ऑपरेशन सिंदूर से पाकिस्तान में मौजूद आतंकियों के ठिकाने तबाह हुए. पढ़िए पूरी कहानी.
Operation Sindoor: 7 मई 2025, बुधवार रात 1.31 बजे. रात के सन्नाटे में सेना के एक सोशल मीडिया पोस्ट ने खलबली मचा दी. भारतीय सेना और वायुसेना की जोड़ी चुपचाप वह कर चुकी थी, जो 1971 के बाद कभी नहीं हुआ था. कुछ ही देर पहले 25 मिनट तक चला ऑपरेशन सिंदूर पूरा हो चुका था. पाकिस्तान के 100 किलोमीटर अंदर उसके दिल कहे जाने वाले पंजाब के बहावलपुर से लेकर PoK में स्थित 9 आतंकी ठिकानों को मिसाइलों और फाइटर जेट्स ने मिट्टी में मिला दिया था. यह ऑपरेशन इतने गुप्त तरीके से हुआ कि अलर्ट पर बैठी पाकिस्तानी सेना को खबर तक नहीं लगी.
ऑपरेशन सिंदूर: जहां कसाब और हेडली की मिली ट्रेनिंग, उसे मिट्टी में मिला दिया
भारतीय सेना की ओर से मंगलवार-बुधवार की रात 25 मिनट तक चले ‘ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान स्थित आतंकियों के 9 ठिकानों पर अटैक किया गया. इस एयर स्ट्राइक के बारे में भारतीय सेना, वायुसेना और विदेश मंत्रालय ने संयुक्त प्रेस ब्रीफिंग के जरिए जानकारी दी.
इस प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि 25 मिनट में आतंकियों की पनाहगाहों को चुन-चुन कर मिट्टी में मिलाया गया. इनमें वो ठिकाने भी थे जहां कभी कसाब और हेडली जैसे आतंकियों को ट्रेनिंग मिला था.
1.05 से 1.30 मिनट तक 25 मिनट की कार्रवाई
वायुसेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि मंगलवार-बुधवार देर रात 1 बजकर 5 मिनट से 1 बजकर 30 मिनट के बीच ये हमला किया गया था. पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ितों और उनके परिवारों को न्याय दिलाने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों ने 'ऑपरेशन सिंदूर' लॉन्च किया. नौ आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाया गया और उन्हें सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया गया.
इस दौरान एयर स्ट्राइक से जुड़ी एक वीडियो क्लिप भी दिखाई गई, जिसमें बताया गया कि इस ऑपरेशन के दौरान 9 टारगेट चुने गए थे. इस स्ट्राइक में लॉन्चपैड, ट्रेनिंग सेंटर्स को टारगेट कर तबाह कर दिया गया.
ऑपरेशन सिंदूर में नेस्तनाबूद हुए आतंकियों के 9 ठिकाने
LOC के पास स्थित इन 5 टारगेट्स पर किया गया अटैक
- सवाईनाला कैंप, मुजफ्फराबाद जो पीओजेके के लाइन ऑफ कंट्रोल से 30 किलोमीटर दूर है, यह लश्कर-ए-तैयबा का ट्रेनिंग सेंटर था.
- सैयदना बिलाल कैंप, मुजफ्फराबाद, यह जैश-ए-मोहम्मद का स्टेजिंग एरिया है. यह हथियार, विस्फोटर और जरनल सर्वाइविंग ट्रेनिंग का केंद्र भी था.
- गुलपुर कैंप, कोटली: यह एलओसी 30 किलोमीटर दूर था. लश्कर-ए-तैयबा का बेस था, जो रजौरी और पुंछ में सक्रिय था.
- बरमाला कैंप, बिंबर: यह एलओसी से 9 किलोमीटर दूर है. यहां पर हथियार हैंडलिंग, आइडी और जंगल सर्वाइवल केंद्र का प्रशिक्षण दिया जाता था.
