HIJAB ROW: हिजाब विवाद इस समय देश के साथ देश के बाहर भी चर्चा का विषय बना हुआ है. हिजाब विवाद पर विदेश मंत्रालय ने साफ कहा कि ये मामला विदेश मंत्रालय का नहीं है. ये मामला न्यायालय में चल रहा है और भारत के अंदरुनी मामले पर बाहर के लोगों को बोलने का हक़ नहीं है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (External Affairs Spokesperson Arindam bagchi) ने शुक्रवार की प्रेस ब्रीफिंग में यूक्रेन और चीन सीमा विवाद को लेकर भी पक्ष रखा. बागची ने कहा कि जहाँ तक चीन सीमा का सवाल है वहाँ की स्थिति पर हम कई बार स्पष्ट कर चुके हैं। उससे अधिक बोलने का कारण नहीं है. चीन सीमा मामले को लेकर पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के सरकार पर बोले गए हमले को लेकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि यह एक राजनीतिक बयान है, नीतिगत नहीं.
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यूक्रेन-रूस विवाद के बीच यूक्रेन में रह रहे भारतीयों को सुरक्षित निकालने संबंधी सवाल पर उन्होंने कहा, 'हम स्थिति पर नज़र रखे हैं. भारतीयों के लिए एडवाइज़री जारी की गई हैं. घबराने की जरूरत नहीं है. फ़्लाइट्स चल रही हैं. दूतावास में सामान्य रूप से का कामकाज चल रहा है.' यूक्रेन से भारतीयों को लोगों को निकालने के बारे में बागची ने कहा, 'अभी कोई फ़ैसला नहीं लिया गया है, लेकिन साथ ही स्पष्ट करना चाहता हूं कि हालात पर नज़र रखी जा रही है.'उन्होंने यह भी बताया कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर 18 असे 23 फरवरी तक जर्मनी और फ्रांस का दौरा करेंगे.
चीन सीमा विवाद पर यह बोले थे पूर्व पीएम मनमोहन सिंह
बता दें पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राज्य की जनता के लिए एक वीडियो संदेश जारी किया है, इसमें उन्होंने चीन सीमा विवाद को लेकर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. पूर्व पीएम ने यह भी कहा कि कोरोना की मार के बीच केंद्र सरकार की अदूरदर्शी नीतियों की वजह से एक तरफ लोग गिरती अर्थव्यवस्था, बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी से परेशान हैं. मनमोहन सिंह ने कहा, 'मसला केवल देश के अंदर की समस्या का नहीं है. विदेश नीति के मोर्चे पर भी ये सरकार (मौजूदा केंद्र सरकार ) पूरी तरह असफल साबित हुई है. चीन के सैनिक हमारी पवित्र धरती पर पिछले एक साल से बैठे हैं, पर उस पूरे मामले को दबाने की कोशिश हो रही है. पुराने दोस्त हमसे लगातार छिटक रहे हैं, वहीं पड़ोसी देशों के साथ भी हमारे रिश्ते खराब हो रहे हैं. मैं उम्मीद करता हूं कि अब सत्ता के हुक्मरानों को समझ में आ गया होगा कि देशों के रिश्ते नेताओं से जबरदस्ती गले मिलने, उन्हें झूला-झुलाने या बिन बुलाए बिरयानी खाने के लिए पहुंच जाने से नहीं सुधरते हैं. '