भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र के पास उतारे गए रोवर प्रज्ञान और लैंडर विक्रम के साथ संचार फिर से स्थापित करने के लिए आज प्रयास किए, ताकि उनकी वेक-अप कंडीशन का पता लगाया जा सके. रोवर और लैंडर को स्लीप मोड में डाल दिया गया था. लूनर नाइट होने के बाद दो सितंबर को उन्हें "सुरक्षित रूप से पार्क" किया गया था. चंद्रमा पर एक दिन पृथ्वी पर 14 दिनों के बराबर होता है.
इसरो ने चंद्रयान-3 मिशन पर अपने अपडेट में कहा, "उनसे कोई सिग्नल नहीं मिला है. संपर्क स्थापित करने के प्रयास जारी रहेंगे."
अंतरिक्ष एजेंसी ने आज संचार फिर से स्थापित करने की योजना बनाई थी. रोवर और लैंडर को क्रमशः दो और चार सितंबर को स्लीप मोड में डाल दिया गया था.
मिशन के निर्देशों के अनुसार, जैसे ही सुबह होगी और सूरज की रोशनी चंद्रमा के दक्षिण-ध्रुवीय क्षेत्र पर वापस आएगी, लैंडर और रोवर के सौर पैनलों के जल्द ही अधिकतम जररूत के अनुसार चार्ज होने की उम्मीद है. इसरो उन्हें रिवाइव करने और उनकी हेल्थ व कार्यक्षमता की जांच करने की कोशिश करेगा.
इसरो के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के निदेशक नीलेश देसाई ने पहले पीटीआई को बताया था कि “हमने लैंडर और रोवर को स्लीप मोड पर डाल दिया है क्योंकि तापमान शून्य से 120-200 डिग्री सेल्सियस नीचे चला जाएगा. 20 सितंबर से चंद्रमा पर सूर्योदय हो रहा होगा और हमें उम्मीद है कि 22 सितंबर तक सौर पैनल और अन्य चीजें पूरी तरह से चार्ज हो जाएंगी, इसलिए हम लैंडर और रोवर दोनों को रिवाइव करने की कोशिश करेंगे."
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले घोषणा की थी कि लैंडर विक्रम के टचडाउन स्पॉट को 'शिव शक्ति पॉइंट' कहा जाएगा. प्रधानमंत्री ने यह घोषणा मिशन की सफलता पर बधाई देने के लिए बेंगलुरु में इसरो वैज्ञानिकों से मुलाकात के दौरान की थी.
इसके अलावा चंद्रमा पर वह बिंदु, जहां 2019 में चंद्रयान -2 दुर्घटनाग्रस्त हुआ था, को 'तिरंगा पॉइंट' नाम दिया गया है.
स्लीप मोड में रखे जाने से पहले लैंडर विक्रम ने अपने इंजनों को फिर से चालू करने के बाद चंद्रमा की सतह पर फिर से टचडाउन किया था. तब वह लगभग 40 सेंटीमीटर ऊपर उठा था और लगभग 30-40 सेंटीमीटर तक उछला था.
विक्रम लैंडर ने चंद्रयान -3 मिशन के उद्देश्यों को पार कर लिया है और सफलतापूर्वक एक हॉप एक्सपेरीमेंट पूरा कर लिया है. कमांड पर उसने इंजन चालू किया, उम्मीद के मुताबिक खुद को लगभग 40 सेंटीमीटर ऊपर उठाया और 30 - 40 सेंटीमीटर की दूरी पर सुरक्षित रूप से उतर गया.
ऐतिहासिक लैंडिंग के बाद, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) ने चंद्रमा की सतह पर विभिन्न काम किए, जिसमें सल्फर की उपस्थिति का पता लगाना और सापेक्ष तापमान रिकॉर्ड करना शामिल है.