- अब्बास कैंप, कोटली: यह एलओसी से 13 किलोमीटर दूर है. लश्कर-ए-तैयबा का फिदाइन यहां तैयार होता था. इसकी कैपेसिटी 15 आतंकियों को ट्रेन करने की थी.
पाकिस्तान के अंदर के इन टारगेट्स पर किया था अटैक
- सर्जल कैंप, सियालकोट: यह अंतरराष्ट्रीय सीमा से 6 किलोमीटर की दूरी पर है. मार्च 2025 जम्मू-कश्मीर के चार जवानों की जो हत्या की गई थी, उन आतंकियों को इसी जगह पर ट्रेन किया गया था.
- महमूना जाया कैंप, सियालकोट: यह 12 से 18 किलोमीटर आईबी से दूर था, हिजबुल-मुजाहिदीन का बहुत बड़ा कैंप था. यह कठुआ में आतंक फैलाने का केंद्र था. पठानकोट एयरबेस हमला भी यहीं से प्लान किया गया था.
- मरकज तैयबा मुरीदके: यह आईबी से 18 से 25 किलोमीटर दूरी पर है. 2008 के मुंबई हमले के आतंकी भी यहीं से परिशिक्षित हुए थे. अजमल कसाब और डेविड हेडली भी यहां ट्रेन हुए थे.
- मरकज सुभानअल्लाह, भवलपुर: यह इंटरनेशनल बाउंड्री से 100 किलोमीटर दूर है. यह जैश-ए-मोहम्मद का केंद्र था.
आतंकी ठिकानों पर हमले की तैयारी कैसे की गई
आतंकी ठिकानों पर स्ट्राइक की तैयारी के बारे में अधिकारियों ने बताया कि सशस्त्र बलों ने इन स्थलों पर संचालित हो रहे आतंकी शिविरों के बारे में 'गुप्त खुफिया जानकारी' पहले से जुटा रखी थी. इसी जानकारी के आधार पर पाकिस्तान में चार और पीओजेके में पांच स्थानों को चुना.
लाहौर से 30 किमी दूर मुरीदके स्थित लश्कर के मुख्य ठिकाने पर 4 हमले
अधिकारियों के अनुसार ऑपरेशन के दौरान लाहौर से लगभग 30 किलोमीटर दूर मुरीदके में लश्कर के मुख्य ठिकाने पर लगातार चार बार हमला किया गया. मुरीदके, 1990 से लश्कर का गढ़ है, जहां अजमल कसाब और नौ अन्य आतंकवादियों को मुंबई में 26/11 के आतंकी हमले से पहले प्रशिक्षित किया गया था. अधिकारियों ने बताया कि इसके अलावा, 26/11 हमले के आरोपी डेविड हेडली और तहव्वुर राणा भी वहां गए थे.
मुरीदके में गेस्टहाउस के लिए ओसामा बिन लादेन ने दिए थे 10 लाख रुपए
अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तान के एबटाबाद शहर में 2011 में मारे गए अलकायदा आतंकवादी ओसामा बिन लादेन ने मुरीदके में एक गेस्टहाउस के निर्माण के लिए 10 लाख रुपये का दान दिया था. अधिकारियों ने बताया कि हाफिज सईद के नेतृत्व में लश्कर-ए-तैयबा ने जम्मू-कश्मीर, बेंगलुरु और हैदराबाद समेत देश के कई अन्य हिस्सों में भी आतंकवादी हमले किए हैं.
'आतंक की फैक्ट्री' कहलाती है लश्कर का मरकज
अधिकारियों के अनुसार मुरीदके में स्थित तैयबा के मरकज (केंद्र) को 'आतंक की फैक्ट्री' कहा जाता है, यह लश्कर-ए-तैयबा का सबसे महत्वपूर्ण प्रशिक्षण केंद्र है. अधिकारियों ने बताया कि भर्ती किए गए लोगों को बरगलाया जाता है, प्रशिक्षण दिया जाता है. उन्होंने बताया कि इस शिविर में विभिन्न पाठ्यक्रमों के लगभग 1,000 छात्र नामांकित हैं.
