दिव्यांगों की सुविधा के लिए नहीं है इंतजाम, दिल्ली के इन अस्पतालों को मिला नोटिस

‘लोकोमोटर’ दिव्यांगता का मतलब सेरेब्रल पाल्सी के किसी भी स्वरूप या हड्डियों, जोड़ों और मांसपेशियों की स्थिति से है, जिससे व्यक्ति चलने-फिरने में असमर्थ हो जाता है.

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नई दिल्ली:

दिव्यांग जनों के लिए मुख्य आयुक्त कार्यालय ने दिव्यांगों को पर्याप्त सुलभ बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने में विफल रहने के लिए दिल्ली के कुछ प्रमुख स्वास्थ्य देखभाल प्रतिष्ठानों को नोटिस जारी किया है.दिव्यांग जनों के लिए मुख्य आयुक्त की अदालत ने 70 फीसदी ‘लोकोमोटर' दिव्यांगता के शिकार प्रोफेसर सतेंद्र सिंह की ओर से दायर शिकायत पर केंद्रीय स्वास्थ्य शिक्षा ब्यूरो (सीएचईबी), स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस), सफदरजंग अस्पताल, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज और सुचेता कृपलानी अस्पताल, राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) से जवाब मांगा.

‘लोकोमोटर' दिव्यांगता का मतलब सेरेब्रल पाल्सी के किसी भी स्वरूप या हड्डियों, जोड़ों और मांसपेशियों की स्थिति से है, जिससे व्यक्ति चलने-फिरने में असमर्थ हो जाता है.

नौ सितंबर को दायर डॉ. सिंह की शिकायत में सीएचईबी, डीजीएचएस, सफदरजंग अस्पताल, लेडी हार्डिंग अस्पताल, आरएमएल अस्पताल और आईसीएमआर में सुलभ बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने में विफलता और दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है.

नोटिस में दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार (आरपीडब्ल्यूडी) अधिनियम, 2016 की प्रमुख धाराओं पर जोर दिया गया है, जिसके तहत दिव्यांगों को एक ऐसा वातावरण प्रदान करना अनिवार्य बनाया गया है, जो उनकी गरिमा सुनिश्चित करता है और दिव्यांगता के आधार पर भेदभाव पर रोक लगाता है.

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प्रतिवादियों को 15 दिन के भीतर शिकायत पर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया है, जिसमें अधिनियम की धारा 40, 44, 45 और 46 के तहत वैधानिक प्रावधानों के अनुपालन के लिए की गई कार्रवाई भी शामिल है.

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नोटिस में चेतावनी दी गई है कि निर्दिष्ट समय सीमा के भीतर जवाब देने में विफल रहने की स्थिति में अदालत एक पक्षीय फैसला ले सकती है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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