''हमारा कुनबा बढ़ रहा'' : बेंगलुरु में होने वाली विपक्ष की बैठक को लेकर बोले केसी त्यागी

सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा- हम सब देश में जनतांत्रिक व्यवस्था को बचाने की कोशिश कर रहे, कांग्रेस सांसद नासिर हुसैन ने कहा- लोकतंत्र और संविधान को बचाने के लिए सब एक साथ आए

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जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता केसी त्यागी (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:

बेंगलुरु में विपक्षी दलों की बैठक 17-18 जुलाई को होने जा रही है. इस बैठक में 24 दल शामिल होंगे. इससे पहले पटना में हुई विपक्षी दलों की बैठक में 15 राजनीतिक पार्टियां शामिल हुई थीं. अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों को एकजुट करने के उद्देश्य से यह बैठकें हो रही हैं. बेंगलुरु में होने वाली बैठक को लेकर जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता केसी त्यागी ने NDTV से कहा, ''हमारा कुनबा बढ़ रहा है यह कुनबा जेन्युइन कुनबा है.'' सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, ''हम सब देश में जनतांत्रिक व्यवस्था को बचाने की कोशिश कर रहे हैं.'' कांग्रेस सांसद नासिर हुसैन ने कहा, ''लोकतंत्र और संविधान को बचाने के लिए सब एक साथ आए हैं.''

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विपक्षी दलों की आागामी बैठक को लेकर जनता दल यूनाईटेड (JDU)के मुख्य प्रवक्ता केसी त्यागी ने NDTV से कहा-  ''हमने पटना में भी उन्हीं दलों को बुलाया था जो साझा कार्यक्रम, साझी नीतियों और साझा रणनीति पर एकमत हैं, जो कि अपोजिशन यूनिटी पर नीतीश फॉर्मूला है - एक के मुकाबले एक. जिन दलों ने इस पर हामी भरी थी उन्हीं को बुलाया गया था.'' 

त्यागी ने कहा कि, ''बीआरएस, अकाली दल, मायावती की पार्टी जैसे दलों को नहीं बुलाया गया था. इसकी वजह यह है कि हमारे सवालों पर उनसे सहमति नहीं बन पाई थी. इसी बीच कुछ अन्य दलों ने हम लोगों से संपर्क किया है, इस कारण बेंगलुरु की बैठक में उनको बुलाया जा रहा है. हमारा कुनबा बढ़ रहा है, यह कुनबा जेन्युइन कुनबा है.'' 

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उन्होंने कहा कि, ''हमारे और उनके कुनबे में क्या फर्क है, यह समझना बहुत जरूरी है. हमारे साथ ममता बनर्जी हैं, उनके साथ ममता बनर्जी से अलग हुए शुभेंदु अधिकारी हैं. हमारे साथ प्रकाश सिंह बादल थे उनके साथ अटवाल हैं. उनके साथ अब छगन भुजबल हैं. जो पहले एनडीए के साथ बड़े नेता थे अब वे सब महागठबंधन के साथ हैं. लोकतंत्र में सबको, चाहे सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, अपनी रणनीति बनाने, अपना कुनबा बढ़ाने का हक है. इसमें कोई बड़ी बात नहीं है.''

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एनसीपी को लेकर पूछे गए सवाल पर त्यागी ने कहा, ''देखिए मैं राजनीति में पिछले 50 वर्षों से हूं, एनसीपी में टूट नहीं है, यह डकैती है. सैद्धांतिक तौर पर जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी के समय, अटल जी के समय और राजीव गांधी के समय तक पार्टियों में टूट होती थी, आज तो विपक्षी दलों पर डाका डाला जाता है. शरद पवार राजनीति के सबसे बड़े नेता हैं. हम नीतीश कुमार जी के साथ-साथ उनको भी अपना नेता मानते हैं. लिहाजा किसी के आने जाने से उनके कद पर कोई असर नहीं पड़ेगा.''

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केसी त्यागी ने कहा कि, ''विपक्ष ने जो सवाल उठाए हैं वह बहुत गंभीर हैं. पिछले 9-10 वर्षों में संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने का लगातार प्रयास हुआ है. ईडी के डायरेक्टर के बारे में कल सुप्रीम कोर्ट का फैसला देख लीजिए, सुप्रीम कोर्ट को एक एक्सटेंशन को लेकर रोक लगाने पड़ी. पहले सीबीआई, ईडी सम्मानित संस्थाएं थीं, आज उनका कितना बेजा इस्तेमाल हो रहा है, सब त्राहि-त्राहि कर उठे हैं.'' 