मसूद अजहर की रिहाई के बाद बहावलपुर बना जैश का मुख्य केंद्र
दूसरा बड़ा लक्ष्य बहावलपुर है, जो 1999 में आईसी-814 के अपहृत यात्रियों के बदले मसूद अजहर की रिहाई के बाद जैश-ए-मोहम्मद का केंद्र बन गया था. यह समूह भारत में कई आतंकवादी हमलों में शामिल रहा है, जिसमें 2001 में संसद पर हमला, 2000 में जम्मू-कश्मीर विधानसभा पर हमला, 2016 में पठानकोट में भारतीय वायुसेना के अड्डे पर हमला और 2019 में पुलवामा आत्मघाती हमला शामिल है.
बहावलपुर के मरकज में हुई थी पुलवामा हमले की प्लानिंग
अधिकारियों ने कहा कि बहावलपुर में मरकज सुब्हानअल्लाह वह जगह है जहां जैश-ए-मोहम्मद अपने लड़ाकों को प्रशिक्षित करता है और उन्हें अपने विचारों से प्रेरित करता है. अधिकारियों ने बताया कि फरवरी 2019 में पुलवामा में हुए आतंकी हमले की योजना इसी शिविर में बनाई गई थी जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवानों की मौत हुई थी.
सरजाल तेहरा कलां में जैश का लॉन्चिंग पैड तबाह
चुने गए ठिकानों का विवरण देते हुए अधिकारियों ने कहा कि पाकिस्तान के पंजाब के नारोवाल जिले के सरजाल तेहरा कलां में जैश-ए-मोहम्मद का शिविर आतंकवादी समूह का केंद्रीय ‘लांचिंग पैड' था और इसका संचालन एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से किया जा रहा था, जिसकी देखरेख शिविर का वास्तविक प्रमुख अब्दुल रऊफ असगर करता था.
अधिकारियों के अनुसार पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेने के लिए बुधवार को किए गए ऑपरेशन के तहत निशाना बनाए गए अन्य ठिकानों में कोटली में मरकज अब्बास और पीओजेके के मुजफ्फराबाद में सैयदना बिलाल शिविर (सभी जैश-ए-मोहम्मद के शिविर) शामिल हैं.
अधिकारियों ने बताया कि इसके अलावा, बरनाला में मरकज अहले हदीस और मुजफ्फराबाद में शवावाई नाला शिविर (सभी लश्कर-ए-तैयबा से संबंधित) और कोटली में मरकज राहिल शाहिद और सियालकोट में (प्रतिबंधित हिज्बुल मुजाहिदीन के) महमूना जोया को भी निशान बनाया गया.
किसी भी नागरिक को नहीं पहुंचाई गई कोई क्षति
संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि किसी तरह की नागरिक क्षति की रिपोर्ट नहीं गई है और रिहायशी इलाकों को भी निशाना नहीं बनाया गया है. ऑपरेशन सिंदूर में करीब 70 से 100 आतंकी मारे गए. जब सेना ने यह कारवाई की तो पाकिस्तान के लिये सरप्राइज था. उस वक्त तुरंत पाक की ओर से कोई रिएक्शन नहीं आया.
सारे टारगेट को एक साथ हिट किया गया
सेना की ओर से दी गई जानकारी में बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत हुई इस कार्रवाई में सभी 9 टारगेट को एक ही समय में एक ही साथ हिट किया गया. जब तक पाकिस्तानी आर्मी इस स्थिति को समझ पाती, तब तक भारतीय सेना अपना काम समाप्त कर चुकी थी.
