदाबाद'और'मैं भारतीय हूं'का नारा लगाया.
हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ
शुरूआती जांच के बाद भारत ने इस आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ बताया. भारत ने कहा है कि इसका कड़ा जवाब दिया जाएगा. इससे पहले हुए आतंकी हमले के दौरान उठाए गए कदमों की ही तरह भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कूटनीतिक कदम उठाए हैं. इनमें सिंधु जल संधि और पाकिस्तानी नागरिकों को वीजा सेवाएं निलंबित करने जैसे कदम प्रमुख हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा प्रतिष्ठान के शीर्ष अधिकारियों की मैराथन बैठकों से इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि कोई बड़ी कार्रवाई हो सकती है.
वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान अपनी पुरानी चाल चलते हुए इन हमलों में अपनी किसी भी भूमिका से इनकार कर रहा है. वह सबूत मांग रहा है. मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकी हमलों समेत पिछले कुछ और आतंकी हमलों के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ सूचना और सबूत साझा किए थे, लेकिन आरोपियों को न्याय के कठघरे में लाने के लिए कभी भी पर्याप्त कदम नहीं उठाए. भारत ने जब सिंधु जल समझौते को निलंबित किया तो पाकिस्तान ने कहा कि पानी के प्रवाह को रोकने के किसी भी कदम को शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जाएगा. उसने भारत के कदम के बाद नियंत्रण रेखा को वैधता देने वाले शिमला समझौते समेत सभी द्विपक्षीय समझौतों को निलंबित करने की धमकी दी है.
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