यूपी में ‘गंगा आरती’ की तर्ज पर कर्नाटक में होगी ‘तुंगभद्रा आरती’ जानिए कहां होगा आयोजन

कर्नाटक के दावणगेरे जिले के हरिहर में रविवार को तुंगभद्रा आरती परियोजना के तहत 108 योग खंभों के निर्माण की नींव रखने के बाद बोम्मई ने भरोसा दिलाया कि तुंगभद्रा नदी के तट को उच्च श्रेणी की पर्यटक सुविधाओं के साथ विकसित किया जाएगा.

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Karnataka Tungabhadra Aarti : यूपी में गंगा आरती की तर्ज पर कर्नाटक में तुंगभद्रा आरती
बेंगलुरु:

कर्नाटक सरकार ने यूपी में हरिद्वार, बनारस समेत कई जगहों पर होने वाली गंगा आरती (UP Ganga Aarti) की तर्ज पर राज्य में तुंगभद्रा नदी पर आरती के आयोजन का फैसला लिया है. कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने गंगा तट पर आरती की तरह ‘तुंगभद्रा आरती' (Karnataka Tungabhadra Aarti) कराने की घोषणा की है. कर्नाटक के दावणगेरे जिले के हरिहर (Harihar Davangere district) में रविवार को तुंगभद्रा आरती परियोजना के तहत 108 योग खंभों के निर्माण की नींव रखने के बाद बोम्मई ने भरोसा दिलाया कि तुंगभद्रा नदी के तट को उच्च श्रेणी की पर्यटक सुविधाओं के साथ विकसित किया जाएगा. बोम्मई ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार किया है, जिसे पहले भीड़भाड़ वाली गलियों के कारण खोजना पड़ता था. अब सभी घाटों को साफ कर दिया गया है और मंदिर को एक भव्य रूप दिया गया है, जहां गंगा आरती बड़े उत्साह के साथ की जा रही है.'

उसी तर्ज पर हम दक्षिण में तुंगभद्रा आरती शुरू करना चाहते हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि वचनानंद स्वामीजी के मार्गदर्शन में एक कार्यक्रम चलाया जा रहा है. इस परियोजना में हरिहरेश्वर से पैदल मार्ग का विकास, नदी के दूषित जल की सफाई और शहरी क्षेत्रों में प्रदूषण की रोकथाम शामिल है. हरि और हर का संगम अद्भुत परिणाम देगा. नदी की सफाई की जरूरत को रेखांकित करते हुए बोम्मई ने कहा कि पानी प्रकृति के पांच तत्वों (पंचमहाभूत) में से एक है, लिहाजा इसे साफ रखना सबसे अहम है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि हरिहर चेन्नई-मुंबई औद्योगिक गलियारे का हिस्सा है और इस शहर को विकास के लिए सरकार का पूरा समर्थन मिलेगा. उन्होंने बताया कि राज्य के लोक निर्माण विभाग ने 40 किलोमीटर सड़क का निर्माण शुरू किया है. सरकार ने हरिहर के व्यापक विकास के लिए कई परियोजनाएं तैयार की हैं, जो इसी साल शुरू हो जाएंगी.

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तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित हरिहर शहर का नाम हरिहर के ऐतिहासिक मंदिर के नाम पर पड़ा था. जटिल नक्काशीदार मूर्तियों वाले इस मंदिर में हरिहर देवता की पूजा-अर्चना होती है, जिन्हें हरि (विष्णु) और हर (शिव) का संयुक्त रूप माना जाता है. मंदिर में होयसाला राजवंश के हस्ताक्षर मौजूद हैं, जिसने इस क्षेत्र पर शासन किया और लगभग 800 साल पहले मंदिर का निर्माण किया था.

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