फॉक्सकॉन केस : चूड़ी-मंगलसूत्र को ना, महिला शादीशुदा तो जॉब नहीं! यह कैसी शर्त? जानें क्या है पूरा मामला

फॉक्सकॉन ने सरकार को स्पष्ट किया है कि हाल ही में नियुक्त की गई महिलाओं में से 25 प्रतिशत विवाहित हैं. इसका मतलब यह है कि कुल महिलाओं में से करीब एक तिहाई विवाहित हैं. यह अनुपात भारत में वर्तमान में क्षेत्र के किसी भी कारखाने की तुलना में बेहतर है.

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शादीशुदा महिलाओं को नौकरी नहीं पर सवाल उठा था फॉक्सकॉन को देना पड़ा जवाब (प्रतीकात्मक तस्वीर)

तमिलनाडु में एप्पल आईफोन असेंबल प्लांट चलाने वाली कंपनी फॉक्सकॉन को लेकर दो महिलाओं ने दावा किया था कि कंपनी में शादीशुदा महिलाओं को नौकरी पर नहीं रखा जाता, जिसके बाद  श्रम और रोजगार मंत्रालय ने बुधवार को फॉक्सकॉन इंडिया के एप्पल आईफोन संयंत्र में शादीशुदा महिलाओं को काम करने की अनुमति नहीं देने के मुद्दे पर तमिलनाडु के श्रम विभाग से रिपोर्ट मांगी थी. दरअसल, इस बारे में मीडिया में खबरें आई थीं, जिसके बाद श्रम विभाग ने ये कदम उठाया था. इस पर कंपनी की ओर से भी साफ कर दिया गया है कि ऐसा कुछ नहीं है, उनकी कंपनी 25 प्रतिशत शादीशुदा महिलाएं हैं.

श्रम मंत्रालय ने याद दिलाया कानून

श्रम मंत्रालय ने बयान में कहा कि समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976 की धारा 5 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि पुरुष और महिला श्रमिकों की भर्ती करते समय कोई भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए.

इसमें कहा गया है कि चूंकि राज्य सरकार इस अधिनियम के प्रावधानों के प्रवर्तन और प्रशासन के लिए उपयुक्त प्राधिकारी है, इसलिए उससे रिपोर्ट मांगी गई है. साथ ही इसने कहा कि क्षेत्रीय मुख्य श्रम आयुक्त के कार्यालय को भी श्रम और रोजगार मंत्रालय, भारत सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है. 

दो शादीशुदा लड़कियों ने शेयर किया था ये वाकया

रायटर्स में एक रिपोर्ट छपी थी कि फॉक्सकॉन में शादीशुदा महिलाओं की जॉब एप्लीकेशन को ही रिजेक्ट कर दिया जाता है. इस रिपोर्ट के मुताबिक-दो बहनों जिनकी उम्र 20 साल के आसपास थी उन्होंने दावा किया था कि उनके साथ भेदभाव का सामना करना पड़ा. पिछले साल 2023 में व्हाट्सऐप पर नौकरी के विज्ञापन देखने के बाद ये दोनों बहनें इंटरव्यू के लिए प्लांट पहुंची थी, लेकिन मेन गेट पर मौजूद सुरक्षा अधिकारी ने उन्हें इंटरव्यू नहीं देने और गेट से वापस लौटा दिया.

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दोनों बहनों ने बताया कि सुरक्षा अधिकारी ने उनसे सवाल किया था कि क्या आप शादीशुदा है? जैसे ही उन्होंने हां बोला उन्हें वापस जाने के लिए कह दिया गया. महिला ने बताया कि उन्हें ये नौकरी सिर्फ इसलिए नहीं दी गई क्योंकि वह शादीशुदा है.