भारतीय कार्रवाई से बौखलाया पाकिस्तान
भारतीय कार्रवाई से पाकिस्तान बौखला गया. इस कार्रवाई के बाद बुधवार तड़के दो से चार बजे तक पाक सेना ने चार साल के बाद पहली बार एलओसी पर आर्टिलरी फायर किया. पाक गोलाबारी का सेना के तोपों ने भी बखूबी जवाब दिया. सुबह चार बजे के बाद एलओसी पर छिटपुट फायर दिन भर जारी रहा.
जैश और लश्कर के मुख्यालय हुए तबाह
ऑपरेशन सिंदूर के तहत सरहद के करीब टारगेट को सेना ने निशाना बनाया तो दूर के लक्ष्य को वायुसेना ने हिट किया. 1971 के बाद पहली बार सेना ने पाकिस्तान के पंजाब में आतंकी कैम्प पर हमला किया. इस हमले में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के मुख्यालय पर सेना ने जबरदस्त तबाही मचाई है.
जैश ए मोहम्मद (एक घोषित आतंकी संगठन)
- हेड क्वार्टर - बहावलपुर
- इंटरनेशनल बोर्डर से 100 किलोमीटर दूर
- जैश का चीफ - मौलाना मसूद अजहर
- सुप्रीम कमांडर - अब्दुल रऊफ अजहर
- साल 2000 में ये आतंकवादी संगठन बना
- बड़े हमले - 2001 में संसद में हमला,2016 में उरी में हमला,2019 पुलवामा हमला और 2025 में पहलगाम में हमले का आरोप
- एयरस्ट्राइक में नुकसान - जैश के मोहम्मद का पूरा हेड क्वार्टर तबाह,जैश के 25 से 30 आतंकी मारे गए उनमें मौलाना मसूद अजहर के 10 रिश्तेदार शामिल
लश्कर ए तैयबा (एक घोषित आतंकी संगठन)
- हेडक्वार्टर - मुरीद के ,पंजाब (30 किलोमीटर अन्दर)
- 1986 में ये आतंकी संगठन बना
- चीफ - हाफिज सईद
- बड़े हमले - जम्मू कश्मीर में हमले,2000 में लाल किले पर हमला,2001 में संसद में हमला,2005 में दिल्ली में सीरियल धमाके,2007 में हैदराबाद में सीरियल धमाके,2008 मुंबई अटैक,2010 में पुणे में सीरियल बॉम्ब ब्लास्ट,2025 पहलगाम हमला
- AIRSTRIKE में नुकसान - पूरा लश्कर हेड क्वार्टर तबाह
- करीब 62 लश्कर के आतंकी और हैंडलर मारे गए
हिजबुल मुजाहिदीन का हेड क्वार्टर भी बर्बाद
- हेड क्वार्टर -मेहमूना ,सियालकोट (15 किलोमीटर अन्दर)
- चीफ - सैयद सलाहुद्दीन
- ये आतंकी संगठन 1989 में बना
- बड़े हमले -1999 कारगिल वार, 2016 में LOC पर बड़ा हमला,इसके अलावा जम्मू कश्मीर में कई बड़े हमले
- Airstrike से नुकसान - हिजबुल का मुख्यालय तबाद,कई आतंकी मारे गए
पहली बार वायुसेना और थल सेना ने मिलकर की कार्रवाई
2016 में उरी में सेना के कैम्प पर आतंकी हमले के बाद जो सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक किया था, उसमें केवल थल सेना शामिल थी. वही 2019 में पुलवामा में सीआरपीएफ़ के काफिले पर आतंकी हमले के बाद वायुसेना ने जैश के आतंकी कैम्प पर हमला किया. इस ऑपेरशन में केवल वायुसेना थी. जबकि ऑपेरशन सिंदूर में वायुसेना और थल सेना ने मिलकर हिस्सा लिया. सेना को आशंका है कि पाक जवाबी कार्रवाई कर सकता है. इससे निपटने के लिये सेना पूरी तरह से तैयार है.
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