बहुजन समाज पार्टी (BSP) के महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा (Satish Chandra Mishra) ने रविवार को कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP election) के लिए भले ही पार्टी अब तक प्रमुखता से दिखाई नहीं दे रही है, लेकिन पार्टी नेता मायावती और कार्यकर्ता जमीन पर कड़ी मेहनत कर रहे हैं और वर्ष 2007 के नतीजों की तरह सभी को चकित करेगी.
विरोधियों द्वारा आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बसपा के सक्रिय नहीं होने के आरोपों को खारिज करते हुए मिश्रा ने कहा, ‘‘बसपा के पोस्टर-बैनर पर दिखाई नहीं देने का मतलब यह नहीं है कि वह मतपत्र पर भी नहीं होगी.'' उन्होंने कहा, ‘‘जो बसपा को कमतर आंक रहे हैं वे अपने जोखिम पर ऐसा कर सकते हैं. पार्टी वर्ष 2007 के नतीजों को दोहराने का प्रयास कर रही है और वह सभी को चौकाएगी.''
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उल्लेखनीय है कि वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में मायावती के नेतृत्व में बसपा अपने दम पर पहली बार बहुमत लेकर आई थी और देश में सबसे अधिक आबादी वाले और राजनीतिक रूप से अहम राज्य उत्तर प्रदेश में सरकार बनाई थी. मिश्रा ने कहा कि मायावती संगठन स्तर पर नियमित बैठक कर रही हैं और उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों में विधानसभा चुनावों के लिए तैयारी कर रही है. उन्होंने कहा, ‘‘वह बहुत सक्रिय हैं. वह नियमित रूप से संगठन स्तर पर बैठक कर रही हैं और हम सभी को निर्देशित कर रही हैं.'' मिश्रा ने बताया कि उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में बसपा के अभियान में ‘बहुत दिखावा' भले नहीं हो. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जमीन पर वह नहीं है. उन्होंने कहा कि पार्टी सुप्रीमो और कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर कड़ी मेहनत कर रहे हैं.
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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव क्या सत्तारूढ़ भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच दो ध्रुवीय होंगे, इस सवाल पर मिश्रा ने कहा कि यह आकलन ‘‘सच्चाई से कोसों दूर'' है और राज्य के राजनीतिक महौल का ‘गलत' आकलन किया जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘यह पूरी तरह से गलत आकलन है कि उत्तर प्रदेश चुनाव भाजपा और सपा के बीच दो ध्रुवीय होगा. रुकिये और देखिए. जैसे ही बहनजी (मायावती) चुनाव प्रचार शुरू करेंगी, चुनाव उनके आसपास सिमट जाएगा.'' मिश्रा ने दोहराया कि बसपा राज्य में किसी पार्टी से गठबंधन नहीं करेगी और अपने दम पर अकेले चुनाव लड़ेगी. उन्होंने जोर देकर कहा कि न तो मायावती और न ही उनके परिवार का कोई सदस्य चुनाव लड़ेगा.
बसपा महासचिव ने कहा, ‘‘बसपा का जन्म आंदोलन से हुआ है... हम ‘सर्वजन हिताय,सर्वजन सुखाय' की विचारधारा पर काम करते हैं. हमारी परिवार आधारित पार्टी नहीं है.'' उल्लेखनीय है कि बसपा का वर्ष 2017 विधान सभा चुनाव में प्रदर्शन उम्मीदों के अनुरूप नहीं था और पार्टी को 403 सीटों वाली विधानसभा में 19 सीटों के साथ तीसरा स्थान मिला था. वहीं, भाजपा को 300 से अधिक सीटों पर जीत मिली थी जबकि सपा को 47 सीटों पर संतोष करना पड़ा था.
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