वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने कहा कि "पूंजीगत व्यय (Capital expenditure) या कैपेक्स (CapEx) एक सुनिश्चित तरीका है जिसके जरिए खपत बढ़ाई जा सकती है." एनडीटीवी के एडिटर-इन-चीफ संजय पुगलिया से बातचीत में निर्मला सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूंजीगत व्यय पर जोर देते हैं और वे इस पर विश्वास करती हैं.
वित्त मंत्री ने कहा कि, "मैं ईमानदारी से प्रधानमंत्री के पूंजीगत व्यय, कैपिटल एसेट के निर्माण के के लिए पब्लिक फंडिंग पर जोर देने में विश्वास करती हूं. पिछले चार सालों में हमने बड़ी संख्या में घोषणाएं की हैं और क्रियान्वयन और निष्पादन पर भी ध्यान केंद्रित किया है. इससे निश्चित रूप से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मदद मिली है, और खपत उसी से बढ़ती है."
लोकसभा चुनाव से पहले फरवरी में पेश किए गए अंतरिम बजट में व्यय योजना में कोई बदलाव नहीं किया गया है. निर्मला सीतारमण ने कहा, "यह हमारे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.4 प्रतिशत होगा."
वित्त मंत्री ने मंगलवार को अपना लगातार सातवां बजट पेश करते हुए घोषणा की कि सरकार मार्च 2025 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में विकास को बढ़ावा देने और अधिक रोजगार सृजित करने के लिए बुनियादी ढांचे पर रिकॉर्ड 11 लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी.
उन्होंने एनडीटीवी से कहा, "हमने 11 लाख करोड़ (कैपेक्स) की घोषणा की है और हम इसे आगे बढ़ाने जा रहे हैं. इसलिए कैपेक्स एक सुनिश्चित तरीका है जिसके माध्यम से खपत बढ़ाई जा सकती है और यह बढ़ी है, यही वजह है कि हम इस दर से बढ़ रहे हैं."
मार्च तिमाही में अर्थव्यवस्था उम्मीद से ज्यादा 7.8 प्रतिशत की दर से बढ़ी. पिछले वित्तीय वर्ष में इसमें 8.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी और सरकार को इस वित्त वर्ष में 6.5 प्रतिशत से 7 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद है. यह बात सोमवार को आई एक रिपोर्ट में बताई गई है.
अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने पिछले तीन सालों में बुनियादी ढांचे पर खर्च दोगुना कर दिया है. जीडीपी के प्रतिशत के रूप में दीर्घावधि पूंजीगत व्यय 2019-20 में 1.7 प्रतिशत से बढ़कर चालू वर्ष में 3.4 प्रतिशत हो गया है. राज्यों को दीर्घावधि बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर व्यय के लिए 1.5 लाख करोड़ रुपये का दीर्घावधि ऋण आवंटित किया गया है. इसके बारे में सीतारमण ने कहा कि सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में इसे आगे बढ़ाने का इरादा रखती है.