हिट हो रहीं लोक अदालतें, 53 साल पुराने संपत्ति विवाद को चुटकियों में सुलझाया

जस्टिस यूयू ललित ने लोक अदालत की सफलता पर टिप्पणी करते हुए कहा, "बेहतर कानूनी सहायता लोगों में विश्वास पैदा करेगी और लोक अदालत की सफलता के लिए त्वरित और सस्ती पहुंच महत्वपूर्ण है.”

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नई दिल्‍ली:

राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (NALSA) ने साल 2022 की पहली लोक अदालत में मैसूर में 53 साल पुराने संपत्ति विवाद को चुटकियों में सुलझा लिया गया. यही नहीं, एक ही दिन में पूरे भारत में 77 लाख से अधिक मामलों का निपटारा कर दिया गया. 12 मार्च को, NALSA ने हाइब्रिड मोड में इस साल की पहली लोक अदालत का आयोजन किया. जिन मामलों का समाधान किया गया उनमें टी लक्ष्मीनारायण उपाध्याय नामक एक व्यक्ति के परिवार से संबंधित एक विभाजन मुकदमा था. यह मुकदमा 1967 में दायर किया गया था जिसमें 64 लाख रुपये की राशि के हिस्से सहित संपत्ति में हिस्सेदारी का दावा किया गया था
अंतिम डिक्री कार्यवाही वर्ष 1982 में शुरू की गई थी, इसमें 40 पक्षकार और 10 वकील थे.सुलह की कार्यवाही इस सिद्धांत से प्रभावित थी कि बेटों की तरह बेटियां भी  समान रूप से हिस्से की हकदार हैं 

खास बात ये है कि NALSA के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन व सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठता में दूसरे नंबर के जज जस्टिस यूयू ललितने इस मामले में खुद भी वर्चुअल तरीके से हिस्सा लिया और पक्षकारों से बातचीत की. जस्टिस ललित, अगस्त 2022 में भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश भी होंगे.इसी तरह, राजस्थान में एक 30 साल पुराने पारिवारिक संपत्ति विवाद को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाया गया. यहां तक कि मुकदमा दायर करने वाले बेटे ने अपनी मां के पैर छूए 

महाराष्ट्र के सोलापुर में लोक अदालत पैनल 1972 में दर्ज 50 साल पुराने एक आपराधिक मामले को सुलझाने में सफल रही.जस्टिस यूयू ललित ने लोक अदालत की सफलता पर टिप्पणी करते हुए कहा, "बेहतर कानूनी सहायता लोगों में विश्वास पैदा करेगी और लोक अदालत की सफलता के लिए त्वरित और सस्ती पहुंच महत्वपूर्ण है.” गौरतलब है कि लोक अदालतों के जरिए जुलाई 2021 में 29 लाख से अधिक, सितंबर 2021 में 42 लाख और दिसंबर 2021 में 54 लाख मामलों का निपटारा किया गया.दरअसल लोक अदालत एक वैकल्पिक विवाद निवारण तंत्र है जहां अदालतों के समक्ष या पूर्व मुकदमेबाजी चरण में लंबित मामलों को सुलझाया जा सकता है या समझौता किया जा सकता है.लोक अदालतों का संचालन राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) द्वारा किया जाता है. इनके आयोजन का मकसद पारंपरिक अदालतों पर बोझ कम करना है.लोक अदालतों का निर्णय उसके सभी पक्षों के लिए बाध्यकारी है और कोई अपील नहीं की जा सकती है लेकिन कोई पक्ष यदि परिणाम से संतुष्‍ट नहीं है तो अदालत के समक्ष कानूनी कार्यवाही शुरू करने के लिए आगे बढ़ सकता है.

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