पीलीभीत से भाजपा सांसद वरुण गांधी ने मंगलवार को दावा किया कि वह अकेले हैं जो गन्ने के लिए एमएसपी बढ़ाने का मुद्दा उठाते हैं, जबकि अन्य सांसदों और विधायकों में इस बारे में बात करने की हिम्मत नहीं है. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी के सहयोगी ऐसे मुद्दे नहीं उठाते क्योंकि उन्हें डर है कि उन्हें चुनावी टिकट नहीं दिया जाएगा. बरेली में बहेरी विधानसभा क्षेत्र के दो दिवसीय दौरे पर आए सांसद ने ग्रामीणों के साथ बातचीत करते हुए कहा कि उन्हें छोड़कर सत्ताधारी दल के किसी अन्य विधायक या सांसद में हिम्मत नहीं है जो गन्ने का एमएसपी बढ़ाने का मुद्दा उठा सके.
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उन्होंने कहा कि उन नेताओं को डर है कि उन्हें (चुनाव) टिकट नहीं मिलेगा. अगर जनप्रतिनिधियों ने लोगों की आवाज नहीं उठाई तो कौन उठाएगा? मुझे चुनाव टिकट नहीं मिलने से कोई फर्क नहीं पड़ता. मेरी मां ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीता है. मैं केवल सच कहूंगा. सरकारें आती-जाती रहती हैं. दरअसल, वरुण गांधी की मां मेनका गांधी ने 1998 और 1999 का लोकसभा चुनाव पीलीभीत से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीता था।
वरुण गांधी ने यह भी कहा कि वह एक "क्रांतिकारी" नेता हैं और लोगों के साथ हो रहे अन्याय को नहीं देख सकते. वह लोगों की जो भी मदद करते हैं, वह उनके अपने पैसे से होती है, चाहे वह गांवों में युवाओं को खेल उपकरण देना हो या मंदिरों को वित्तीय सहायता देना हो.
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इस बीच, पीलीभीत के जिलाधिकारी पुलकित खरे को लिखे पत्र में वरुण गांधी ने आरोप लगाया कि जिले में आयोजित होने वाले 'बांसुरी महोत्सव' के लिए व्यापारियों से पैसे की उगाही की जा रही है. अपने पत्र में वरुण गांधी ने कहा है कि व्यापारियों पर अतिरिक्त बोझ डालना, जो पहले ही COVID-19 और वस्तु एवं सेवा कर (GST) की चपेट में आ चुके हैं, उन पर अत्याचार करने जैसा है.
हालांकि इस मुद्दे पर अभी तक जिलाधिकारी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. वहीं व्यापारियों का आरोप है कि स्थानीय प्रशासन ने उत्सव आयोजित करने के लिए उनसे पैसे लिए हैं. भाजपा सांसद ने कहा कि व्यापारियों ने हाल ही में उनसे दिल्ली में मुलाकात की और उन्हें इस मुद्दे की जानकारी दी. उन्होंने मंगलवार को मीडिया के साथ पत्र साझा किया. वरुण गांधी ने व्यापारियों को 4.5 लाख रुपये का चेक सौंपा.
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