ISRO में महिलाओं के साथ कोई भेदभाव नहीं, प्रतिभा मायने रखती है : आदित्य L1 मिशन में अहम भूमिका निभाने वाली निगार शाजी

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सूर्य के अध्ययन के लिए देश के पहले अंतरिक्ष आधारित मिशन ‘आदित्य एल1’ यान को पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर स्थापित किया है.

विज्ञापन
Read Time: 21 mins
नई दिल्ली:

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सूर्य के अध्ययन के लिए आदित्य-एल 1 मिशन लॉन्च किया है. इस प्रॉजेक्ट का नेतृत्व निगार शाजी कर रही हैं. निगार शाजी बेंगलुरु में इसरो के यूआर राव सैटेलाइट सेंटर में एक वैज्ञानिक रही हैं. उन्हे भारत की पहली अंतरिक्ष-आधारित सौर वेधशाला के परियोजना निदेशक का कमान सौंपा गया था.  एनडीटीवी के साथ बात करते हुए शाजी ने कहा कि केवल कुछ ही देश इस मुकाम तक पहुंच पाए हैं. बहुत जल्द भारत भी इस क्लब का हिस्सा बन जाएगा. 

ISRO में महिलाओं के साथ कोई भेदभाव नहीं

कई लोगों की धारणा रही है कि ISRO में महिलाओं के साथ भेदभाव होते रहे हैं. इस मुद्दे पर उन्होंने कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं है. इसरो में केवल प्रतिभा मायने रखती है.  उन्होंने कहा कि उनसे पहले भी कई महिलाओं ने इसरो के लिए अहम कार्य किए हैं.  इससे पहले, एम वनिता ने चंद्रयान-2 मिशन का नेतृत्व किया था और थेनमोझी सेल्वी के ने पृथ्वी-इमेजिंग उपग्रह के निर्माण का नेतृत्व किया था. हाल ही में, कल्पना के ने अत्यधिक सफल चल रहे चंद्रयान -3 मिशन के उप परियोजना निदेशक के रूप में कार्यभार संभाला था.  

9 साल की मेहनत का परिणाम है आदित्य L1 मिशन

निगार शाजी ने कहा कि "आदित्य एक जटिल वैज्ञानिक उपग्रह है," हमने इसके लिए लगातार 9 साल तक मेहनत किया है. अपने मुस्कुराहट और सौम्य व्यवहार को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि उनके साथ काम करने वाले उन्हें एक सख्त इंशान मानते हैं. उन्हें कहा कि उनके पिता ने ही उन्हें इंजीनियर बनने के लिए प्रेरित किया. निगार के पिता शेख मीरन गणित स्नातक थे. जिन्होंने अपनी इच्छा से खेती करना शुरू किया. तमिलनाडु के तेनकासी जिले के ग्रामीण सेनगोट्टई में पली-बढ़ी  निगार ने नोबेल पुरस्कार विजेता मैरी क्यूरी की सफलताओं के बारे में सुना था, जिससे उन्हें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में नौकरी करने की प्रेरणा मिली. 

Advertisement

सरकारी स्कूल में निगार शाजी की हुई पढ़ाई

उन्होंने बताया कि उनकी प्रारंभिक शिक्षा सरकारी स्कूल में हुई. इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार में इंजीनियरिंग की डिग्री के लिए वह मदुरै कामराज विश्वविद्यालय के तिरुनेलवेली के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में पहुंची. बाद में, उन्होंने बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेसरा से इलेक्ट्रॉनिक्स में मास्टर डिग्री प्राप्त किया.  निगार ने कहा कि उनका परिवार चाहता था कि वह डॉक्टर बनें, लेकिन उन्होंने इंजीनियर बनना चुना.

Advertisement

अपनी जर्नी को लेकर बात करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने अपना करियर एक अंतरिक्ष यान परीक्षण इंजीनियर के रूप में शुरू किया और शानदार योगदान के साथ करियर की सीढ़ी चढ़ती गईं. वह सौर मंडल से परे ग्रहों के अध्ययन के लिए शुक्र मिशन और EXO विश्व मिशन के लिए अध्ययन निदेशक के रूप में अतिरिक्त जिम्मेदारी भी संभालती रही हैं. 

Advertisement

ये भी पढ़ें-

Featured Video Of The Day
Allu Arjun News: Telugu Superstar का सड़क से सदन तक विरोध
Topics mentioned in this article