"हमारे कंधे मजबूत...", जब चुनावी बॉन्ड मामले में केंद्र और SBI के आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा

तुषार मेहता ने कहा कि आंकड़ों को लोगों की इच्छानुसार तोड़ा-मरोड़ा जा रहा है और इन आंकड़ों के आधार पर, किसी भी तरह की पोस्ट की जा रही है. उन्होंने पूछा कि क्या अदालत इसको लेकर कोई निर्देश जारी करने पर विचार करेगी?

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नई दिल्ली:

भारत के मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने आज एसबीआई को चुनावी बॉन्ड से संबंधित सभी विवरणों का खुलासा करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चुनावी बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले का सोशल मीडिया पर प्रचारित किए जाने के आरोप पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इस तरह की टिप्पणियों से निपटने के लिए अदालत हमेशा तैयार रहता है.

सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका दायर की गई थी कि राज्य द्वारा संचालित बैंकों ने इलेक्टोरल बॉन्ड से राजनीतिक फंडिंग पर 'अधूरा डेटा' जारी किया है.

सुनवाई के दौरान, केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अदालत को सूचित किया जाना चाहिए कि उसका फैसला कैसे चल रहा है. उन्होंने कहा, "विच-हंटिंग सरकारी स्तर पर नहीं बल्कि किसी अन्य स्तर पर शुरू हुई है. अदालत से पहले लोगों ने प्रेस में साक्षात्कार देना शुरू कर दिया, जानबूझकर अदालत को शर्मिंदा किया. ये एक समान अवसर नहीं है. सोशल मीडिया पोस्टों की बाढ़ आ गई है, जिसका उद्देश्य अशांति पैदा करना है."

तुषार मेहता ने कहा कि आंकड़ों को लोगों की इच्छानुसार तोड़ा-मरोड़ा जा रहा है और इन आंकड़ों के आधार पर, किसी भी तरह की पोस्ट की जा रही है. उन्होंने पूछा कि क्या अदालत इसको लेकर कोई निर्देश जारी करने पर विचार करेगी?

इस पर सीजेआई ने जवाब दिया, "न्यायाधीश के रूप में हम कानून के शासन द्वारा शासित होते हैं और हम संविधान के अनुसार काम करते हैं. न्यायाधीश के रूप में सोशल मीडिया पर भी हमारी चर्चा होती है, लेकिन सोशल मीडिया कमेंटरी से निपटने के लिए एक संस्था के रूप में हमारे कंधे काफी मजबूत हैं."

सॉलिसिटर जनरल ने चुनावी बॉन्ड मुद्दे पर एक 'मीडिया कैंम्पेन' का हवाला दिया, मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "हाल ही में, एक इंटरव्यू में, मुझसे एक फैसले की आलोचना के बारे में पूछा गया था. मैंने कहा कि एक न्यायाधीश के रूप में, एक बार जब हम निर्णय दे देते हैं तो हम अपना बचाव नहीं कर सकते, क्योंकि ये सार्वजनिक संपत्ति बन जाती है."

वहीं एसबीआई की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा, "मीडिया हमेशा हमारे पीछे है, याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वे एसबीआई पर कार्रवाई करेंगे, उन्हें अवमानना ​​​​में दोषी ठहराएंगे." इस बात पर जोर देते हुए कि बैंक किसी भी जानकारी को छिपाकर नहीं रख रहा है, साल्वे ने जनहित याचिका (पीआईएल) की एक सीरीज के जोखिम की चर्चा की. उन्होंने कहा, "मतदाता को जानना एक बात है, लेकिन अगर जनहित याचिकाएं हैं कि इसकी और उसकी जांच करें, तो मुझे नहीं लगता कि इस अदालत के फैसले का यही इरादा है." साल्वे ने ये भी कहा कि फैसले का इस्तेमाल छिपे हुए एजेंडे के लिए किया जा रहा है.

मुख्य न्यायाधीश ने बैंक से कड़े शब्दों में कहा था, "एसबीआई का रवैया ऐसा लगता है कि 'आप हमें बताएं कि क्या खुलासा करना है, हम खुलासा करेंगे'. ये उचित नहीं लगता है. जब हम कहते हैं 'सभी विवरण', तो इसमें सभी डेटा शामिल है."

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अदालत ने बैंक से भुनाए गए बांड के अल्फ़ान्यूमेरिक नंबर और सीरियल नंबर सहित सभी विवरणों का खुलासा करने के लिए कहा है. कोर्ट ने एसबीआई चेयरमैन से एक हलफनामा दाखिल करने को भी कहा, जिसमें कहा गया हो कि कोई जानकारी छिपाई नहीं गई है. वहीं चुनाव आयोग को एसबीआई से प्राप्त डेटा साइट पर अपलोड करने के लिए कहा गया था.
 

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