मैंने तो 'भाई' को आगे बढ़ाया : कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न को लेकर BJP पर नीतीश के तंज के मायने

कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती पर उनके पैतृक गांव बिहार के समस्तीपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा, "जब से कर्पूरी जी का निधन हुआ, तभी से हमलोग भारत रत्न की मांग कर रहे थे. केंद्र ने इसकी घोषणा की है, जो बहुत अच्छी बात है."

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नीतीश कुमार ने कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती पर उनके पैतृक गांव बिहार के समस्तीपुर में जाकर श्रद्धांजलि दी.
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  • कर्पूरी ठाकुर बिहार में 2 बार CM और एक बार रहे डिप्टी-CM
  • नीतीश कुमार और लालू यादव ने कर्पूरी ठाकुर से सीखे थे राजनीति के गुर
  • बीजेपी ने की ओबीसी वोट बैंक को साधने की कोशिश
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समस्तीपुर:

लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) से पहले मोदी सरकार (Modi Government) ने बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर ( Karpoori Thakur Bharat Ratna) को मरणोपरांत 'भारत रत्न' सम्मान देने का ऐलान करके बड़ा दांव चल दिया है. इस ऐलान के बाद विपक्षी दलों और खासकर बिहार की सियासत में खलबली मची है. देश के सबसे बड़े सम्मान के लिए जननायक कर्पूरी ठाकुर के नाम के ऐलान से मोदी सरकार ने एक तीर से दो निशाने लगाए हैं. बीजेपी ने इस फैसले से OBC वोट बैंक (OBC Vote Bank) को टारगेट किया है. साथ ही चुनाव से पहले ही विपक्षी दलों के INDIA अलायंस को पटखनी देने की कोशिश की गई है. ऐसे में विपक्षी दलों को एकजुट करने वाले नीतीश कुमार (Nitish Kumar)के पास भी बीजेपी और केंद्र सरकार की तारीफ करने के सिवा और करने को कुछ नहीं है.

कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती पर उनके पैतृक गांव बिहार के समस्तीपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा, "जब से कर्पूरी जी का निधन हुआ, तभी से हमलोग भारत रत्न की मांग कर रहे थे. केंद्र ने इसकी घोषणा की है, जो बहुत अच्छी बात है." बता दें कि नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव कर्पूरी ठाकुर की राजनीतिक पाठशाला के ही छात्र रहे हैं.

मीडिया को संबोधित करते हुए सीएम नीतीश कुमार ने परिवारवाद पर भी हमला बोला. उन्होंने कहा, "मैंने कभी अपने बेटे को आगे नहीं बढ़ाया. हमेशा भाई (कर्पूरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर) को आगे बढ़ाने का काम किया." बता दें कि रामनाथ ठाकुर वर्तमान में राज्यसभा सांसद हैं और पूर्व में केंद्र में मंत्री भी रहे हैं.

बिहार के सीएम ने कहा, "कर्पूरी ठाकुर ने समाज के सभी वर्गों... गरीबों, पिछड़ों और अति पिछड़ों के उत्थान के लिए काम किए. यहां तक ​​कि उन्होंने शराब पर भी प्रतिबंध लगा दिया था. हम उनके काम की प्रशंसा कर रहे हैं."

कर्पूरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर का जिक्र करते हुए नीतीश कुमार ने कहा, "उन्होंने (कर्पूरी ठाकुर ने) कभी भी अपने बेटे को अपना उत्तराधिकारी नहीं बनाया... लेकिन मेरे भाई (राम नाथ ठाकुर) 2005 से 2010 तक मंत्री रहे. अब राज्यसभा में हैं." 

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नीतीश ने पीएम पर साधा निशाना
बिहार के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी तंज कसे. उन्होंने कहा, "उम्मीद है कि पीएम मोदी कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का पूरा क्रेडिट लेंगे. मुझे रामनाथ ठाकुर ने बताया कि प्रधानमंत्री ने इस ऐलान के बाद उन्हें फोन किया था. हालांकि, पीएम मोदी ने अब तक मुझे फोन नहीं किया है..."

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पीएम मोदी ने किया ट्वीट
पीएम मोदी ने मंगलवार को कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने के ऐलान पर सोशल मीडिया पर खुशी जाहिर की. पीएम ने  X पर लिखा, "मुझे इस बात की बहुत प्रसन्नता हो रही है कि भारत सरकार ने समाजिक न्याय के पुरोधा महान जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न से सम्मानित करने का निर्णय लिया है. उनकी जन्म-शताब्दी के अवसर पर यह निर्णय देशवासियों को गौरवान्वित करने वाला है. पिछड़ों और वंचितों के उत्थान के लिए कर्पूरी जी की अटूट प्रतिबद्धता और दूरदर्शी नेतृत्व ने भारत के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य पर अमिट छाप छोड़ी है. यह भारत रत्न न केवल उनके अतुलनीय योगदान का विनम्र सम्मान है, बल्कि इससे समाज में समरसता को और बढ़ावा मिलेगा."

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नीतीश कुमार की टिप्पणियों को कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न सम्मान देने के फैसले का क्रेडिट लेने की होड़ वाले नेताओं के लिए एक जवाब के तौर पर देखा जा रहा है. बीजेपी ने विपक्ष पर कर्पूरी ठाकुर की विरासत से राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश करने का आरोप लगाया है.

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लालू ने कहा- भारत रत्न तो पहले ही मिल जाना था
कर्पूरी ठाकुर के पूर्व शिष्य और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने कहा कि जिस व्यक्ति को आज भी 'जननायक' के रूप में याद किया जाता है, उसे बहुत पहले ही यह पुरस्कार मिल जाना चाहिए था.

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बता दें कि कर्पूरी ठाकुर बिहार के एक बार मेंं 2 बार सीएम और एक बार डिप्टी सीएम रहे. वे अति पिछड़ा वर्ग ( EBC) में जन्मे थे. मौजूदा समय में बिहार में EBC की आबादी 36 प्रतिशत है. उन्हें सामाजिक न्याय का मसीहा माना जाता है. बिहार के सीएम रहते हुए कर्पूरी ठाकुर ने देश में पहली आर्थिक आधार पर सवर्णों को 3 फीसदी आरक्षण दिया था, जिसे बाद में कोर्ट ने खत्म कर दिया था.


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