शहबाज शरीफ के पाकिस्तान का नया प्रधानमंत्री बनने के एक पखवाड़े बाद भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसके इस रुख में कोई बदलाव नहीं आया है कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत आतंकवाद से मुक्त माहौल में ही हो सकती है और ऐसा माहौल बनाने की जिम्मेदारी इस्लामाबाद पर है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने यह भी कहा कि कराची में आतंकवादी हमले ने केवल इस जरूरत को ही रेखांकित किया है कि सभी देशों को आतंकवाद के खिलाफ एकसमान रुख अख्तियार करना होगा. उन्होंने साथ ही कहा कि भारत ऐसे हमलों की निंदा करता है.
बागची ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया कश्मीर यात्रा को ‘दिखावा' करार देने वाली शरीफ की टिप्पणी को खारिज कर दिया और कहा कि पाकिस्तान को इस पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है.
बागची ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा, ‘‘कहीं भी होने वाले आतंकवाद के सभी स्वरूपों के खिलाफ हमारा रुख सतत और स्थिर रहा है. हम (उनकी) निंदा करते रहे हैं. यह विशेष घटना सभी देशों द्वारा आतंकवाद के खिलाफ एकसमान रुख अपनाने की आवश्यकता को रेखांकित करती है.''
गौरतलब है कि मंगलवार को कराची विश्वविद्यालय में एक आत्मघाती बम हमले में चीनी भाषा के तीन शिक्षकों और उनके स्थानीय चालक की मौत हो गयी थी.
पाकिस्तान से बातचीत के मुद्दे पर भारत के रुख के बारे में पूछे जाने पर, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि इसमें कोई परिवर्तन नहीं आया है. उन्होंने कहा, ‘‘हमारा रुख बहुत सीधा है. आतंकवाद से मुक्त माहौल होना चाहिए, तभी वार्ता हो सकती है. दोनों प्रधानमंत्रियों ने शिष्टाचार स्वरूप पत्रों का आदान-प्रदान किया. यह हमारी वैध मांग है कि आतंकवाद से मुक्त माहौल हो.''
बागची ने कहा कि इस तरह के माहौल के बिना बातचीत नहीं हो सकती. उन्होंने कहा, ‘‘हमारे रुख में कोई बदलाव नहीं आया है.''
शरीफ के पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें पत्र लिखकर कहा था कि भारत पाकिस्तान के साथ सकारात्मक संबंधों की अपेक्षा रखता है. जवाब में शरीफ ने दोनों देशों के बीच ‘सार्थक' बातचीत की वकालत की.
शरीफ द्वारा रविवार को मोदी की कश्मीर दौरे को ‘दिखावा' बताये जाने के बारे में पूछे जाने पर बागची ने सवाल किया कि इसका वास्तव में क्या मतलब है.
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री के केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के दौरे के मुद्दे पर, मुझे ‘दिखावा' शब्द समझ में नहीं आता है. ऐसा लगता है कि यह दौरा हुआ नहीं था और हम यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि यह हुआ था.''
उन्होंने कहा, ‘‘उनका (प्रधानमंत्री का) जो स्वागत-सत्कार हुआ और आपने जो तस्वीरें देखीं उससे यह बिल्कुल साफ है. उन्होंने जिन विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया और धरातल पर जो बदलाव हुए हैं, वे प्रधानमंत्री की यात्रा को लेकर उठने वाले किसी भी सवाल का बिल्कुल स्पष्ट जवाब हैं.''
बागची ने कहा, ‘‘किसी भी स्थिति में पाकिस्तान को इस नजरिये से बात करने का कोई अधिकार नहीं है कि जम्मू कश्मीर में क्या हो रहा है.''
भारत कहता आ रहा है कि वह पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी जैसे संबंध चाहता है लेकिन उसका जोर इस बात पर है कि इस तरह की भागीदारी के लिए आतंकवाद से मुक्त माहौल बनाने की जिम्मेदारी पाकिस्तान की ही है.
पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद फरवरी 2019 में पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के एक आतंकवादी शिविर पर भारत के लड़ाकू विमानों के हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव गहरा गया था.
अगस्त 2019 में जब केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लेने और उसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने की घोषणा की तो संबंधों में खाई और बढ़ गयी.
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