हेट स्पीच के हर मामले पर कानून बनाने या निगरानी करने के इच्छुक नहीं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने हेट स्‍पीच मामले में कहा कि हम इस याचिका के बहाने कानून नहीं बना सकते. हमें देश के हर हिस्से में होने वाली हर छोटी घटना पर निगरानी करने की जरूरत नहीं है. हाई कोर्ट हैं, पुलिस स्टेशन हैं, कानून मौजूद हैं.

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  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह हर घटना पर न कानून बनाने और न ही हर छोटी मोटी हेट स्पीच की निगरानी का इच्छुक है.
  • सुप्रीम कोर्ट ने आवेदक को निर्देश दिया कि वह अपनी शिकायत संबंधित राज्य के हाई कोर्ट में लेकर जाएं.
  • सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि जनहित एक धर्म तक सीमित नहीं हो सकता. सभी धर्मों में नफरत भरे बयान दिए जा रहे हैं.
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नई दिल्‍ली :

सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्‍पीच मामले में कहा कि वह देशभर में होने वाली हर घटना या शिकायत पर न तो कानून बनाने और न ही हर छोटी-मोटी हेट स्पीच की निगरानी करने का इच्छुक है, क्योंकि इसके लिए पहले से ही कानून, पुलिस तंत्र और हाई कोर्ट मौजूद है. ये टिप्पणियां जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने उस आवेदन पर सुनवाई के दौरान की, जिसमें एक खास समुदाय के सामाजिक-आर्थिक बहिष्कार के आह्वान का मुद्दा उठाया गया था. 

पीठ ने कहा, “हम इस याचिका के बहाने कानून नहीं बना सकते. हमें देश के हर हिस्से में होने वाली हर छोटी घटना पर निगरानी करने की जरूरत नहीं है. हाई कोर्ट हैं, पुलिस स्टेशन हैं, कानून मौजूद हैं.” अदालत ने पहले ही आवेदक को कहा था कि वह अपनी शिकायत लेकर संबंधित हाई कोर्ट जाएं. 

अदालत सभी घटनाओं की निगरानी कैसे रख सकती हैं?: सुप्रीम कोर्ट 

साथ ही पीठ ने कहा, “यह अदालत पूरे देश में ऐसी सभी घटनाओं पर निगरानी कैसे रख सकती है? आप अधिकारियों के पास जाएं, अगर कार्रवाई न हो तो हाई कोर्ट जाएं.”  

आवेदक के वकील ने कहा कि उन्होंने लंबित रिट याचिका में एक अतिरिक्त आवेदन दिया है, जिसमें आर्थिक बहिष्कार के बढ़ते आह्वानों के नए उदाहरण रखे हैं. 

जब पीठ ने कहा कि ऐसे आह्वान ‘कुछ व्यक्तियों' द्वारा किए जा रहे हैं तो वकील ने कहा कि कुछ जन प्रतिनिधि भी ऐसे बयान दे रहे हैं. 

जनहित एक धर्म तक सीमित नहीं हो सकता: सॉलिसिटर जनरल 

कोर्ट रूम में मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जनहित एक ही धर्म तक सीमित नहीं हो सकता है. उन्‍होंने कहा, “सभी धर्मों में नफरत भरे बयान हो रहे हैं. मैं अपने मित्र (आवेदक) को वे उदाहरण दूंगा, वह भी उन्हें जोड़कर पूरे समाज के लिए मुद्दा उठाएं.”  

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आवेदक के वकील ने कहा कि उन्होंने यह मुद्दा उठाया है क्योंकि अधिकारियों ने कार्रवाई नहीं की है और सुप्रीम कोर्ट पहले कह चुका है कि अगर राज्य कोई कदम नहीं उठाए तो पुलिस को स्वत: संज्ञान लेना होगा, वरना अवमानना होगी. 

मेहता ने कहा, “कोई भी व्यक्ति हेट स्पीच नहीं दे सकता, यह मेरा मत है. लेकिन शिकायत करते वक्त कोई सार्वजनिक हित याचिकाकर्ता चयनात्मक नहीं हो सकता.”

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जिस राज्‍य में समस्‍या, वहां के हाई कोर्ट का रुख करें: सुप्रीम कोर्ट

पीठ ने कहा कि उपलब्ध कानूनी उपायों का उपयोग किया जाना चाहिए और जिस राज्य में समस्या हो, वहां के हाई कोर्ट का रुख करें. अगर मामला जनहित का है तो हाई कोर्ट इसका ध्यान रखेगा. 

आवेदक ने अदालत को अक्टूबर 2022 के उस आदेश की याद दिलाई, जिसमें तीन राज्यों को हेट स्पीच पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे. 

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उन्होंने एक अन्य आवेदन का भी जिक्र किया जिसमें असम के एक मंत्री के बयान का मुद्दा उठाया गया है, जिन्होंने “बिहार चुनाव में गोभी की खेती को मंजूरी” जैसा वक्तव्य दिया था, जिसे आवेदक के अनुसार 1989 भागलपुर दंगों से जोड़कर देखा जा रहा है. 

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