नीतीश कटारा हत्याकांड : विकास यादव की रिहाई की मांग को लेकर SC में सुनवाई टली

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में विकास यादव ने अपनी रिहाई की मांग की है और कहा है कि जेल की सजा काटते हुए विकास यादव को 22 साल हो गए हैं.

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नीतीश कटारा (फाइल फोटो)

2002 के बहुचर्चित नीतीश कटारा हत्याकांड (Nitish Katara murder case) मामले में विकास यादव (Vikas Yadav) की रिहाई की मांग को लेकर  सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई  टली. कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 17 जनवरी को होगी.  विकास यादव के वकील ने कहा कि वह 22 साल से जेल में है, उसको रिहा किया जाना चाहिए. नीलम कटारा के वकील ने विकास यादव की याचिका का विरोध किया. नीलम कटारा के वकील ने कहा कि विकास यादव की पहले सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका खारिज हो चुकी है, अब रिट याचिका दाखिल की गई है.

विकास यादव को सजा काटते 22 साल हो गए हैं...

याचिका में विकास यादव ने अपनी रिहाई की मांग की है और कहा है कि जेल की सजा काटते हुए विकास यादव को 22 साल हो गए हैं.  नीतीश कटारा हत्‍याकांड में सुप्रीम कोर्ट ने ही विकास यादव को 25 साल की सजा सुनाई थी.  विकास यादव को निचली अदालत और हाईकोर्ट से उम्रकैद की सजा मिली थी,  लेक‍िन सुप्रीम कोर्ट ने उसको 25 साल सजा सुनाई थी ज‍िसमें से वो अब 22 साल पूरे कर चुका है.

ये हत्या जघन्यतम अपराध नहीं था : कोर्ट

पुलिस के मुताबिक, नीतीश कटारा 17 फरवरी, 2002 को गाजियाबाद के डायमंड हॉल में अपनी दोस्त की शादी में शामिल होने गए थे. वहीं से नीतीश का विकास और विशाल ने अपहरण किया और सुखदेव पहलवान के साथ मिलकर उसकी हत्या कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 'ऐसा नहीं लगता कि इस मामले में ऑनर किलिंग की गई थी. विशाल की बहन भारती यादव अपनी बहन की शादी का कार्ड भी नीतीश के घर देने गयी थी, जिसका मतलब दोनों परिवार एक दूसरे को जानते थे।' कोर्ट ने ये भी कहा कि 'हत्या का कारण शादी के दौरान दोनों का साथ में नाचना और इससे दोनों भाइयों का हत्या का षडयंत्र रचना था, लेकिन ये हत्या जघन्यतम अपराध नहीं था.' कोर्ट ने मौत की सजा से इंकार करने के साथ ही ये भी कहा कि 'हत्या के समय दोनों भाई बहुत जवान थे, इसलिए ताउम्र की भी सजा नहीं दी जा सकती.'

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