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जेडीयू के वरिष्ठ नेता ने कहा, ''यह सब दलों का मोर्चा है, कोई एक दल नहीं बन रहा है. विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता अलग तरह की राय रखेंगे, कुछ मुद्दों पर सब नेता एकमत होंगे. दिल्ली और पश्चिम बंगाल के दो सवाल हैं. केजरीवाल के अध्यादेश की मुहिम का ज्यादातर दलों ने समर्थन किया है, उम्मीद है इसका हल निकलेगा. ममता जी पश्चिम बंगाल की निर्विवाद नेता हैं, वे बीजेपी को हराने में सक्षम हैं. बेंगलुरु की बैठक में इन सब चीजों पर कामयाबी हासिल होगी.''

देश के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को मानने वाले इकट्ठे हों : सीताराम येचुरी

बेंगलुरु में होने वाले विपक्षी दलों की बैठक को लेकर सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने NDTV से कहा, ''अच्छी बात है, हमारा कुनबा बढ़ रहा है. देश में जनतांत्रिक व्यवस्था को बचाए रखना जरूरी है. इसके लिए हम सब कोशिश कर रहे हैं. अपने गणराज्य को सुरक्षित रखना है तो जरूरी है कि जो आज सत्ता में हैं उनको सत्ता से अलग करना है. जो सत्ता के बुनियादी स्तंभ हैं, संवैधानिक संस्थाएं हैं, उन पर लगातार गहरे हमले हो रहे हैं. आज जरूरत है कि देश में जो भी धर्मनिरपेक्ष चरित्र को मानते हैं, वे इकट्ठे हों.''

येचुरी ने कहा कि, ''अब शरद पवार जी का रोल और मजबूत होगा, उनका योगदान और बढ़ेगा. हम देख रहे हैं कि 2024 में भारत के चरित्र को बचा पाएंगे या नहीं. अगर यही सत्ता में रहे तो मुश्किल है. वे तो फासीवादी हुकूमत चलाने में यकीन रखते हैं.'' 

सीपीएम के नेता ने कहा कि, ''पिछली बार बीजेपी को 37 फीसदी वोट मिले थे. बाकी लोगों ने उसके खिलाफ वोट दिया था. अब इस तरह की बैठकों में विपक्ष के बंट रहे वोटों को लेकर बातचीत होगी.  अगर इरादा पक्का है, लक्ष्य पक्का है तो जो भी थोड़े बहुत विरोध हैं वह शॉर्टआउट हो जाएंगे. राष्ट्रीय स्तर पर बात हो रही है, राज्य स्तर पर भी बातचीत होगी. चर्चा करेंगे, कोशिश करेंगे कि विपक्षी दलों के वोटों का बंटवारा ना हो.''

संवैधानिक संस्थाओं पर हमले हो रहे, एजेंसियों का दुरुपयोग हो रहा : नासिर हुसैन

कांग्रेस के सांसद और वरिष्ठ नेता नासिर हुसैन ने NDTV से कहा, ''करीब 23-24 दलों को बैठक का आमंत्रण गया है. हम संसद में विपक्ष को लेकर जब रणनीति बनाते हैं तो यह सारे दल मौजूद रहते हैं. कई ऐसे दल भी हैं जिनका संसद में कोई सदस्य नहीं है, लेकिन राज्यों में उनकी उपस्थिति है. भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ कई पार्टियां विपक्ष की यूनिटी को ज्वाइन करना चाह रही हैं, इसलिए हमने 23 -24 पार्टियों को आमंत्रण भेजा है. उम्मीद है कि इस मीटिंग में सारी पार्टियां आएंगी.''

हुसैन ने कहा कि, ''अलग-अलग पार्टियां हैं, अलग-अलग आइडियोलॉजी हैं, विचार हैं.. अलग-अलग राज्यों में उनका अलग-अलग स्ट्रैंथ है, अलग विचार हैं. जब एक साथ सब आते हैं तो सहमति बनानी पड़ती है, एरिया को ढूंढना पड़ता है, जो कॉमन हो. सब चर्चा के बाद एकदम सहमति बनेगी.''

उन्होंने कहा कि, ''एनडीए के साथ रहे कई दल उससे बाहर आ गए हैं, अकाली दल बाहर आ गया. लेकिन यूपीए के साथ लोग कोई एलायंस पार्टनर बाहर नहीं गया, ज्यादा से ज्यादा लोग जुड़ रहे हैं, ज्वाइन कर रहे हैं, कांग्रेस के साथ खड़े हुए हैं. एनडीए क्या कर रही है, हम उस पर नहीं जा रहा हैं. आज हमें लग रहा है कि देश खतरे में है. देश में संवैधानिक संस्थाओं पर हमले हो रहे हैं, केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग हो रहा है, लोगों को बोलने की आजादी नहीं है.. तो लोकतंत्र और संविधान को बचाने के लिए सब एक साथ आए हैं.''

नासिर हुसैन ने कहा कि, ''कांग्रेस की ओर से हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, सोनिया गांधी बैठक में रह सकते हैं. हमारे एक दो और वरिष्ठ नेता भी उसमें भाग लेंगे.''

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