'नो स्किन टु स्किन कांटेक्‍ट' वाला आदेश देने वाली हाईकोर्ट जज ने दिया इस्‍तीफा : रिपोर्ट

हाईकोर्ट  के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि न्यायाधीश पुष्पा गनेडीवाला अभी बॉम्‍बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ की अध्यक्षता कर रही थीं, और उन्होंने बृहस्पतिवार को इस्तीफा दे दिया.

विज्ञापन
Read Time: 15 mins
जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला ने बृहस्पतिवार को इस्तीफा दे दिया
मुंबई:

बॉम्‍बे हाईकोर्ट  की न्यायाधीश पुष्पा गनेडीवाला ने इस्तीफा दे दिया है.यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम के तहत ‘‘यौन हमले'' की उनकी व्याख्या को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया था. हाईकोर्ट  के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि न्यायाधीश पुष्पा गनेडीवाला अभी बॉम्‍बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ की अध्यक्षता कर रही थीं, और उन्होंने बृहस्पतिवार को इस्तीफा दे दिया.अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल खत्म होने से एक दिन पहले उन्होंने इस्तीफा दिया. सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने उन्हें न तो सेवा विस्तार दिया था और न ही पदोन्नति दी थी.

VIDEO: लखीमपुर खीरी केस में बेटे की जमानत के बारे में जब NDTV ने केंद्रीय मंत्री से पूछा सवाल...

जनवरी-फरवरी 2021 में दिए गए उनके विवादित फैसलों के बाद, शीर्ष अदालत के कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति गनेडीवाला को स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की अपनी सिफारिश वापस ले ली थी और अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया था.उनका कार्यकाल शुक्रवार को समाप्त हो रहा था.इसका मतलब यह था कि न्यायमूर्ति गनेडीवाला को 12 फरवरी, 2022 को उनके अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद जिला सत्र न्यायाधीश के रूप में वापस जिला न्यायपालिका में पदावनत किया जाता.अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में न तो उनके कार्यकाल का विस्तार हुआ और न ही उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति हुई इसलिए न्यायमूर्ति गनेडीवाला ने अपना इस्तीफा दे दिया.आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है.

Advertisement

निर्मला सीतारमण का कांग्रेस पर तंज, 'हमारा अमृतकाल आपका राहुकाल है'

न्यायमूर्ति गनेडीवाला जनवरी-फरवरी 2021 में पारित कई फैसलों के लिए सवालों के घेरे में आ गईं थी, जिसमें कहा गया था कि पोक्सो अधिनियम के तहत यदि ‘‘ यौन संबंध बनाने के इरादे से त्वचा से त्वचा का संपर्क'' होता हे तो उसे यौन हमला माना जाएगा और ‘‘ नाबालिग लड़की का हाथ पकड़ना और किसी लड़के की पतलून की जिप खोलना'' इस अधिनियम के तहत ‘‘यौन हमला'' नहीं है.

Advertisement
सवाल इंडिया का : यूपी चुनाव में किसके वादे पर करेगी जनता यकीन?

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
8th Pay Commission: UPS के तहत केंद्रीय कर्मचारियों की Pension कितनी बढ़ेगी? जानें सब कुछ
Topics mentioned in this article