पद्म पुरस्कारों से सम्मानित डाक्टरों ने भारत को दुनियाभर में  "हेल्थकेयर लीडर' बनने के सुझाव दिये

पद्म पुरस्कारों (Padma awardee) से सम्मानित डाक्टरों (Doctors) ने भारत को  दुनियाभर में  "हेल्थकेयर लीडर' बनने के तरीके सुझाये. आबादी को प्रभावित करने वाले गैर-संचारी रोगों पर ध्यान केंद्रित करने और आजादी के 75 साल के बाद इस क्षेत्र में मिली उपलब्धियों पर मंथन करने के लिए एकजुट हुए.

विज्ञापन
Read Time: 16 mins
वर्ष 2011 में राष्ट्रीय मधुमेह नियंत्रण कार्यक्रम के तहत मधुमेह की जांच के लिए 30 साल की उम्र तय की गई थी. 
नई दिल्ली:

पद्म पुरस्कारों (Padma awardee) से सम्मानित डाक्टरों (Doctors) ने भारत को  दुनियाभर में  "हेल्थकेयर लीडर' बनने के तरीके सुझाये. आबादी को प्रभावित करने वाले गैर-संचारी रोगों पर ध्यान केंद्रित करने और आजादी के 75 साल के बाद इस क्षेत्र में मिली उपलब्धियों पर मंथन करने के लिए एकजुट  हुए. स्वास्थ्य की मौजूदा स्थिति और डायबिटीज के मामलों में वृद्धि पर मंथन करते हुए फोर्टिस मधुमेह, मोटापा और कॉलेस्ट्रॉल केंद्र (सी-डॉक) के अध्यक्ष डॉ. अनूप मिश्रा ने कहा कि 10 साल के लिए पूरी तरह समर्पित एक मिशन की जरूरत है जो मधुमेह के बढ़ते मामलों से निपटे, क्योंकि इस दिशा में की जा रही कोशिशों पर फिर से गौर करने की जरूरत है.

उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, राष्ट्रीय मधुमेह कार्यक्रम देश में मधुमेह की बीमारी से निपटने में बहुत उपयोगी साबित हुआ है, लेकिन इस बीमारी के बढ़ते प्रकोप से निपटने के लिए अधिक संगठित रणनीति की जरूरत है.''भारतीय संदर्भ का उल्लेख करते हुए डॉ मिश्रा ने कहा, ‘‘भारत में युवाओं, खासतौर पर मोटे लोगों, को मधुमेह हो रहा है, जो चिंता का विषय है. वर्ष 2011 में राष्ट्रीय मधुमेह नियंत्रण कार्यक्रम के तहत मधुमेह की जांच के लिए 30 साल की उम्र तय की गई थी, लेकिन मौजूदा दर को देखते हुए 25 साल की उम्र में ही मधुमेह की जांच शुरू होनी चाहिए.''

उन्होंने कहा, ‘‘जीवनशैली में बदलाव मधुमेह का प्रमुख कारण है. केरल और दिल्ली जैसे राज्यों में खराब जीवनशैली की वजह से वहां पर मधुमेह के भी अधिक मामले दर्ज हो रहे हैं.'' वियाट्रिस द्वारा समर्थित और एचईएएल फाउंडेशन द्वारा आयोजित ‘हेल्थ4ऑल' कार्यक्रम का आयोजन इस सप्ताह किया गया, जिसमें चिकित्सकों ने मधुमेह, आंखों की बीमारी, हृदय और गैर-संचारी रोग सहित स्वास्थ्य के उन मुद्दों पर विचार-विमर्श किया, जो भारतीय आबादी को प्रभावित कर रहे हैं. आजादी के बाद से नेत्ररोग के इलाज में हुई प्रगति का आकलन करते हुए ‘सेंटर फॉर साइट' के अध्यक्ष एवं नेत्ररोग विशेषज्ञ डॉ महिपाल एस. सचदेव ने कहा कि गत तीन से चार दशक में भारत ने आंखों के इलाज में उल्लेखनीय प्रगति की है और इससे इसके शानदार नतीजे सामने आए हैं.

Advertisement

मैक्स अस्पताल में हृदय रोग विभागाध्यक्ष डॉ बलबीर सिंह ने कहा, ‘‘भारत हृदय रोग संबंधी अनुसंधान के मामले में विश्व में अग्रणी है, लेकिन स्वदेशी उत्पाद बनाने में पिछड़ रहा है और इसमें सुधार की जरूरत है.'' हृदय रोग विशेषज्ञ एवं प्रोफेसर डॉ मोहसिन वली ने कहा कि सरकार हृदय को स्वस्थ रखने के लिए पिछले कुछ समय में कई योजनाएं लेकर आई है, लेकिन अब भी लोग इन्हें लेकर गंभीर नहीं हैं. उन्होंने बताया कि भारतीय अयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने बृहद अध्ययन किया, जिसके मुताबिक 45 प्रतिशत लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति निष्क्रिय हैं.

Advertisement

 
 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Gita Gopinath Exclusive: क्यों सबसे तेज रहेगी इंडिया की इकोनॉमिक ग्रोथ? | India Economy | NDTV India
Topics mentioned in this article