कूटनीति और धार्मिक प्रयास: भारत ने कैसे टलवाई निमिषा की फांसी, पढ़ें इनसाइड स्‍टोरी 

Nimisha Priya: निमिषा प्रिया का मामला पूरे भारत, विशेष रूप से केरल में चर्चा में रहा है, जहां अधिकार समूहों ने सरकार से उन्हें घर वापस लाने के प्रयासों को तेज करने की मांग की है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • यमन में हत्या के आरोप में फांसी की सजा भुगत रहीं केरल की नर्स निमिषा प्रिया की फांसी फिलहाल धार्मिक हस्तक्षेप के कारण टल गई है.
  • भारत के ग्रैंड मुफ्ती शेख अबूबक्र अहमद ने यमनी धर्मगुरु शेख उमर बिन हाफिज से संपर्क कर प्रिया के मामले में मध्यस्थता की पहल की.
  • यमन के पीड़ित परिवार और धर्मगुरु के बीच साझा सुन्नी आस्था ने फांसी रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जबकि राजधानी सना पर शिया विद्रोहियों का नियंत्रण है.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही? हमें बताएं।
नई दिल्‍ली:

यमन में केरल की नर्स निमिषा प्रिया की फांसी फिलहाल टल गई है, जो एक हत्‍या के आरोप में मौत की सजा का सामना कर रही है. भारत सरकार के कूटनीतिक प्रयासों के बीच इसका श्रेय दो देशों के प्रमुख धार्मिक हस्तियों के समय रहते हस्‍तक्षेप को दिया जा रहा है. खबरों के मुताबिक, भारत के ग्रैंड मुफ्ती, शेख अबूबक्र अहमद ने जाने-माने यमनी धर्मगुरु शेख उमर बिन हाफिज से संपर्क किया ताकि वे प्रिया के यमनी नियोक्ता और हत्या के शिकार हुए तलाल के परिवार के साथ मध्यस्थता कर सकें. 

डिप्‍टी मुफ्ती और शेख अबूबक्र के करीबी सहयोगी हुसैन साकाफी के अनुसार, शेख उमर बिन हाफिज ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और अपने छात्रों को तलाल के परिवार से व्यक्तिगत रूप से मिलने के लिए भेजा. कई दौर की गहन बातचीत के बाद, पीड़ित परिवार अंततः फांसी को फिलहाल रोकने पर सहमत हो गया, जिससे प्रिया और उनकी कानूनी टीम को नई उम्मीद मिली.

शिया नियंत्रण के बावजूद सुन्नी आस्‍था का असर 

बातचीत के पक्ष में खेलने वाले महत्वपूर्ण कारकों में से एक यमनी पीड़ित परिवार और यमनी धर्मगुरु के बीच साझा सुन्नी आस्था थी. हालांकि राजधानी सना पर शिया संप्रदाय से संबंधित हूती विद्रोहियों का नियंत्रण है, फिर भी सम्मानित सुन्नी धर्मगुरु का प्रभाव सांप्रदायिक सीमाओं को पार कर गया और फांसी रुकवाने में मदद मिली.

Advertisement

विदेश मंत्रालय (MEA) के अधिकारियों ने पुष्टि की है कि पर्दे के पीछे 'निरंतर और शांत' प्रयास जारी थे. सऊदी दूतावास में तैनात एक दूतावास अधिकारी, जो यमन मामलों की देखरेख करते हैं, ने इस पहल का नेतृत्व किया. एक अधिकारी ने कहा, 'वह महीनों तक यमनी अधिकारियों के संपर्क में रहे. इजराइल-ईरान संघर्ष ने बातचीत को संक्षेप में रोक दिया था, लेकिन तनाव कम होने के बाद, हमने तुरंत फिर से बातचीत शुरू की.'

Advertisement

भारत ने कथित तौर पर पीड़ित परिवार को दिय्या या ब्लड मनी के रूप में एक असाधारण राशि की पेशकश की थी. एक बड़े अधिकारिक सूत्र ने कहा, 'वे 2 करोड़ रुपये मांग रहे थे, लेकिन भारत ने कहा कि जरूरत पड़ने पर हम 20 करोड़ रुपये भी देंगे. फिर भी, परिवार ने किसी भी समझौते से इनकार कर दिया.' 

Advertisement

फांसी रद्द नहीं, फिलहाल केवल स्‍थगित

हालांकि फासी केवल रोकी गई है, रद्द नहीं की गई है, अधिकारियों का मानना है कि यह नए सिरे से बातचीत के लिए द्वार खोलता है. यह सफलता दर्शाती है कि कैसे गहरी धार्मिक कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क कभी-कभी वहां सफल हो सकते हैं जहां राजनीतिक चैनलों को सीमाएं झेलनी पड़ती हैं. 

Advertisement

यह इस बात पर भी जोर देता है कि भारत ने अपने एक नागरिक को बचाने के लिए आधिकारिक और अनौपचारिक दोनों मार्गों का चुपचाप लाभ उठाया, जिसमें विश्वास कूटनीति को कूटनीतिक आधारभूत कार्य के साथ जोड़ा गया. जबकि फांसी पर रोक से अस्थाई राहत मिली है, ब्लड मनी या कानूनी राहत के माध्यम से स्थाई समाधान के लिए बातचीत जारी है.

निमिषा प्रिया का मामला पूरे भारत, विशेष रूप से केरल में चर्चा में रहा है, जहां अधिकार समूहों ने सरकार से उन्हें घर वापस लाने के प्रयासों को तेज करने की मांग की है. अभी के लिए, उनकी फांसी रुकी हुई है, जबकि उनका भविष्य अभी भी अधर में लटका हुआ है.

Featured Video Of The Day
Law For Rich vs Poor: अमीरों की जेब में कानून? Pune Porsche से MLA के बेटे तक | Shubhankar Mishra