पद्मश्री से सम्मानित 90 साल की ओडिसी डांसर गुरु मायाधर राउत को 1988 में मिले एशियन गेम्स विलेज के घर से बाहर निकाल दिया गया है. आरोप है कि बिना किसी नोटिस के सामान बाहर निकाला गया और अधिकारियों का व्यवहार उचित नहीं था. बता दें कि केंद्र सरकार के घर खाली करवाने के आदेशों के बाद कई कलाकारों ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन आदेश इनके खिलाफ आया. मंगलवार को रिव्यू पिटीशन पर सुनवाई होनी थी, लेकिन उससे पहले ही यह घर से निकाले जाने की कार्रवाई को अंजाम दिया गया.
मायाधर राउत की बेटी मधुमिता राउत ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि कलाकारों को इस फैसले के बारे में 2020 में सूचित किया गया था. जो कि बहुत ही गलत है. मुझे लगता है कि भारत जैसे महान देश में कल्चरल पॉलिसी होना बहुत जरूरी है. आजतक पार्लियामेंट में यह डिस्कस नहीं हुआ कि कलाकार के लिए क्या है.
उन्होंने घर से निकाले जाने के तरीके पर सवाल उठाते हुए कहा कि सामान को फेंका गया. अगर मैं उस दिन नहीं होती तो शायद उस दिन मेरे पिताजी इस दुनिया में नहीं होते. अधिकारियों ने बेल बजाया और कहा कि घर खाली कराना है. उस समय एक बज रहे थे. मैंने कहा कि मैं उनको( पिताजी) को खाना खिला लूं, फिर हम बात करते हैं.
उन्होंने कहा कि हमारे पास दो मिनट भी नहीं है. हटिए, हटिए. तत्काल मजदूर और अधिकारी घर के अंदर आ गए. इनके पास कोई ऑर्डर का नोटिस नहीं था. मैंने पूछा कि आपके पास कोई ऑर्डर है तो और नाराज हो गए. मैं अपने बच्चों को कभी डांस और म्यूजीक के क्षेत्र में आने के लिए नहीं बोलूंगी. मैं बोलूंगी कि आप सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन जाइए. क्योंकि कलाकार को भारत में मोदी सरकार के अंतर्गत आदर नहीं मिलता है.
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