नीति आयोग (Niti Aayog) ने देश का पहला बहुआयामी गरीबी सूचकांक (Multidimensional Poverty Index-MPI) रिपोर्ट जारी किया है, जिसके बाद सियासी पारा गर्म है. आयोग द्वारा जारी आंकड़े में गरीबी के मामले में जो पांच राज्य टॉप पर हैं, उनमें से चार बीजेपी शासित राज्य हैं. कहीं बीजेपी की अकेली पूर्ण बहुमत की सरकार है तो कहीं डेढ़ दशक पुरानी गठबंधन की सरकार है. गरीबों की आबादी के लिहाज से इनमें उत्तर प्रदेश सबसे टॉप पर है.
नीति आयोग द्वारा जारी सूचकांक के अनुसार, बिहार की 51.91 प्रतिशत जनसंख्या गरीब है. यहां नीतीश कुमार की अगुवाई में बीजेपी और जेडीयू गठबंधन की डेढ़ दशक पुरानी सरकार है, जबकि दिसंबर 2019 से पहले बीजेपी शासित झारखंड में 42.16 प्रतिशत आबादी गरीब है. देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में 37.79 प्रतिशत आबादी गरीबी में रह रही है.
2011 की जनगणना के अनुसार यूपी की आबादी 19.98 करोड़ है. इसकी 37.79 फीसदी आबादी यानी 7.55 करोड़ आबादी गरीब है. बिहार की आबादी 2011 की जनगणना के अनुसार 10.4 करोड़ है. इसकी करीब 52 फीसदी आबादी यानी 5.4 करोड़ आबादी गरीबी में जीवन बसर कर रही है.
सूचकांक में मध्य प्रदेश (36.65 प्रतिशत) चौथे स्थान पर है, जबकि मेघालय (32.67 प्रतिशत) पांचवें स्थान पर है. मध्य प्रदेश में भी साल 2003 से लगातार (दिसंबर 2018 से मार्च 2020 छोड़कर) बीजेपी की सरकार है और शिवराज सिंह चौहान 2005 से मुख्यमंत्री हैं. वहीं मेघालय में बीजेपी की गठबंधन सरकार है.
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इस सूचकांक में सीपीएम शासित केरल में 0.71 प्रतिशत, बीजेपी शासित गोवा में 3.76 प्रतिशत, सिक्किम में 3.82 प्रतिशत, तमिलनाडु में 4.89 प्रतिशत और पंजाब में 5.59 प्रतिशत आबादी गरीब है. ये राज्य पूरे देश में सबसे कम गरीब जनता वाले राज्यों में शामिल हैं और सूचकांक में सबसे नीचे हैं.