विपक्ष ने कहा- "नोटबंदी," बीजेपी ने दिया जवाब - 'वैध रहेंगे 2,000 रुपये के नोट'

2,000 रुपये के नोट 30 सितंबर तक बैंक में बदलने या जमा करने की समय सीमा के बाद भी वैध रहेंगे. लोग एक बार में 20,000 रुपये तक मूल्य वाले नोटों को जमा या कम मूल्यवर्ग के नोटों से बदल सकते हैं.

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भारतीय रिजर्व बैंक ने 2000 रुपये के नोट को प्रचलन से बाहर करने की घोषणा की है.
नई दिल्ली:

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की ओर से 2,000 रुपये के नोटों को चलन से वापस लेने की घोषणा को लेकर विपक्ष के नेताओं ने सरकार की आलोचना की है. उन्होंने इस कदम की नवंबर 2016 में बड़े नोटों (1000 और 500) को रातोंरात बंद करने के कदम से तुलना की है. सत्तारूढ़ बीजेपी ने इस आरोप को खारिज कर दिया है. बीजेपी ने कहा है कि 2,000 रुपये का नोट वैध रहेगा.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि ताजा कदम "आम लोगों को एक बार फिर से मुश्किल में डालेगा."

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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने जांच की मांग की है.  खरगे ने कहा, "आपने पहले नोटबंदी से अर्थव्यवस्था को गहरा आघात दिया है. इससे पूरा असंगठित क्षेत्र तबाह हो गया, एमएसएमई बंद हो गए और करोड़ों नौकरियां चली गईं." उन्होंने आरोप लगाया, "अब, 2,000 रुपये के नोट का दूसरा डीमोनेटाइजेशन (नोटबंदी) है ... क्या यह एक गलत फैसले का पर्दाफाश है? सिर्फ एक निष्पक्ष जांच से ही सच्चाई सामने आएगी."

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पहले ट्वीट किया कि, केंद्र ने पहले कहा था कि चलन में आए 2,000 रुपये के नोट भ्रष्टाचार खत्म कर देंगे, लेकिन अब इसे "भ्रष्टाचार खत्म करने के नाम पर" वापस लिया जा रहा है.

केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने केजरीवाल पर पलटवार करते हुए कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री "झूठ बेच रहे हैं." प्रधान ने कहा कि 2,000 रुपये के नोट वैध रहेंगे और "शिक्षित मुख्यमंत्री फिर से झूठ बेच रहे हैं."

नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि 2,000 रुपये के नोटों को चलन से वापस लेने के आरबीआई के फैसले का अर्थव्यवस्था पर कोई "प्रत्यक्ष प्रभाव" नहीं होगा क्योंकि लौटाए गए ऐसे किसी भी नोट को या तो कम मूल्यवर्ग के नोटों के समतुल्य नकदी से या जमा द्वारा बदल दिया जाएगा.

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कांग्रेस के तंज का जवाब देते हुए, भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने याद दिलाया कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के समय में भी पुराने नोट चलन से वापस ले लिए जाते थे.

प्रसाद ने कहा, 'हम अपने कांग्रेस मित्रों को याद दिलाना चाहते हैं कि मनमोहन सिंह के शासन के दौरान भी पुराने नोट चलन से बाहर कर दिए जाते थे. इसलिए उन्हें (कांग्रेस) इसे नोटबंदी नहीं कहना चाहिए.'

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2,000 रुपये के नोट 30 सितंबर की एक्सचेंज या डिपॉजिट की समय सीमा के बाद भी वैध रहेंगे. लोग एक बार में 20,000 तक के नोटों को जमा या कम मूल्य वाले नोटों से बदल सकते हैं.

आरबीआई ने कहा, "2,000 रुपये मूल्यवर्ग के बैंक नोटों में से लगभग 89 प्रतिशत मार्च 2017 से पहले जारी किए गए थे. इनके चार-पांच साल के अनुमानित जीवनकाल का अब इनका अंत हो रहा है. इस मूल्य वर्ग के बैंक नोट 31 मार्च, 2018 को प्रचलन में अपने चरम पर थे. तब दो हजार के 6.73 लाख करोड़ रुपये सर्कुलेशन में थे. यह सर्कुलेशन 31 मार्च 2023 को घटकर 3.62 लाख करोड़ हो गया.''

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केंद्रीय बैंक ने कहा कि इस नोट का इस्तेमाल आमतौर पर लेनदेन के लिए नहीं किया जाता है. आरबीआई ने 2013-2014 में भी इसी तरह नोटों को चलन से वापस लिया था.

रिजर्व बैंक की सालाना रिपोर्ट के अनुसार 2019 से 2022 तक के तीन वित्तीय वर्षों में 2000 रुपये का एक भी नोट नहीं छापा गया है. बाजार में इस मूल्य वर्ग के नोटों का सर्कुलेशन काफी कम हो गया है.  

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 8 नवंबर 2016 की शाम को की गई घोषणा के साथ देश में 500 और 1000 रुपये के नोट प्रचलन से बाहर हो गए थे. इसके बाद 500 रुपये के नए नोट छापे गए थे और 2000 रुपये का नए मूल्यवर्ग का नोट बाजार में आया था.

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