JKSSB ने ब्लैकलिस्टेड एजेंसी को दिया एग्जाम कराने का कॉन्ट्रैक्ट, विवाद होने पर कही ये बात

अभ्यर्थियों ने कहा कि जम्मू-कश्मीर सेवा चयन बोर्ड ने पूर्व में अनियमित्ताओं से कुछ भी नहीं सीखा है. ब्लैक लिस्टेड कंपनी को परीक्षा लेने का जिम्मा दिया है, जो विभिन्न राज्यों में आयोजित 10 से अधिक भर्ती परीक्षाओं में कदाचार में लिप्त थी.

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प्रतीकात्मक फोटो.
श्रीनगर:

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने भर्ती परीक्षा आयोजित करने के लिए पहले ब्लैकलिस्टेड की गई एक प्राइवेट एजेंसी को किराए पर लेने के अपने विवादास्पद फैसले का बचाव किया है. इस मामले को लेकर बीते कई दिनों से विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं. जम्मू-कश्मीर सेवा चयन बोर्ड (JKSSB) के अध्यक्ष राजेश शर्मा ने एप्टेक लिमिटेड को कॉन्ट्रैक्ट देने के लिए टेंडर की शर्तों में बदलाव को भी उचित ठहराया है. एप्टेक को कई राज्यों द्वारा ब्लैकलिस्ट किया गया है. साथ ही दिल्ली हाईकोर्ट ने इसे दंडित भी किया है.

उन्होंने कहा, "कंपनी को साल 2019 में तीन साल के लिए ब्लैकलिस्ट किया गया था. इसे अभी ब्लैकलिस्ट नहीं किया गया है. ब्लैकलिस्टिंग की अवधि 2022 में समाप्त हो गई. कानूनी रूप से हमारे पास एजेंसी को किराए पर नहीं लेने का कोई कारण नहीं था." राजेश शर्मा के अनुसार, 'कॉन्ट्रैक्ट देने की शर्तों में बदलाव किया गया था, क्योंकि ब्लैकलिस्टिंग कुछ अवधि के लिए थी, न कि स्थायी रूप से थी.'

वहीं, अभ्यर्थियों ने कहा कि जम्मू-कश्मीर सेवा चयन बोर्ड ने पूर्व में अनियमित्ताओं से कुछ भी नहीं सीखा है. ब्लैक लिस्टेड कंपनी को परीक्षा लेने का जिम्मा दिया है, जो विभिन्न राज्यों में आयोजित 10 से अधिक भर्ती परीक्षाओं में कदाचार में लिप्त थी.

इससे पहले बुधवार को जम्मू शहर में प्रेस क्लब के बाहर अभ्यर्थी प्रदर्शन करने के लिए एकत्रित हुए. इस दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को सड़क जाम करने से रोका. प्रदर्शनकारी एपीटीईसीएच लिमिटेड को विभिन्न परीक्षाओं के संचालन के लिए कथित तौर पर ठेका दिए जाने के विरोध कर रहे हैं.

प्रदर्शनकारियों ने मांग करते हुए कहा कि एलजी प्रशासन को इस बात की जांच करानी चाहिए कि पेपर लीक और घोटाले केवल जम्मू-कश्मीर में ही क्यों होते हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश में युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने इस मामले में नए सिरे से फैसला करने के लिए एकल न्यायाधीश की पीठ को दिए गए अनुरोध को आज वापस भेज दिया. दिसंबर में एक दागी एजेंसी को परीक्षा का ठेका देने पर कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन पर कड़ी टिप्पणी की थी. कोर्ट ने कहा कि एप्टेक लिमिटेड को ठेका देने का फैसला और टेंडर की शर्त में बदलाव का मकसद निजी फर्म को फायदा पहुंचाना था.

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