इन दिनों जातिगत जनगणना (Caste Census) को लेकर सियासी घमासान जारी है. कई राजनैतिक दल जातिगत जनगणना के समर्थन में भी दिख रहे हैं. हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 2011 की जाति आधारित जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक करने की चुनौती दी और आरक्षण पर से 50 फीसदी की सीमा हटाने की मांग की. इस मसले पर बिहार सीएम नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) ने कहा कि जातिगत जनगणना के आकंड़ों को हम केंद्र को भेज देंगे तो फिर इसमें केंद्र का भी दायित्व बनता है.
बिहार सीएम ने कहा कि अगली बार जब जनगणना करें तो इसे जातिगत आधार पर किया जाए. 13 साल हो गए लेकिन जनगणना नहीं हुई. अब जब जातिगत जनगणना के आधार पर जो रिपोर्ट आएगी, वो केंद्र का काम है. वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकाअर्जुन खरगे (Congress President Mallikarjun Kharge) ने भी पीएम को पत्र लिख जातिगत जनगणना की मांग की. जिस पर प्रतिक्रिया देते हुए आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि हमने जातिगत जनगणना के लिए सभी दलों से मांग की. जातिगत जनगणना हर जगह होनी चाहिए. कांग्रेस अध्यक्ष ने जो मांग रखी वो अच्छी बात है.
इसी मसले पर आरजेडी नेता मनोज झा (Manoj Jha) ने कहा कि बिहार में जातिगत जनगणना के जो नतीजे आएंगे. उसके अनुरूप अलग-अलग जातियों की हिस्सेदारी तय की जाएगी. आरक्षण की जो मौजूदा व्यवस्था है उसकी रिस्ट्रक्चरिंग बिहार में होगी. साथ ही मैं कांग्रेस नेतृत्व को धन्यवाद देता हूं. राहुल गांधी के बयान के बाद जातिगत जनगणना की मांग और तेज हो गई है. EWS पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब 50% की आरक्षण की सीलिंग अब मायने नहीं रखती.
मनोज झा ने साथ ही कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद लोकतंत्र में हिस्सेदारी का मुद्दा चुनाव से आगे जाता है. मैं इस मांग को 2024 के चुनाव तक सीमित नहीं करना चाहता. जातिगत जनगणना के मसले पर सभी विपक्षी दल एकजुट हैं. कई राज्यों में जातिगत जनगणना की मांग हो रही है उत्तर प्रदेश में भी मांग हो रही है. देश में भारतीय लोकतंत्र में सहभागिता और भागीदारी बढ़ाने के लिए जातिगत जनगणना बेहद जरूरी है.
जाति आधारित गणना के दूसरे चरण का शुभारंभ करते हुए बिहार मुख्यमंत्री ने कहा था, “यह बिहार सरकार द्वारा की गई एक अच्छी पहल है. जाति आधारित गिनती के दौरान लोगों की आर्थिक स्थिति और उनकी जाति से संबंधित आंकड़े एकत्र किए जाएंगे ताकि राज्य सरकार को पता चल सके कि कितने लोग गरीब हैं और उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए किस तरह के कदम उठाए जाने चाहिए.''
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