कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम (P Chidambaram) ने COVID-19 महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुई अर्थव्यवस्था में केंद्र सरकार (Centre Govt) द्वारा "अतिरिक्त कराधान" कहे जाने की आलोचना की है. उन्होंने करों और उपकर से जुड़े कुछ समाधानों पर हल सुझाया, लेकिन साथ ही चेतावनी देते हुए कहा, 'अगर मैं अस्वीकार्य हूं तो मेरी सलाह मत मांगो. मैं सलाह देता हूं, इसे मत लो. अपने स्वयं के अर्थशास्त्रियों की सलाह लें और देखें कि क्या होता है.'
पी चिदंबरम ने NDTV से बातचीत में कहा, 'ईंधन की कीमतों में वृद्धि बाहरी कारकों के कारण नहीं बल्कि स्थानीय करों की अधिकता के कारण हुई है. केंद्रीय शुल्क राज्य उत्पाद शुल्क से अधिक है.'
उन्होंने आगे कहा कि थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति जून में मामूली रूप से कम हुई क्योंकि कच्चे तेल और खाद्य पदार्थों की कीमतों में कुछ नरमी देखी गई, लेकिन जून में लगातार तीसरे महीने महंगाई दहाई अंक में बनी हुई थी. दाल, परिवहन, ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है. पेट्रोल-डीजल की कीमतों से महंगाई बढ़ रही है. तो कस्टम ड्यूटी भी है.
पूर्व वित्त मंत्री ने बताया कि इस स्थिति में वह क्या करते. उन्होंने कहा, 'मैं उपकर कम करूंगा. देखिए, उपकर इस सरकार की स्थायी विशेषता बन गया है. पॉम ऑयल और दालों जैसी आवश्यक वस्तुओं पर आयात शुल्क कम किया जाना चाहिए. कई सामानों पर GST को कम किया जाना चाहिए.'
चिदंबरम ने इस बात को भी स्वीकार किया कि UPA के समय भी महंगाई बढ़ी हुई थी लेकिन उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने इसपर सफलतापूर्वक नियंत्रण पा लिया था. उन्होंने कहा कि यह सही समय है कि ईंधन को GST के दायरे में लाया जाए. उन्होंने कहा, 'सभी उत्पादों को अंततः जीएसटी के अंतर्गत आना चाहिए, लेकिन भरोसे की पूरी कमी को देखते हुए राज्यों को केंद्र पर विश्वास नहीं है. केंद्रीय वित्त मंत्री ने माना है कि राज्यों का जीएसटी बकाया है, जिसका भुगतान करने की जरूरत है.'
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