महिलाओं को ऑटो वाले ने भी कही थी यही बात

महिला ने रायटर्स को ये भी बताया कि जब वह इंटरव्यू देने जा रही थी तो ऑटो वाले ने भी उन्हें फॉक्सकॉन के भेदभावपूर्ण रवैये के बारे में बताया था. जब वह वहां पहुंची तो उनके साथ भी यही हुआ. इस रिपोर्ट के मुताबिक- फॉक्सकॉन के पूर्व एचआर कार्यकारी एस पॉल ने भी इस खबर की पुष्टि की थी. उन्होंने बताया है कि फॉक्सकॉन का मानना है कि पारिवारिक जिम्मेदारियों और संभावित गर्भधारण  के कारण विवाहित महिलाएं कंपनी के लिए उतनी उपयोगी नहीं रहतीं. एस पॉल के दावों का समर्थन फॉक्सकॉन की विभिन्न हायरिंग एजेंसियों के कुछ कर्मचारियों औ पूर्व एचआर अधिकारियों ने किया था.

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कंपनी ने सफाई में क्या कहा

न्यूज एजेंसी भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक- इस पूरे मामले में फॉक्सकॉन ने सरकार को सूचित किया है कि उसके नए कर्मचारियों में 25 प्रतिशत विवाहित महिलाएं हैं और उसका सुरक्षा नियमन भेदभावपूर्ण नहीं है. फॉक्सकॉन के विवाहित महिलाओं को नौकरी पर नहीं रखने की खबरों के बीच सरकार को यह जानकारी दी गई. सूत्रों ने बताया कि फॉक्सकॉन ने सरकार के साथ साझा की अनौपचारिक जानकारी में कहा कि इस तरह की शर्तें उसकी नीति का हिस्सा नहीं हैं. ये दावे उन लोगों द्वारा किए गए हो सकते हैं जिन्हें नौकरी पर नहीं रखा गया. कंपनी ने कहा कि ऐसी खबरें तेजी से बढ़ते भारतीय विनिर्माण क्षेत्र को बदनाम करती हैं. सूत्रों के मुताबिक- फॉक्सकॉन ने स्पष्ट किया है कि हाल ही में नियुक्त की गई महिलाओं में से 25 प्रतिशत विवाहित हैं. इसका मतलब यह है कि कुल महिलाओं में से करीब एक तिहाई विवाहित हैं. यह अनुपात भारत में वर्तमान में क्षेत्र के किसी भी कारखाने की तुलना में बेहतर है.'' उन्होंने बताया कि फॉक्सकॉन कारखाने में वर्तमान में करीब 70 प्रतिशत महिलाएं और 30 प्रतिशत पुरुष कार्यरत हैं. तमिलनाडु संयंत्र देश में महिलाओं को रोजगार देने वाला सबसे बड़ा कारखाना है, जहां व्यस्ततम अवधि के दौरान कुल रोजगार 45,000 श्रमिक काम करते हैं.

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चूड़ी-मंगलसूत्र ना पहनने देने के सवाल पर कंपनी का जवाब

कंपनी ने साथ ही बताया कि हिंदू विवाहित महिलाओं के साथ धातु ( चूड़ी मंगलसूत्र आभूषण आदि) पहनने के कारण भेदभाव किए जाने की बात 'पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण' है. ऐसे कारखानों में धातु पहनना सुरक्षा का एक मुद्दा है, जिसे उद्योग तथा सरकार दोनों अच्छी तरह से पहचानते हैं. कंपनी के अनौपचारिक ‘नोट' का हवाला देते हुए सूत्र ने कहा, ‘‘ ऐसी धातु पहनने वाले किसी भी व्यक्ति...पुरुष या महिला, अविवाहित हो विवाहित..उनका धर्म (हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख आदि) कोई भी हो उनके लिए कारखाने में काम करते समय उसे उतारना आवश्यक है.''सुरक्षा कारणों से धातु पहने किसी भी व्यक्ति को कार्यस्थल पर काम करने की अनुमति नहीं है और यह कई उद्योगों में प्रचलित प्रथा है. सूत्रों के अनुसार, कंपनी ने कहा कि मीडिया की खबरें पांच से 10 लोगों या संभावित नौकरी चाहने वालों की टिप्पणियों पर आधारित हैं।.ये टिप्पणियां संभवतः उन लोगों की ओर से की गईं जिन्हें नौकरी नहीं मिली या जो अब फॉक्सकॉन में काम नहीं करते.

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(इनपुट्स भाषा से भी)

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