नीरव मोदी को भारत लाने का रास्ता साफ, प्रत्यर्पण के खिलाफ ब्रिटिश सुप्रीम कोर्ट जाने की अपील खारिज

Nirav Modi Extradition Case: इससे पहले हाईकोर्ट की दो जजों की बेंच ने नीरव मोदी की उस अपील को खारिज कर दिया था. नीरव मोदी ने भारत प्रत्‍यर्पित करने के खिलाफ अपील की थी. उसने अपनी खराब दिमागी हालत का हवाला देते हुए खुद को भारत न भेजने की गुजारिश की थी.

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नीरव मोदी जनवरी 2018 में ही देश से फरार हो गया था.

लंदन:

पंजाब नेशनल बैंक (PNB Scam) से करोड़ों की धोखाधड़ी के बाद भारत से भागे हीरा व्यापारी नीरव मोदी (Nirav Modi Extradition Case) की मुश्किलें बढ़ गई हैं. अब वह भारत में अपने प्रत्यर्पण के खिलाफ ब्रिटेन की सुप्रीम कोर्ट (UK Supreme Court) नहीं जा सकेगा. गुरुवार को लंदन हाईकोर्ट ने नीरव मोदी को सुप्रीम कोर्ट में अपील की राहत देने से इनकार कर दिया. उसके प्रत्‍यर्पण का आदेश भी लंदन हाईकोर्ट ने ही दिया था. जिसके बाद उसने सुप्रीम कोर्ट जाने की अर्जी दी थी, जो खारिज कर दी गई है.

इससे पहले हाईकोर्ट की दो जजों की बेंच ने नीरव मोदी की उस अपील को खारिज कर दिया था. नीरव मोदी ने भारत प्रत्‍यर्पित करने के खिलाफ अपील की थी. उसने अपनी खराब दिमागी हालत का हवाला देते हुए खुद को भारत न भेजने की गुजारिश की थी.

दरअसल, लंदन हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान माना कि नीरव मोदी ने अपनी अपील में जिन बातों का जिक्र किया है वो सभी गैर जरूरी हैं. कोर्ट ने माना था कि उसको भारत भेजने में उसके आत्‍महत्‍या किए जाने का कोई जोखिम नहीं है. इसके साथ ही अदालत ने नीरव मोदी की इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि उसको भारत भेजना अन्‍यायपूर्ण होगा. कोर्ट का कहना था कि बेहतर है कि उसको कानूनी प्रक्रिया का हिस्‍सा बनने के लिए भारत भेज दिया जाना चाहिए.

क्या है आरोप?
नीरव मोदी पर मामा मेहुल चौकसी के साथ मिलकर पंजाब नेशनल बैंक (PNB) से 14,500 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी करने का आरोप है. वो जनवरी 2018 में ही देश से फरार हो गया था. अभी वो लंदन की जेल में बंद है. भारत लाने के बाद उसे मुंबई की आर्थर रोड जेल के बैरक नंबर-12 में रखा जाएगा.

बचाव में दिए कई तर्क
लंदन में ऐश-ओ-आराम की जिंदगी गुजार रहे इस भगोड़े ने अपने बचाव में कई तर्क दिए. नीरव ने यहां तक कहा कि वो भारतीय कानून का सामना करने को तैयार है, लेकिन उसे भारतीय एजेंसियों के हवाले न किया जाए. जब निचली अदालत ने उसे भारत को सौंपने का फैसला किया तो उसने हाईकोर्ट का रुख किया और अब हाईकोर्ट ने भी उसकी पिटीशन खारिज कर दी है.

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