सरकार ने जनगणना की तारीखों का ऐलान कर दिया है. इस बार की जनगणना दो चरण में कराई जाएगी.जनगणना का पहला चरण एक अक्तूबर 2026 से शुरू होगा. इस दौरान देश के पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों की गणना की जाएगी. वहीं जनगणना का दूसरा चरण एक मार्च 2027 से शुरू होगा. इस दौरान मैदानी इलाकों में लोगों की गणना की जाएगी.नरेंद्र मोदी सरकार ने इस बार की जनगणना में जातियों की गिनती करने का भी फैसला किया है.सूत्रों के मुताबिक इस बार की जनगणना में जातियों की गिनती तो होगी, लेकिन वर्ग की नहीं होगी.उम्मीद की जा रही है कि जनगणना की अधिसूचना सरकार 16 जून को जारी कर दे.
कैसे होगी इस बार की जनगणना
सरकारी सूत्रों के मुताबिक जनगणना में जाति को गिनी जाएगी, लेकिन वर्ग की गिनती नहीं होगी. इसके पीछे एक कारण यह है एक राज्य में अगर कोई जाति अन्य पिछड़ा वर्ग में है तो, संभव है कि किसी दूसरे राज्य में वह सामान्य वर्ग में आती है. केंद्र और राज्य सरकारों की सूचियां अलग-अलग हैं. हालांकि अबतक हुई जनगणना में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) की जनसंख्या वर्ग के तौर पर आती है.एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि इस बार की जनगणना में केवल तीन साल लगने का अनुमान है, क्योंकि इस बार की जनगणना डिजिटल तौर पर कराई जाएगी. इससे पहले जनगणना में आमतौर पर पांच साल का समय लगता था.
सूत्रों के मुताबिक हर व्यक्ति को अपने धर्म के साथ जाति भी दर्ज करवानी होगी.इसके अलावा हर धर्म के व्यक्ति को अपनी जाति भी लिखनी होगी.जनगणना के दौरान व्यक्ति चाहे सामान्य वर्ग का हो या एससी या एसटी सबको अपनी जाति बतानी होगी.इसके अलावा इस्लाम धर्म के अनुयायियों को भी अपनी जाति लिखवानी होगी.
आरक्षण की सीमा बढ़ाने पर कौन लेगा फैसला
इस जाति गणना का एक पहलू यह भी है कि कोई व्यक्ति अपनी जाति को गलत बता रहा है या सही, यह पता लगाने का कोई भी पैमाना सरकार के पास नहीं होगा. यहां यह उल्लेखनीय है कि आरक्षण का लाभ केवल जाति प्रमाणपत्र के आधार पर मिलता है
सूत्रों का कहना है कि आरक्षण की 50 फीसदी की सीमा पर सुप्रीम कोर्ट फैसला करेगा, इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं होगी. इस बार की जनगणना का परिसीमन पर कोई असर नहीं होगा.ऐसे में 2026 में होने वाला परिसीमन 2011 की जनगणना के आधार पर भी हो सकता है.
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