मध्य प्रदेश की नई पहचान बनेगी ऑरेंज ओकलीफ, ‘स्टेट बटरफ्लाई’ घोषित करने का प्रस्ताव

ऑरेंज ओकलीफ अपने पंख समेटती है तो उसका निचला हिस्सा बिलकुल सूखे पत्ते की तरह दिखाई देता है, धारियां, नसें, पत्ते का खुरदुरापन और सब कुछ. यह प्राकृतिक ‘मास्क’ इसे शिकारी पक्षियों से बचाता है और इसे ‘डेड लीफ’ या ओकलीफ कहे जाने की वजह भी यही है. 

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  • मध्यप्रदेश वन विभाग ने ऑरेंज ओकलीफ तितली को राज्य तितली घोषित करने का प्रस्ताव सरकार को भेजा है.
  • ऑरेंज ओकलीफ तितली सतपुड़ा पर्वतमाला के घने जंगलों में विशेष रूप से पाई जाती है और जैव विविधता का हिस्सा है.
  • यह तितली पंख बंद होने पर सूखे पत्ते जैसी दिखती है, जिससे यह शिकारी पक्षियों से बच जाती है.
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भोपाल:

मध्यप्रदेश को देश में बाघ, चीता, तेंदुआ, भेड़िया और घड़ियाल प्रदेश के नाम से भी जाना जाता है, अब यह प्रदेश प्रकृति की एक और नायाब कृति को गौरव देने की तैयारी में है. घने जंगलों में उड़ती और पत्ते की तरह खुद को छिपा लेने की अद्भुत क्षमता रखने वाली ऑरेंज ओकलीफ तितली जल्द ही प्रदेश की ‘स्टेट बटरफ्लाई' घोषित हो सकती है. 

एशिया के उष्णकटिबंधीय इलाकों में पाई जाने वाली यह तितली कलीमा इनैकस, अपनी रूप बदलने की कला की वजह से दुनिया भर में मशहूर है. पंख बंद होते ही वह सूखे पत्ते की हूबहू प्रतिकृति बन जाती है और इतनी वास्तविक लगती है कि कई बार प्रकृति प्रेमी भी धोखा खा जाते हैं. 

वन विभाग ने सरकार को भेजा प्रस्‍ताव

मध्यप्रदेश के वन विभाग ने सरकार को प्रस्ताव भेजा है, जिसके मुताबिक, “यह तितली खासतौर पर सतपुड़ा पर्वतमाला के घने जंगलों में पाई जाती है. यदि इसे राज्य तितली घोषित किया जाता है तो प्रदेश में तितली संरक्षण की दिशा में केंद्रित प्रयासों को नई गति मिलेगी.”

सतपुड़ा से लेकर पचमढ़ी और अमरकंटक की पहाड़ियों तक यह तितली मध्य भारत की जैव-विविधता का एक सूक्ष्म लेकिन प्रभावशाली हिस्सा है. इसके अलावा यह हिमालय की तलहटी से लेकर पूर्वोत्तर भारत तक और मध्य-पूर्वी राज्यों झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा में भी दिखाई देती है.

इसलिए कहा जाता है 'डेड लीफ' या 'ओकलीफ' 

जब ऑरेंज ओकलीफ अपने पंख समेटती है तो उसका निचला हिस्सा बिलकुल सूखे पत्ते की तरह दिखाई देता है, धारियां, नसें, पत्ते का खुरदुरापन और सब कुछ. यह प्राकृतिक ‘मास्क' इसे शिकारी पक्षियों से बचाता है और इसे ‘डेड लीफ' या ओकलीफ कहे जाने की वजह भी यही है. 

तितलियां सिर्फ सुंदरता का प्रतीक नहीं बल्कि प्रकृति की महत्वपूर्ण प्रहरी हैं. प्रकृति प्रेमी कहते हैं तितलियां खाने की श्रृंखला का हिस्सा हैं और पर्यावरण में कोई भी हल्का बदलाव तुरंत इनके व्यवहार में दिख जाता है. इसलिए ये हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के सेहतमंद होने का संकेत देती हैं. 

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मध्यप्रदेश में पहले से ही 150 से 175 प्रजातियों की तितलियां दर्ज की जाती रही हैं. राज्य तितली घोषित होने के बाद इन पर शोध और संरक्षण को और बढ़ावा मिलेगा. 

कई राज्‍य घोषित कर चुके हैं राज्‍य तितली

आज देश के 10 राज्य अरुणाचल प्रदेश, गोवा, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, सिक्किम, तमिलनाडु, त्रिपुरा और उत्तराखंड अपनी आधिकारिक राज्य तितली घोषित कर चुके हैं. यदि प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है तो मध्यप्रदेश केंद्रीय भारत का पहला ऐसा राज्य होगा जो तितली को राज्य का प्रतीक दर्ज करेगा. 

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जिस प्रदेश ने जंगलों, बाघों, चीतों और अन्य वन्यजीवों के संरक्षण में देश भर में पहचान बनाई है, वही अब एक नन्ही उड़ान को भी अपनी पहचान का हिस्सा बनाने जा रहा है. ऑरेंज ओकलीफ तितली न केवल सौंदर्य की प्रतीक है, बल्कि मध्यप्रदेश के उस प्राकृतिक समृद्ध संसार की याद भी दिलाती है, जिसमें हर जीव की एक अनोखी भूमिका है. 

शायद जल्द ही जब आप सतपुड़ा के जंगलों में टहल रहे हों तो किसी सूखे पत्ते की तरह दिखने वाली चीज अचानक रंगों से भरकर उड़ान भर जाए और आप समझें कि यह सिर्फ तितली नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश की पहचान का एक नया प्रतीक है. 
 

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